सरस्वती पूजा पर निबंध Saraswati Puja Essay in Hindi
सरस्वती पूजा पर लिखे गए इस लेख को सरस्वती पूजा पर निबंध Saraswati Puja Essay in Hindi स्कूलों तथा कॉलेजों के छात्रों एवं छात्राओं के साथ साथ शिक्षकों एवं समाज के सभी प्रकार के लोगों के लिए लिखा गया है। इस लेख में सरस्वती पूजा से संबंधित संपूर्ण जानकारी को एक साथ प्राप्त किया जा सकता है। हिंदी उर्दू साहित्य संसार
सरस्वती पूजा क्या है? What is Saraswati Puja in Hindi
मां सरस्वती की पूजा सभी लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। हमारे देश भारत में प्राचीन काल से ही धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देवी-देवताओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हिंदू धर्म में विद्या, ज्ञान, विज्ञान एवं संगीत की देवी के रूप में माता सरस्वती की आराधना की जाती है, इसी को सरस्वती पूजा कहते हैं। सरस्वती पूजा देवी सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान, विद्या और कला की हिंदू देवी हैं। त्योहार में, लड़कियां और महिलाएं ज्ञान और संगीत के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि लोग अपनी पढ़ाई में सफलता के लिए विद्या की देवी से आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन लोग इस खास दिन को मनाने के लिए किताबों और वाद्ययंत्रों की पूजा करते हैं।
सरस्वती पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और लेखन की देवी सरस्वती देवी के सम्मान में मनाया जाता है। वह ब्रह्मांड के निर्माता, भगवान ब्रह्मा की पुत्री हैं और उन्हें वेदों, हिंदू पवित्र ग्रंथों की जननी माना जाता है। यह त्योहार देवी सरस्वती की पूजा, उपवास और फूलों, फलों और मिठाइयों के प्रसाद के साथ मनाया जाता है। यह दिन हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है।
सरस्वती पूजा के लिए एक निश्चित समय और विशेष दिन होता है जिसे शुभ मुहूर्त कहते हैं। यह पूजा मां सरस्वती को प्रसन्न करने एवं ज्ञान प्राप्त करने का आशीर्वाद के लिए विद्यार्थियों के साथ साथ सभी छोटे बड़ों द्वारा किया जाता है। हिंदू धर्म के लोग सरस्वती पूजा को एक महत्वपूर्ण त्योहार और उत्सव के रूप में मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि सरस्वती पूजा करने से ज्ञान तथा विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
सरस्वती पूजा के विभिन्न नाम
सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी, श्री पंचमी, और मां वीणा वादिनि पूजा के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी के दिन का यह विशेष त्योहार प्राचीन काल से ही चला आ रहा और इस की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है। इस त्योहार का मुख्य अनुष्ठान देवी की पूजा और आराधना करना है। यह भजन और प्रार्थना गाकर, फूल और मिठाई चढ़ाकर और उनकी छवि की पूजा करके किया जाता है। त्योहार नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत और फसल के मौसम का भी जश्न मनाता है।
सरस्वती पूजा अन्य देशों में
भारत के अतिरिक्त सरस्वती पूजा पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, मॉरीशस और थाइलैंड जैसे अन्य देशों में भी मनाया जाता है। सरस्वती पूजा का उललेख भारत के प्राचीन ग्रंथों, शास्त्रों और वेदों में भी मिलता है। इसके अतिरिक्त कई प्रकार के काव्य ग्रंथों और साहित्यों में भी सरस्वती पूजा का अलग अलग प्रकार से उललेख मिलता है।
सरस्वती पूजा कब मनाया जाता है
सरस्वती पूजा प्रत्येक वर्ष माघ के महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वसंत ऋतु का विशेष महत्व है इसलिए कि इस ऋतु में फसल अच्छा होता है। यह महीना बहुत सुहावना भी होता है इसी में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।
ऐसी मान्यता है की किसी भी क्षेत्र में कला, शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों और लोगों को मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए। सरस्वती मां की पूजा प्रत्येक दिन विद्यार्थियों को करना चाहिए परंतु वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने का विशेष महत्व है।
सरस्वती पूजा 2022 में कब है? When is Saraswati Puja in 2022
इस वर्ष 2022 में सरस्वती पूजा का त्योहार 5 फरवरी दिन शनिवार को होगा। सरस्वती पूजा का यह दिन इस वर्ष बहुत विशेष होनेवाला है।
अगर इस दिन को शुभ मुहूर्त पर मां सरस्वती की पूजा करने के बाद सच्चे दिल से किसी वस्तु की कामना या इच्छा की जाए तो अवश्य प्राप्त होता है।
सरस्वती पूजा का महत्व Saraswati Puja Importance
सरस्वती पूजा का विशेष पर्व बसंत ऋतु के सुंदर और मनभावन मौसम में आता है, इस समय प्रकृति में कई प्रकार से परिवर्तन होते हैं। चारों ओर हरियाली छाई हुई होती है और इसके साथ वातावरण सुंदरता और रंग बिरंगे फूलों से खिल उठता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार मां सरस्वती का आशीर्वाद एक बार जिस किसी को मिल जाता है उसका जीवन सदा के लिए सफल और सार्थक हो जाता है। सरस्वती मां की पूजा करने से मंदबुद्धि को भी ज्ञान और बुद्धि विवेक की प्राप्ति हो जाती है। कलाकार सरस्वती मां की पूजा करके अपनी कला को आस्था और माता के आशीर्वाद से और अधिक सुंदरता से निखार देता है।
भारत में सरस्वती पूजा पूरे देश में मनाया जाता है। इस पर्व के दिन सभी विद्यार्थी एक साथ एकत्र होकर मां सरस्वती की प्रतिमा को स्कूलों अथवा अपने दरवाजे पर स्थापित करते हैं और उनकी आरती करने के बाद सभी को सरस्वती पूजा का मीठा प्रसाद बांटा जाता है। एक बार माता सरस्वती का आशीर्वाद मिल जाता है तो मानव मंदबुद्धि से चतुर तथा बुद्धिमान बनता जाता है और नई नई सफलताओं को प्राप्त करता है।
अगर वर्तमान समय की बात की जाए तो कला तथा शिक्षा का महत्व संसार में सर्वत्र व्याप्त है। जिस व्यक्ति के भीतर भी ऐसे सभी गुण होते हैं उसे हर प्रकार से, सभी जगहों पर सम्मान प्राप्त होता है। इतिहास में कई ऐसे व्यक्ति हुए हैं, जिन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का महत्व कितना अधिक है।
सरस्वती पूजा के पवित्र दिन पर बच्चों के झुंड को पास के स्कूल के मैदान में खेलते देखा जा सकता है।
सरस्वती पूजा भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित एक दिन है। छात्र, विद्वान और शिक्षक सभी उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं। यह त्योहार मकर संक्रांति के त्योहारी मौसम के साथ भी मेल खाता है, जो जनवरी में मनाया जाता है। जब लोग बसंत के आगमन का जश्न मनाते हैं तो इस दिन को खुशी और खुशी की बरसात के रूप में चिह्नित किया जाता है। आप पास के स्कूल के मैदान में बच्चों के झुंड और नए कपड़े और मिठाई खरीदने में व्यस्त लोगों को देख सकते हैं। सरस्वती पूजा महान आशीर्वाद और आनंद का दिन है, और पूरे भारत में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है।
सरस्वती पूजा की सुबह की शुरुआत देवी को पवित्र जल के अभिषेक से होती है।
पूजा की सुबह अभिषेकम, या मूर्ति के पवित्र जल से स्नान करने की रस्म के साथ शुरू होती है। इसके बाद संस्कृत और हिंदी में प्रार्थना और भजन की पेशकश की जाती है, जिसका नेतृत्व आमतौर पर एक पुजारी करता है। यह एक समय-सम्मानित परंपरा है जो सदियों पहले की है और देवी को सम्मान देने और उनका आशीर्वाद लेने का एक तरीका है। सरस्वती पूजा एक विशेष अवसर है जो ज्ञान और कला का जश्न मनाने के लिए परिवारों और दोस्तों को एक साथ लाता है। देवी को फूल, फल, मिठाई और अन्य व्यंजनों का प्रसाद चढ़ाया जाता है, और पूजा कक्ष को सुंदर फूलों और उत्सव के बैनर से सजाया जाता है।
निष्कर्ष:
सरस्वती केवल ज्ञान और कला की हिंदू देवी नहीं हैं। वह सामान्य रूप से रचनात्मकता, बुद्धि, बौद्धिक खोज और ज्ञान को व्यक्त करती है। उनका आशीर्वाद युवा छात्रों द्वारा मांगा जाता है जो इस दिन खुद को उनके लिए समर्पित करते हैं। सरस्वती पूजा हर साल जनवरी / फरवरी में माघ पूर्णिमा या पूर्णिमा के आसपास आयोजित की जाती है, जो मकर संक्रांति के साथ मेल खाती है, जो पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है।
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