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तालिबान कौन है | तालिबान का मतलब | तालिबान कहां पर है | तालिबान के तेवर

तालिबान कौन है | तालिबान का मतलब | तालिबान कहां पर है | तालिबान के तेवर

तालिबान का अर्थ
तालिबान का अर्थ है विद्यार्थियों का समुह जिसकी तालीम दारुल उलूम मदरसे मे हुई है, जिसका अपना हक्कानी नेटवर्क है.....! यह मदरसा करांची(पाकिस्तान) में है और भारत के सहारनपुर जिले के देवबंद इस्लामिक जमात का हिस्सा है।
पूर्व मे अमेरिका ने डॉलर देकर सोवियत संघ (रूस) के विक्षोव में पाकिस्तानी फौज की सहायता से इसे तैयार किया था और नाम था.. मोजाहिद जिसके प्रमुख थे मौलवी मुल्ला उमर जो अफगानिस्तान में सोवियत सैनिकों के विरूद्ध छापामार युद्ध में रत थे।
कालांतर में मिस्र देश की यूनिवर्सिटी नेअल अजहर ने अलकायदा तैयार किया जो बाद में अफगानिस्तान में डेरा डाल दिया, कालांतर में इस से दो संगठन बने तालिबान और इस्लामिक स्टेट।
दोनो कट्टर इस्लामिक संगठन है जिसका मकसद इस्लामिक साम्राज्य स्थापित करना, सरिया कानून और कुरान के नियमों को लागू करना है, शासन करने का अधिकार सिर्फ देवबंदी को है ये लोग शिरक और जमात को मानने वाले हैं और अन्य के उपर दमनात्मक करवाई करते हैं, महिलाओं से अत्याचार और अन्य मुसलमानों पर भी दमनात्मक करवाई करते हैं।
विश्व विरादरी के नजर में यह एक आतंकवादी और जेहादी संगठन है जबकि देशी भाषा में इसे नरपिशाच कहते है।
आने वाले समय में पूरे विश्व शांति के विरूद्ध खतरा है। भारत को इसे शुक्षम दृष्टिकोण से देखना श्रेस्कर होगा.....!!
आलेख: रचना: रवि वाजपेई

अफगान और तालिबान के लिए व्याकुल पल

अफगान और तालिबान से पुरी दुनियां अचंभित है और इस्लाम की कट्टरता व क्रुरता से दुनियां वाकिफ हुई है, ऐसे वक्त में सब देश अपनी गिरेबान झांक रहा है कि हम अपने मुल्क के हिफाजत में कितने महफूज़ हैं। हमारे लिए यह स्याह सच है कि इस मुल्क से हमारा भावनात्मक लगाव रहा है। वहां के आम आवाम से हमारा डीएनए मिलता है। वह आर्यवर्त और सनातन संस्कृति का हिस्सा रहा है। वहां के लोगों को जब चोट लगेगी तो हमे भी दर्द होगा, वहां के लोग जब भुखे सोएंगे तो हमे भी निंद नहीं आवेगी। हमारी वर्तमान हुकूमत ने विगत कई वर्षों से वहां के लोगों से नाता जोड़ विकाश सहयोग की भागीदारिता निभानी शुरू की थी। बीच में एक क्षद्म राष्ट्र ने षडयंत्र रच दिया। मध्य युग की क्रुरता और अमानवीय दमन देख मानव हैरान है।
परन्तु यह ज्यादा दिन नहीं चल सकता क्योंकि अतिवाद के गर्भ से ही विनाश के बीज अंकुरित होते हैं। जहां से दो दो महा शक्तियां मुंह खाकर लौटी हैं वहां सत्य ही अगला कदम फुंक फुंक ही पड़ना चाहिए। आज पुरी दुनियां हिंदुस्तान की ओर देख रही है। कन्हैया बांसूरी बजाएंगे और तकलीफ दूर हो जायेंगी। काश: कोई कौटिल्य पंडित आज जिन्दा होता तो हमारे भाइयों का दर्द बांट लेता। परन्तु उसके ही अंश श्री अजीत डोभाल और श्री जय शंकर सरीखे ओजस्वी लोग के हाथ कमान है और ये महापुरुष जरूर कुछ हमारे अफगान भाई बहनों के हित में सोच रहे होंगे।
रवि वाजपेई की कलम से
तालिबान कौन है Who are Taliban

थोड़ी सी रुमानी हो जाए! थोड़ा मुस्कुरा दें!

सुनो न!
अब तो तालिबान के भी कब्जा अफगानिस्तान पर हो गया
मेरे दिल पर तुम्हरा कब हो गा
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश

तालिबान से सतर्कता

तालिबान
तुम हमको मारो-- फिर हम तुमको मारें।।
न तो ये धर्म है और न ही ये इंसानियत।।
लेकिन मौत के सौदागरों की निगाह में यही धर्म है, यही इंसानियत है।।
उनकी इसी सोच ने पूरी दुनिया को अपनों के बीच, अपनों से ही सचेत और सतर्क रहने को मजबूर कर दिया है।।
इसके लिए तालिबान को बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद।।
दुनिया बहुत आगे जा चुकी है -- और भी आगे जाएगी --- परन्तु तालिबान या तालिबान के समर्थकों के प्रति दुनिया के विचार अब हाथी के दाँत के समान ही रहेंगे।।
तुम अपने हो -- ये कथन हाथी के ऊपरी दाँत के समान रहेंगे --लेकिन तुम जहरीले हो--- ये विचार भी हाथी के अंदर वाले दाँत की तरह अब हर मुल्क संजोकर रखेगा।।
इस चीज को चीन बहुत पहले ही बहुत अच्छी तरह से जानता था --- वो तालिबान-पाकिस्तान का दोस्त तो है --- लेकिन उसने अपने देश में तालिबानियों-पाकिस्तानियों के लिए कैसी व्यवस्था कर रखी है --- कितने प्रतिबन्ध लगा रखे हैं --- ये पूरी दुनिया जानती है।।
अब उसी हाथी के दाँत का प्रयोग पूरी दुनिया करेगी --- इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए मजबूर करने वाले तालिबानियों को बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद।।
चीन के बाद अब अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े बड़े विकसित देश, जो धर्म की नहीं- बल्कि कर्म की पूजा करते हैं, वे अपने देश के कानून में आपके लिए यकीनन एक अलग से व्यवस्था करेंगे।। जिससे किसी भी देश को कोई नुकसान न पहुँचाया जा सके।।
दुनिया चाँद सितारों पर जा रही है -- उससे और भी आगे ---- और आप ??
आप अपने साथ - साथ अपने ही लोगों को पीछे, और पीछे, और भी ज्यादा पीछे धकेल रहे हैं---- खैर।।


जीना इसी का नाम है!
"कोई आगे-कोई पीछे"
जय हिंद
जय हो विकसित देशों के विचारों की
523वाँ नमन--- पंछी
8353974569 / 7379729757


तालिबान के बरसते तेवर: तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा क्यों किया

तालिबान के बरसते तेवर,
बढ़ते पैर अफगानिस्तान की तरफ़,
आधी रात को बन्दूक की नोक अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेता
सोची समझी साजिश रची अपनो ने ही आपनो को गुलाम कर लिया
तरसते रहे बीच सड़क पर अपनी जान के लिये बच्चे बूढ़े।
सोये रात को चेन की नींद बुरे सपने की तरह सुबह बदली
लड़कियों को न मिले सम्मान
न कदम बहार निकले
गिरगिट की तरह रंग बदले तालिबान
हालात बद से बद्दतर कर
हवा में बातें करें
खुला चेलेंज सबको दे
जो खुफ़ा में रहे अब नागरिता अपनी ख़ुदसे लेले
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
कैसा मेहमान आ गया तू तालिबान: तालिबान पर कविता
न कोई चिठ्ठी......
न कोई चिठ्ठी न कोई सन्देशा,

कैसा मेहमान आ गया तू तालिबान: तालिबान पर कविता

न कोई चिठ्ठी......
न कोई चिठ्ठी न कोई सन्देशा,
कैसा मेहमान आ गया तू तालिबान,
तूफान बन मेरे हस्ते खेलते अफगानिस्तान तो उड़ा दिया।
फूल से मेरे देश के बच्चे तूने लहुलुहान कर दिया
मेरा देश गरीब था
दोस्त कोई न था
आधी रात को
तूने देश को मेरे लूट लिया
जाती धर्म सब कुछ भूल गया
शैतान बन खा गया खुशियों को,
कैसे बताये तुझें दिल का हाल
मेरे ही सामने गोलियो की होली खिली,
साथ देने कोई न आया
गदार मेरे ही (अफगानिस्तान) के आंगन में
कोई उम्मीद न रही
सोची समझी साज़िश थी
बन्दूक की नोंक पर
हमकों गुलाम कर लिया
रिश्ते तोड़े सारे देश
तालिबान तू अपने ही लोगों से लड़ बैठा सरकार बनाने को
क्या रब का फैसला है
तूने मेरे घर में फूट डाली
तेरे अपने ही घर में दरारें आ गई।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
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