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विश्व पुस्तक दिवस पर कविता | किताब पर शायरी World Book and Copyright Day

विश्व पुस्तक दिवस की कहानी | Hindi Poem on World Book Day


विश्व पुस्तक दिवस की कहानी
(प्रति वर्ष 23 अप्रैल को)
(कविता)
विश्व पुस्तक दिवस की कहानी



“विश्व पुस्तक दिवस के शुभ अवसर पर आप सभी पुस्तक प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”

बड़ी महत्वपूर्ण है, विश्व पुस्तक दिवस की कहानी,
हर अच्छी, सकारात्मक पुस्तक है ज्ञान की निशानी।
मकसद इस दिवस का, पुस्तकों का महत्व समझाना है,
सुंदर पुस्तकें बदल देती हैं, पढ़ने वाले की जिंदगानी।
हर साल 23 अप्रैल को, यह दिवस मनाया जाता है,
पुस्तक दिवस मनाने पर, यूनेस्को की है मेहरबानी।
बड़ी महत्वपूर्ण है…………….

23 अप्रैल के दिन ही, बड़े बड़े लेखकों का जन्म हुआ है,
इसी दिन बड़े बड़े लेखकों की, समाप्त हुई है कहानी।
विलियम शेक्सपियर की भी मृत्यु, इसी दिन हुई थी,
लेखकों और कवियों को सम्मान देना, रीत है पुरानी।
साक्षरता अभियान का, सुंदर विचार भी छुपा है इसमें,
इस दिवस के सुंदर कार्यक्रम की, दुनिया है आज दीवानी।
बड़ी महत्वपूर्ण है……………..

विश्व के कोने कोने में लगता है, आकर्षक पुस्तक मेला,
पुस्तकें लाती हैं उदास जीवन में, सुंदर शाम सुहानी।
पुस्तकों में ही, जग की सभ्यता, संस्कृति छुपी हुई है,

पुस्तकों को पढ़कर ही, लोग बनते विद्वान और ज्ञानी।
लेखक हो या पाठक, आज सबकी एक बड़ी जिम्मेवारी है,
प्रचार प्रसार में कमी नहीं रहे, सुरक्षित रहे यह कहानी।
बड़ी महत्वपूर्ण है…………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


पुस्तक की महिमा : पुस्तक दिवस पर कविता

पुस्तक की महिमा
(कविता)
पुस्तक की महिमा होती बड़ी निराली,
पुस्तक किसी इंसान को ज्ञान देती है।
एक मूरख को विद्वान बना देती यह,
पाठकों को, एक नई पहचान देती है।
ज्ञान चक्षु खोलकर पंख लगा देती है,
सपना साकार कर, नई उड़ान देती है।
पुस्तक की महिमा………..

अज्ञानता का अभिशाप मिटा देती है,
विद्वता का अनमोल वरदान देती है।
पुस्तक समाज का दर्पण कहलाती है,
मन और आत्मा को सम्मान देती है।
सभ्यता और संस्कृति का धरोहर यह,
अश्क पोछती है और मुस्कान देती है।
पुस्तक की महिमा…………..

पुस्तक आशीष है माता सरस्वती का,
बेजान मन में जैसे नई जान देती है।
इंसान की मानसिकता बदल डालती है,
अपने शरण में, सबको स्थान देती है।
आदिकाल का सैर कराती है पुस्तक,
इतिहास को हंसता, वर्तमान देती है।
पुस्तक की महिमा…………..

पुस्तक ने मूर्ख को, कालीदास बनाया,
अपने प्रेमी को अमिट निशान देती है।
पुस्तक का घर पुस्तकालय कहलाता है,
माथा टेकने वाले पर, ध्यान देती है।
हर कोई पुस्तक पढ़े और ज्ञान बढ़ाए,
जीवन को शांति व इत्मीनान देती है।
पुस्तक की महिमा………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार


पुस्तक दिवस पर कविता | किताब पर शायरी Poem On World Book And Copyright Day In Hindi

पुस्तक दिवस
पुस्तक ही तो जीवन है,
जीवन ही तो पुस्तक है।
आ रहा यह चिरकाल से,
आगे भी हर पुश्त तक है।।
पुस्तक है जीवन की घटना,
पुस्तक से है मिलता ज्ञान।
ज्ञान से ही पुस्तक उद्धृत,
बल बुद्धि सबका अरमान।।
पुस्तक में अच्छाई बुराई,
पुस्तक देता इसका निष्कर्ष।
बुरे मार्ग से यह हमें बचाता,
भले मार्ग हेतु बढ़ाता उत्कर्ष।।
पढ़ना तो है आजीवन ही,
बच्चे को भी नित्य पढ़ाना है।
बच्चे जब कुछ बड़े हुए तो,
पढ़कर ही पढ़ना सीखाना है।।
पढ़ते पढ़ाते सुयोग्य बनाना,
सुयोग्य बनाकर ठौर दिलाना।
ठौर दिलाकर हम होते हर्षित,
फिर उसकी अब व्याह रचाना।।
पोते पोती जब बड़े हो जाते,
तब हम बनते दादा और नाना।
शादी व्याह जब उनकी होती,
हमारी बातें होतीं ना ना ना ना।।
कारण इसका एक ही है होता,
वयोवृद्ध हम रहते हैं कहलाते।
हमारी बातें कहलातीं हैं पुरानी,
नई परम्परा होते वे अपनाते।।
पढ़ते पढ़ाते साठ वर्ष बिताया,
अस्सी तक हाथ पैर थक जाते।
विवशता होती जीवन की ऐसी,
बच्चे पढ़ाते वही हम पढ़ पाते।।
पुस्तक देता है वहीं पर शिक्षा,
जहाँ मिलता सभ्यता संस्कार।
वहीं पर शिक्षा हो जाता गौण,
जहाँ न मिल पाता है सदाचार।।
माता पुस्तक पिता भी पुस्तक,
गुरु पुस्तक पुस्तक है समाज।
पति-पत्नी एक दूजे के पुस्तक,
दोनों बनें एक दूजे के वे राज।।
यह रचना मेरी
मौलिक एवं
स्वरचित रचना है।
अरुण दिवांशु
छपरा सारण
बिहार


विषय : अंतरराष्ट्रीय पुस्तक दिवस

दिनांक : 23 अप्रैल, 2023
दिवा : रविवार
जीवन पुस्तक पुस्तक जीवन,
पुस्तक ही आजीवन पढ़ना है ।
सीख लिए पढ़ना पुस्तक जो,
ऊंचाइयों पर सदा ही चढ़ना है ।।
रास्ते मिलेंगे बहुत ऊबड़खाबड़,
समतल रास्ते बहुत कम मिलेंगे ।
हो जाएंगे रास्ते भी कहीं गुम,
रास्ते बना हम मंजिल छू लेंगे ।।
नहीं सीखा है पुस्तक जो पढ़ना,
तिराहे चौराहे पे भटक सकते हैं ।
भटक गए गया एक बार रास्ते,
वहीं पे जाकर अटक सकते हैं ।।
जीवन पुस्तक पढ़ पुस्तक लिखे,
पुस्तक पढ़ जीवन लेते निखार ।
पुस्तक पुस्तक जब मिल जाए,
संस्कृति निखरता बहुत अपार ।।
एक पुस्तक पढ़े दूसरा पुस्तक,
दोनों पुस्तक मिल एक हो जाए ।
पूरी दुनिया भी एक हो सकती है,
सबका सुन्दर विवेक हो जाए ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।


पुस्तक

________
अज्ञानी मानव के मन में
ज्ञान का दीप जलाती है पुस्तक।
विज्ञान जगत की सैर कराती,
जाति धर्म का भेद मिटाती है पुस्तक।
अच्छी बातें हमें सिखाती,
सबका मन बहलाती है पुस्तक।
हर अक्षर इक दीपक बनकर
देता ज्ञान आलोक,
जीवन में खुशियांँ भर देता
करता दूर हर शोक।
शिक्षा देती जग में मान और सम्मान,
शिक्षा से ही मिलती जग में है पहचान।
बच्चे बूढ़े या जवान
सबका मन बहलाती पुस्तक।
पुस्तक से तुम मुंँह ना मोड़ो,
साथ कभी ना इसका छोड़ो।
सच्चा मित्र बनकर
साथ निभाती है पुस्तक।
 पुस्तक का महत्व बताने को,
जन-जन को समझाने को,
पुस्तक दिवस मनाए हम,
पुस्तक को मित्र बनाएंँ हम।
रमा बहेड, हैदराबाद

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