पत्रकार के लिए शायरी | हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर कविता
कविता
खुब लिखो मेरे देश के पत्रकार
खुब लिखो मेरे देश के पत्रकार,
कर दो उजागर भ्रष्टाचार,
चलाओ कलम अराजकता पर,
बदल डालो निकम्मी सरकार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
उठाओ कलम बढ़ती महंगाई पर,
लिखो हिन्दु,मुस्लिम, सिख ईसाई पर,
लिख लो सीमा पर बढ़ती तकरार,
लिखो जन-जन में बढ़ता प्यार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
लिखो गरीबी, बेरोजगारी पर,
लिखो नक्सली, रंगदारी पर,
नहीं गिड़गिड़ाओ किसी के सामने,
लिखो जनता का हाल, सरोकार।
खुब लिखी मेरे देश का...।
लिखो हिन्दु-मुस्लिम लडाई पर,
लिखो भारत की जग- हंसाई पर,
करो उजागर आंतकवाद को,
लिखो तुम पुलिस का अत्याचार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
लिखो देश के साहित्य का हाल,
लिखो तुम भारत का भाल,
चलाओ कलम कला-संस्कृति पर,
लिखो देश का भविष्य, संस्कार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
पत्रकारिता को एक मिशन मानो,
इसे कभी नौकरी नहीं जानो,
करो सरकारी कुव्यवस्था पर प्रहार,
बनकर एक सजग कलमकार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
पत्रकारिता में तुम रूको नहीं,
जीवन में कभी झुको नहीं,
नहीं कभी किसी से डरो,
नहीं कभी तुम हिम्मत हार।
खुब लिखो मेरे देश के...।
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अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
मैं पत्रकार हूँ– पत्रकार पर कविता शायरी Main Patrakar Hun Poetry On Journalist
मैं पत्रकार हूँ -
मैं पत्रकार हूँ
आदतन लाचार हूँ,
सच्ची खबर देता हूँ
भ्रष्टाचारियों को करता हूँ बेनकाब,
अपराधियों को नहीं करता स्वीकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
लोकतंत्र हेतु लड़ता हूँ
हर वक्त खतरे से
खेलता हूँ,
कभी नहीं किसी से
डरता हूँ
नेताओं का करता
बंटाधार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
शासन, प्रशासन पर
कड़ी नजर रखता हूँ,
माननीयों के आगे,
कभी नहीं झुकता हूँ
हर अन्याय का सदा -सर्वदा
करता प्रतिकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
झूठ का करता
पर्दाफाश हूँ,
सिर्फ सत्य से रखता
सरोकार हूँ
मैं जन -मन का विश्वास और
संविधान का चौथा आधार हूँँ।
मैं पत्रकार हूँ।
मैं भेद -भाव से अपने को
सदा रखता दरकिनार हूँ,
जन - जन की आकांक्षाओं को
करता साकार हूँ
मैं अपना काम करता
सतत निर्विकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ
आदतन लाचार हूँ,
सच्ची खबर देता हूँ
भ्रष्टाचारियों को करता हूँ बेनकाब,
अपराधियों को नहीं करता स्वीकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
लोकतंत्र हेतु लड़ता हूँ
हर वक्त खतरे से
खेलता हूँ,
कभी नहीं किसी से
डरता हूँ
नेताओं का करता
बंटाधार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
शासन, प्रशासन पर
कड़ी नजर रखता हूँ,
माननीयों के आगे,
कभी नहीं झुकता हूँ
हर अन्याय का सदा -सर्वदा
करता प्रतिकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
झूठ का करता
पर्दाफाश हूँ,
सिर्फ सत्य से रखता
सरोकार हूँ
मैं जन -मन का विश्वास और
संविधान का चौथा आधार हूँँ।
मैं पत्रकार हूँ।
मैं भेद -भाव से अपने को
सदा रखता दरकिनार हूँ,
जन - जन की आकांक्षाओं को
करता साकार हूँ
मैं अपना काम करता
सतत निर्विकार हूँ।
मैं पत्रकार हूँ।
Main Patrakar Hun Poetry On Journalist
पत्रकार के लिए शायरी | हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर कविता
मैं अपनी यह टटका कविता अपने सभी पत्रकार मित्रों को नेह नमित भाव से सादर भेंट एवं समर्पित करता हूँँ।
उदय नारायण सिंह
प्रधानमंत्री
जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन,
मुज़फ्फ़रपुर, बिहार
6200154322
उदय नारायण सिंह
प्रधानमंत्री
जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन,
मुज़फ्फ़रपुर, बिहार
6200154322
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