तू ही कश्ती तू ही साह़िल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
सितारों की, बहारों की,
न भाए अब कोई मेह़फ़िल।
कश्ती साहिल इश्क़ की मंज़िल शायरी
Kashti Shahil Ishq Ki Manzil Romantic Shayari Photo
नग़मा
हुआ जब से तिरा बिस्मिल,
कहीं लगता नहीं यह दिल।
तू ही कश्ती तू ही साह़िल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
हुआ जब से तिरा बिस्मिल,
कहीं लगता नहीं यह दिल।
तू ही कश्ती तू ही साह़िल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
मंज़िल शायरी
तुझे देखा सनम जब से,बड़ा बेचैन रहता हूँ।
सितारों की, बहारों की,
न भाए अब कोई महफ़िल।
महफ़िल शायरी
हुआ जब से तिरा बिस्मिल,कहीं लगता नहीं यह दिल।
तू ही कश्ती तू ही साहिल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
न ऐसे तू बदल तेवर,
न ऐसे दिल कुचल हमदम।
तरस खा कुछ तो इस दिल पर,
मिरे मासूम से क़ातिल।
क़ातिल शायरी
हुआ जब से तिरा बिस्मिल,कहीं लगता नहीं यह दिल।
तू ही कश्ती तू ही साह़िल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
मरीज़ - ए - इश्क़ हूँ तेरा,
सुकूँ तुझसे ही पाऊँगा।
क़रीब आ कर मिरे दिलबर,
तू कर आसान हर मुश्किल।
हुआ जब से तिरा बिस्मिल,
कहीं लगता नहीं यह दिल।
तू ही कश्ती तू ही साह़िल,
तू ही है इश्क़ की मंज़िल।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
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