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मुनाजात दुआ इन हिंदी | Munajat Lyrics In Hindi | Munajat of Ramzan

Munajaat Dua In Hindi | Munajat-E-Maqbool | Munajat Lyrics In Hindi 

मुनाजात

जो काम आए किसी के वो ज़िन्दगी दे दे।
ख़ुदाया इल्म की हमको तू रोशनी दे दे।

वतन मे अम्नो अमां के लिए ख़ुदा सबके।
दिलों म़े प्यार, वफा और सादगी दे दे।

फ़ज़ा मे घोल दें मिसरी हम अपनी बातों से।
ख़ुलूस, प्यार, वफा हम को ऐसा भी दे दे।

मिटा दे तीरगी इनके घरों की भी मौला।
तू मुफलिसोंं के चराग़ों को रोशनी दे दे।

जहाँ मे उसका मिलेगा न कोई भी सानी।
रज़ा ए रब के लिए अपनी जो ख़ुशी दे दे।

कभी न आए तकब्बुर किसी के भी दिल में।
पसंद तुझ को जो आयी वो आ़जज़ी दे दे।

लबों पे प्यार हो बातों में प्यार हो सबकी।
ज़बां में सब की इलाही वो चाशनी दे दे।

ख़ुदाया तुझ से तमन्ना है अब यही मेरी।
अ़ज़ीज़ तुझ को रहूँ ऐसी बन्दगी दे दे।


सरफराज़ हुसैन फराज़ पपीपलसाना मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

दुआ शायरी फोटो | मुनाजात दुआ फोटो Dua Shayari Photo | Munajaat Dua Photo

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दुआ़

या रब तू दिल को ऐसा शऊ़र ओ शिआ़र दे।
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे।

क़िसमत को हर किसी की तू ऐसे संवार दे।
इल्म ओ हुनर दे सबको ख़ुशी की बहार दे।

जिसकी मिसाल मिल न सके इस जहान में।
तू कौ़म को हमारी वो इज़्ज़ ओ वक़ार दे।

भूले से भी नआए ख़िज़ाँ जिसकेआस पास।
या रब चमन को मेरे तू ऐसी बहार दे।

इक दूसरे से प्यार करें सब ख़ुशी ख़ुशी।
बुग़्ज ओ हसद का भूत तू सर से उतार दे।

भूखा ज़मीं पे कोई रहे न मिरे ख़ुदा।
बरकत सभी के रिज़्क़ में तू बे शुमार दे।

सदके़ में मुस्तुफ़ा के यही आर्ज़ू है बस।
कुछ तो असर दुआ़ में ऐ परवरदिगार दे।

बस ये दुआ है तुझसे ख़ुदाया फ़राज़ की।
बे रोज़गार जो हैं उन्हें रोज़गार दे।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.

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मुनाजात

ह़क़ मुहब्बत का ऐसे अदा कीजिए।
ह़क़ में सारे जहाँ के दुआ़ कीजिए।

हर घड़ी ज़िक्रे रब्बुल उला कीजिए।
हर मुसीबत को सर से रफ़ा कीजिए।

अपने रब से यही इल्तिजा कीजिए।
दूर कोरोना हो सब दुआ़ कीजिए।

वो ही ख़ालिक़ है,मालिक है, रह़मान है।
रात दिन उसकी ह़म्द ओ सना कीजिए।

मुश्किलों में घिरी है ये मख़लूक़ सब।
मुश्किलें हल ऐ मुश्किल कुशा कीजिए।

याद से उसकी ग़ाफ़िल न हो कोई भी।
घर नमाज़ -ए- अ़क़ीदत अदा कीजिए।

आप सा चारागर कौन है या नबी।
दर्दे दिल की हमारे दवा कीजिए।

कैन्सर हो या कोराना रब्बे करीम।
दूर दुनिया से हर इक बला कीजिए।

या ख़ुदा हिल गए नाख़ुदा बाख़ुदा।
दरगुज़र अब सभी की ख़ता कीजिए।

बारगाहे रिसालत में पढ़ कर दरूद।
अल मदद या नबी सब कहा कीजिए।

लायक़े इम्तिहाँ कब हैं नाचीज़ हम।
रह़्म हम पर ऐ रब्बुल उला कीजिए।

रह़मत -ए कुल जहाँ रह़मत ए बासफ़ा।
नज़रे रह़्मत इधर भी ज़रा कीजिए।

जब भी आवाज़ आए दुआ़ कीफ़राज़।
साथ आमीन तुम भी कहा कीजिए।

ऐसी बीमारियाँ जब भी आयें फ़राज़।
ह़क्मे सरकार है घर रहा कीजिए।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना

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