Shayari On Maut And Zindagi-जिंदगी और मौत पर शायरी
Maut ki Shayari-बेवफा मौत शायरी
इस ज़मीं से क्या ग़रज़ इस आसमां से क्या ग़रज़
मौत के ख़्वाहाँ को उम्रे जाविदां से क्या ग़रज़
मौत के ख़्वाहाँ को उम्रे जाविदां से क्या ग़रज़
दास्तान सुननी अलिफ़ लैला की है जिसको पसंद
वामिक़ो उज़रा की उसको दास्तां से क्या ग़रज़
मौत स्टेटस इन हिंदी
ज़ुह्दो तक़्वा में बसर होते हैं जिसके रोज़ो शब
उस को इस दुनिया के रंगीं गुलिसताँ से क्या ग़रज़
उस को इस दुनिया के रंगीं गुलिसताँ से क्या ग़रज़
ख़िदमते ख़ल्के़ ख़ुदा करते जो रहते हैं सदा
उन को इस दुनिया के है सूदो ज़ियां से क्या ग़रज़
जो बहांरों की हुए हैं गोद में पल कर जवां
ऐसे लोगों को बहर सूरत ख़िज़ाँ से क्या ग़रज़
ज़ह्न है जिन का तअस्सुब और नफ़रत से भरा
उन को अपने मुल्क के अमनो अमां से क्या ग़रज़
गुर्बतो अफ़्लास में गुज़री है जिन की ज़िन्दगी
"नूर" उन लोगों को ताजे ज़ौ फ़िशाँ से क्या ग़रज़
डाॅ. नूर फ़ात्मा
मुगलसराय-वाराणसी
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रुठे वो इस क़दर कि मनाया न जाएगा, मौत शायरी
मौत तो उसकी ओट लेती है, ज़िंदगी और मौत पर शायरी
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