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ऐ दोस्त इसके बाद कहां सुख की आस है : हिन्दी ग़ज़ल - दर्द भरी शायरी

ऐ दोस्त इसके बाद कहां सुख की आस है : हिन्दी ग़ज़ल - दर्द भरी शायरी


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हिंदी ग़ज़ल


ऐ दोस्त इसके बाद कहां सुख की आस है
बस्ती के बाद दश्त है, सूरज है, प्यास है

आ ! बैठ जा ! नहीं तो यहां नंगे पांव चल!
आ ऐ सनम ! हरी-भरी गुलशन की घास है

अब शहर शहर कत्ल किए जा रहे हैं हम
दिल जानता है यारों, कि ख़ौफ़ो- हरास है

यूंं दोनों के मिज़ाज मिलेंगे नहीं अभी!
मौसम हसीन है ये मगर दिल उदास है

यूं इश्क़ और मुश्क में यकसां है ख़ासियत
ऐ दोस्त! दिल के ज़ख्मों में फूलों की बात है

मेरे सनम से, यारों ! मेरे दिल को है लगन,
है जब सनम उदास!, मेरा दिल उदास है

उस्ताद किब्ला हजरत-ए-जावेद फ़ैज़ क़ैस
मज़बूत आप ही से ग़ज़ल की असास है
जावेद अशरफ़ फ़ैज़
Javed Ashraf Faiz
खदीजा नर्सिंग होम, रांची, झारखंड

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