कल मुझे मतदान करने जाना है
(काव्य तरंग गीत)
“अपने मतदाताओं को, आवाज दे रहा है बिहार,
मौका मिला है, अपनी पसंद की चुनो सरकार।“
मालिक कल मुझको, मतदान करने जाना है,
आज घर जाते जाते आपको इतना बताना है।
नौकर ने अपने मालिक से साफ साफ बताया,
कल मुझे आपका काम करने, नहीं आना है।
मालिक कल मुझको.........
कोई जरूरी काम हो तो, आज करा लीजिए,
कल मेरी सारे दिन का आकाश कर दीजिए।
मेरा एक वोट चुनाव में बहुत ताकत रखता,
अपने एक वोट का दम देश को दिखाना है।
मालिक कल मुझको.........
मालिक मूक बनकर, चुपचाप सुनता रहा,
नौकर को जो बोलना था, वो बोलता रहा।
एकबार कहा, थोड़ी देर के लिए आ जाना,
नौकर ने कहा, संभव नहीं मेरा आना है।
मालिक कल मुझको...........
तुम चाहो तो कल काम करने आ सकते,
काम करके मतदान करने भी जा सकते।
तेरे एक वोट से, कुछ नहीं होने वाला है,
तुम जो बोल रहे हो, वह एक बहाना है।
मालिक कल मुझको..........
मालिक, एक एक बूंद से तालाब भरता है,
एक वोट हार जीत को सुनिश्चित करता है।
आप मालिक हैं, मैं और क्या बोल सकता?
मुझको कल अपना राष्ट्र धर्म निभाना है।
मालिक कल मुझको..........
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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