विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस
(21 मार्च)
(कविता)
विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस का हम सारे करें गुणगान,
काले गोरे का भेद नहीं हो, हर कोई होता है एक समान।
इसके लिए दुनिया में परिस्थितियां ही होती हैं जिम्मेवार,
व्यक्ति के गुणों से होती है अच्छे बुरे लोगों की पहचान।
विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस.............
जहां की जलवायु गर्म है, लोगों का रंग रूप होता काला,
ठंडे इलाकों में शुरू से गोरे रंग का ही होता है बोलबाला।
यह किसी के वश में नहीं, कि वह कहां पर जन्म लेगा,
किसी का जन्म स्थान खुद तय किया करते हैं भगवान।
विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस..............
संसार को रंग भेद मन की हीन भावना को दर्शाता है,
वसुधैव कुटुंबकम् की नीति को गंभीर ठेस पहुंचाता है।
काले कुरूप लोगों का, कहीं नहीं होना चाहिए अपमान,
किसी को अपने गोरे रंग पे नहीं करना चाहिए गुमान।
विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस,.............
दुनिया में हर इंसान को रहता अपने जीवन से प्यार,
सभी को मिले होते हैं एक समान नागरिक अधिकार।
शरीर के अंदर बहते हुए रक्त का भी, रंग एक ही है,
चार दिनों की चांदनी पर, किस बात का अभिमान?
विश्व रंग भेद उन्मूलन दिवस..........
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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