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विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस पर निबंध

विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस पर निबंध

हर वर्ष 21 मार्च को विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस (International Day for the Elimination of Racial Discrimination) मनाया जाता है। यह दिन नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination) के खिलाफ जागरूकता फैलाने और समानता व मानवाधिकारों की रक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

रंगभेद (Apartheid) और नस्लीय भेदभाव एक ऐसी समस्या रही है जिसने समाज में असमानता और अन्याय को जन्म दिया। विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस का मुख्य उद्देश्य सभी लोगों के लिए समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करना है, ताकि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति, रंग या नस्ल के कारण भेदभाव का शिकार न हो।

रंगभेद (Apartheid) क्या है?

रंगभेद का अर्थ है रंग के आधार पर भेदभाव। यह एक ऐसी नीति थी जिसमें कुछ जातियों और नस्लों को श्रेष्ठ माना जाता था और अन्य जातियों के साथ भेदभाव किया जाता था।

विशेष रूप से, दक्षिण अफ्रीका में 1948 से 1991 तक यह नीति लागू रही, जिसमें गोरों (Whites) और अश्वेतों (Blacks) के बीच भेदभाव किया गया। अश्वेतों को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाओं, आवास और मतदान जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया।

विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस का इतिहास

(i) शार्पविल हत्याकांड (Sharpeville Massacre) - 21 मार्च 1960

  • 21 मार्च 1960 को दक्षिण अफ्रीका के शार्पविल (Sharpeville) शहर में हजारों अश्वेत नागरिकों ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
  • दक्षिण अफ्रीकी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलाईं, जिसमें 69 लोग मारे गए और 180 से अधिक घायल हुए।
  • इस हिंसक घटना ने दुनिया भर में आक्रोश पैदा किया और संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1966 में 21 मार्च को "विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस" घोषित किया

  • रंगभेद और नस्लीय भेदभाव के प्रभाव

    (i) सामाजिक असमानता

  • रंगभेद से समाज में गहरा विभाजन उत्पन्न होता है।
  • यह लोगों को समान अवसरों से वंचित करता है और गरीबी और अशिक्षा को बढ़ावा देता है।

  • (ii) आर्थिक शोषण

  • रंगभेद की नीतियों के कारण कुछ वर्गों को नौकरियों और व्यापार में अवसर नहीं मिलते।
  • औपनिवेशिक काल में अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में रंगभेद के कारण स्थानीय लोगों का आर्थिक शोषण हुआ।

  • (iii) मानसिक और भावनात्मक प्रभाव

  • नस्लीय भेदभाव से पीड़ित वर्ग में हीनभावना विकसित होती है
  • यह आत्मसम्मान, मानसिक स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करता है।

  • (iv) राजनीतिक अस्थिरता

  • रंगभेद और नस्लीय भेदभाव के कारण विरोध प्रदर्शन, हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएँ होती
  • कई देशों में यह गृहयुद्ध और राजनीतिक अस्थिरता का कारण बना है।

  • रंगभेद के खिलाफ प्रमुख आंदोलन और नेता

    (i) नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का अंत

  • नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया।
  • 1994 में वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने और रंगभेद की नीति को समाप्त किया।

  • (ii) मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.)

  • अमेरिका में अश्वेतों के नागरिक अधिकार आंदोलन (Civil Rights Movement) का नेतृत्व किया।
  • "I Have a Dream" भाषण देकर नस्लीय समानता का संदेश दिया।

  • (iii) महात्मा गांधी और भारत में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष

  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया
  • उन्होंने रंगभेद के खिलाफ अहिंसक संघर्ष किया, जो बाद में भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन में प्रेरणा बना।

  • संयुक्त राष्ट्र और रंगभेद विरोधी प्रयास

    संयुक्त राष्ट्र (UN) ने नस्लीय भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई उपाय किए, जैसे:

    (i) 1965 - नस्लीय भेदभाव उन्मूलन संधि (CERD)

  • संयुक्त राष्ट्र ने नस्लीय भेदभाव उन्मूलन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि बनाई
  • इसमें नस्लीय भेदभाव को खत्म करने के लिए कानूनी उपाय अपनाने की बात कही गई।

  • (ii) 1973 - रंगभेद विरोधी संधि

  • इस संधि के तहत रंगभेद को एक अपराध घोषित किया गया
  • रंगभेद नीतियों को अपनाने वाले देशों के खिलाफ आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए गए

  • (iii) 1991 - दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की समाप्ति

  • अंतर्राष्ट्रीय दबाव और संघर्षों के कारण 1991 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति समाप्त की गई
  • 1994 में नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने और समानता की नींव रखी गई।

  • भारत और नस्लीय भेदभाव

    भारत में नस्लीय भेदभाव उतना प्रमुख मुद्दा नहीं रहा, लेकिन कुछ रूपों में जातिवाद, रंगभेद और क्षेत्रीय भेदभाव मौजूद हैं:

    (i) जातिगत भेदभाव

  • भारत में सदियों से जातिगत भेदभाव मौजूद रहा है।
  • दलितों और पिछड़े वर्गों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पीछे रखा गया।

  • (ii) त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव

  • भारत में गोरी त्वचा को सुंदरता का प्रतीक माना गया, जिससे काले रंग के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ा।
  • कई ब्यूटी ब्रांड्स ने रंग गोरा करने वाले उत्पादों को बढ़ावा दिया, लेकिन अब जागरूकता बढ़ रही है।

  • (iii) उत्तर-पूर्वी भारत के लोगों के साथ भेदभाव

  • उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों को अक्सर नस्लीय टिप्पणियों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है

  • रंगभेद उन्मूलन के लिए उपाय

    (i) शिक्षा और जागरूकता

  • नस्लीय समानता पर स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • मीडिया और सामाजिक संगठनों को रंगभेद विरोधी संदेश प्रसारित करना चाहिए।

  • (ii) कठोर कानून और सख्त कार्रवाई

  • सरकारों को नस्लीय भेदभाव रोकने के लिए कठोर कानून लागू करने चाहिए
  • अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

  • (iii) सामाजिक समानता को बढ़ावा

  • समाज को समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना चाहिए
  • रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य में सभी जातियों और नस्लों को समान अवसर मिलने चाहिए।

  • निष्कर्ष

    विश्व रंगभेद उन्मूलन दिवस हमें नस्लीय समानता और न्याय के महत्व की याद दिलाता है। हमें यह समझना होगा कि रंग, जाति या नस्ल के आधार पर कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ या हीन नहीं होता

    हमें भविष्य में एक ऐसे समाज की ओर बढ़ना होगा, जहाँ हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना के साथ, हमें एक समानता और भाईचारे से भरी दुनिया का निर्माण करना चाहिए।

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