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उम्मीद इतनी मत राखिए : टूटती उम्मीद पर कविता

उम्मीद इतनी मत राखिए : टूटती उम्मीद पर कविता


उम्मीद इतनी मत राखिए, 
दिल टूटे मंझधार। 
मतलब का संसार है, 
कौन किसी का यार।। 

सबसे बड़ा सुख यहाँ, 
स्वस्थ अगर शरीर । 
अन्त सबका एक जैसा, 
गरीब हो या अमीर।। 

उसका जीवन स्वर्ग है, 
जिसका नेक परिवार ।
 सबको राह दिखाता है, 
पति/पत्नी का प्यार।।

मुसीबत में काम आता है,
पैसा रखा पास ।
आलस सबका दुश्मन है,
बहू हो चाहे सास।।

बल से बुध्दि श्रेष्ठ है, 
इसका करो उपयोग । 
दुनिया में सबसे घातक है, 
दिल लगा बहम का रोग ।। 
 
भीम सिंह नेगी, देहरा, डाकखाना हटवाड़, तहसील भराड़ी, जिला बिलासपुर, हि.प्र

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