सोच कर कदम रखना यहाँ प्यार में : हिन्दी ग़ज़ल
काफिया : आर
रदीफ : में
212 212 212 212=20
ग़ज़ल
सोच कर कदम रखना यहाँ प्यार में।
बहुत धोखे कसम राह संसार में ।।
हम चले थे यहाँ और कुछ सोच कर।
भीड़ में खा गये चोट बेकार में।।
आप किस सोच में जी रहे हैं यहाँ।
बिकता झूठ सच आज बाजार में।।
न्याय कैसे मिले आप ही सोचिए।
घुस दरिन्दे गये आज सरकार में।।
भीम हम भेद कैसे छुपायें यहाँ।
लग चुके आजकल कान दीवार में ।।
भीम सिंह नेगी, देहरा, डाकखाना हटवाड़, तहसील भराड़ी, जिला बिलासपुर, हि.प्र.
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