पिघल रहे हैं हिमखंड तप रहे मैदान बढ़ता हुआ तापमान : पर्यावरण पर कविता
पर्यावरण
पिघल रहे हिमखंड हैं
तप रहे हैं मैदान
बढ़ता हुआ तापमान
कर रहा हमें परेशान।
बढ़ती हुई जनसंख्या
स्वार्थी हुआ इन्सान
पहुँचा रहा दिन रात है
प्रकृति को नुकसान ।
गन्दगी से भर रहे
नदी नाले तालाब
इससे हो रहा है नित
प्रकृति सन्तुलन खराब।
पेड़ लगाना जरूरी है
पर्यावरण बचाना जरूरी है
बढ़ चुका प्रदषण हवा में
आज उसे हटाना जरूरी है।
भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा, डाकखाना हटवाड़, तहसील भराड़ी, जिला बिलासपुर, हिप्र ।
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