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हिन्दू-मुस्लिम क्यों लड़ें : भाईचारे पर कविता

 हिन्दू-मुस्लिम क्यों लड़ें : भाईचारे पर कविता


हिन्दू-मुस्लिम क्यों लड़ें

हिन्दू - मुस्लिम क्यों लड़ें
दोनों इस धरती पर  पले-बढ़े
जब वतन पर संकट आया
दोनों छाती तान के खड़े।

ले डुबी नफ़रत की आँधी
मत ऐसा कोई काम करो
मिलजुल कर रहो देश में
और ऊँचा इसका नाम करो।

शातिर लोग फैलाकर अशांति
करते सबको परेशान यहाँ
ऐसे लोगोंं से सदा देशवासियों
रहना हमको सावधान यहाँ।

चन्द लुटेरे मानवता को घेरे
रहते हैं हरदम खड़े यहाँ
जहाँ देशभक्त हैं यहाँ देश में
वहाँ गद्दार भी हैं बड़े यहाँ।

भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा, डाकखाना हटवाड़, तहसील भराड़ी, जिला बिलासपुर, हिप्र ।

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