कुण्डलिया - गौ का महत्व
भारत की है संस्कृति, गाय हमारी शान।
गाय बिना सूना लगे, सब घर गली जहान।।
सब घर गली जहान, गाय है जन- जन माता।
उसके ही सब दूध,पिए जन-सभी विधाता।।
'अमर' बलिष्ठ महान,हमारे रहे महारत।
भगत सिंह सुखदेव, आदि सब अपने भारत।।
अमृत गोबर मूत्र है, छाछ दही नवनीत।
इसके मिश्रण से बने, पंचगव्य सुन मीत।।
पंचगव्य सुन मीत,भोग लगते भगवन के।
खाते लोग प्रसाद, रोग मिटते हैं सबके ।।
ईधन खादी खूब, बने खेती हो प्राकृत।
'अमर' गाय का दूध,मूत्र गोबर है अमृत।।
आयुष गोबर दूध दधि,मूत्र छाछ सब मुफ्त।
देती सेवन जो करे, हटे रोग सब गुप्त।।
हटे रोग सब गुप्त, लोग भव पार लगाती।
अंग-अंग सब देव, बसे दर्शन करवाती ।।
'जग तारक बन गाय, हमारे तारे मानुष।
लोग बनाती स्वस्थ्य,रोग हरती दे आयुष।।
अमरनाथ सोनी अमर,
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