हां तुम चौकीदार हो : माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी
विषय : हां तुम चौकीदार हो
दिनांक : 2 अगस्त, 2023
दिवा : बुधवार
अबतक तुम सा न देखा,
ऐसे ही सच्चे वफादार हो।
साबित कर दिखाया तूने,
हां तुम सच्चे चौकीदार हो।।
भारत शीर्ष पहुंचाने वाला,
भारतीय सच्चे तुम प्यार हो।
दलालों के दिल चुभनेवाले,
चाकू तुम बहुत धारदार हो।।
लोहा मनवाये विश्व को तुम,
ऐसे तुम एक असरदार हो।
तुम्हें देख अरि हटते हैं पीछे,
भारतीय पी एम शानदार हो।।
देशद्रोहियों दलालों के तुम,
जैसे सिर पर ही सवार हो।
विश्व के तुम बन गए प्यारे,
नवभारत तुम सृजनहार हो।।
भारत मां के तू सच्चे लाड़ले,
सभ्य सुशील ईमानदार हो।
सच्चे दिल सेवा करनेवाले,
हां तुम सच्चे चौकीदार हो।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी
Poem On Prime Minister Narendra Modi in Hindi
विषय : माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी
शीर्षक : द्वितीय नरेंद्र
दिनांक : 11 अगस्त, 2023
दिवा : शुक्रवार
नरेंद्र ही आए हैं दूजे रूप में,
बनकर पुनः दूजा देह नरेंद्र।
विश्व का ही प्यारा बना जो,
आज बना पड़ा वह विश्वेन्द्र।।
नर के रूप में इन्द्र बना जो,
मानव रूपी बना यह महेन्द्र।
पूरी दुनिया में विचरण करे,
बनकर वह शूर वीर वीरेन्द्र।।
स्वामी विवेकानंद का झलक,
कर्म से विराजे विवेकानन्द।
सारा जग जिससे उत्साहित,
विश्व उठाता उनसे आनन्द।।
विवेकानंद जी तो लहराए थे,
विश्व में भारत का यह झंडा।
मोदी जी भी तो लहराए रहे,
विश्व में आज झंडा तिरंगा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
किसने क्या दिया : मोदी जी पर कविता
विषय : किसने क्या दिया
दिनांक : 10 अगस्त, 2023
दिवा : शुक्रवार
किसने क्या दिया अबतक,
अंतर्मन में निज तू बोधकर।
मोदी जी ने मोदक दिया है,
भारत का विकास शोधकर।।
एक आतंकी मारा किसने,
दस दस आतंकी छोड़ा है।
जबसे मोदी युग यह आया,
आतंक मचा बहुत थोड़ा है।।
अबतक आए सभी हैं लुटेरे,
बन नकली देशभक्त यहां।
सारे दल आज फींके पड़े हैं,
नकली देशभक्त खोज कहां।।
भारत को ही कंगाल बना,
खड़ा किया भारतीय कंकाल।
मांस चमड़ा चढ़ाया जिसने,
मोदी बना भारत का मिसाल।।
शहीद हुए जो पहले सैनिक,
उनको मिला ये सम्मान कहां।
मोदी युग में सम्मान मिला है,
अब पूरा होता अरमान यहां।।
मशाल ले मिसाल बना जो,
उसके ही दुश्मन बहुतेरे हैं।
कहां थी उनकी ये देशभक्ति,
जो कहते ये भारत मेरे हैं।।
अबतक थे भारत के लाला,
अब भारत का लाल हुआ है।
दलालों को है लगी छटपटी,
जैसे मोदी ही काल हुआ है।।
आज खड़ा अभिमन्यु नहीं,
जिसे कौरव मिल मारा था।
कट्टर देशभक्त राष्ट्रीय गौरव,
पाक को जिसने सुधारा था।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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