आयरन मैन : कविता | Iron Man : Poem in Hindi
चित्रलेखन : 157
दिनांक : 20 जुलाई, 2023
शीर्षक : आयरन मैन
दिवा : गुरुवार
एक सेवक ऐसा भी है,
जो करता हमारी सेवा।
सेवक मन से सेवा करें,
वही कहलाता है देवा।।
काम कोई छोटा न होता,
अपना वह जो कर्म है।
बुरे काम में ही है बुराई,
शेष कर्म हमारा धर्म है।।
आयरनमैन कपड़े धोता,
फिर करता वह आयरन।
दाग़ सिकुड़न मिटाकर,
वस्त्र चमका मोहता मन।।
सेवा ही है जीवन गंवाता,
खुश करता हमारा मन।
हमारा भी धर्म है बनता,
कुछ दें ताकि ढक तन।।
उसके घर भी हैं परिवार,
उनका भी खाना पीना।
इसी कमाई से शिक्षा दवा,
इसी कमाई से है जीना।।
आयरनमैन सामाजिक अंग,
हमारे जीवन का सहायक।
सभ्यता का अमूल्य प्रचारक,
हमें बनाया सभ्यता लायक।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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