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दो हजार के नोट कहां चले गए : हास्य कविता

दो हजार के नोट कहां चले गए : हास्य कविता


(हास्य कविता)

2000 ke note kahan chale gaye hasya kavita

2000 Ke Note Kahan Chale Gaye Hasya Kavita


दो हजार के नोट, तुम कहां चले गए?
तेरी ही याद में हर धनवान रो रहा है। 
नीचे हरी भरी प्यारी धरती हंस रही है,
ऊपर उम्मीदों का आसमान रो रहा है।
दो हजार के नोट…………

गरीबों को कोई भी फर्क नहीं पड़ता है,
मिले तो, वह तुझे छूने से भी डरता है।
हर दुश्मन बहुत प्यार करता है तुमसे,
गला फाड़कर, ये पाकिस्तान रो रहा है।
दो हजार के नोट……….

जोर जोर से, छाती पीट रहे कई नेता,
हर कीमत पर, तुझे पाना चाहते नेता।
एक झलक से चैन मिल जाए मन को,
आकाश में मंडराता, विमान रो रहा है।
दो हजार के नोट………….

बड़े प्यार से अमीरों ने छुपा लिया था,
कालाबाजारी को बढ़ावा मिल गया था।
सरकारी खजाने की हो रही थी पिटाई,
सीने में उड़ास दिल नादान रो रहा है।
दो हजार के नोट……….

साल 2024 में है देश का आम चुनाव,
पहले ही दे दिया तुमने एक बड़ा घाव।
आसान नहीं होगा अब कुछ भी करना,
हाय तेरी खातिर हर बेईमान रो रहा है।
दो हजार के नोट…… 

बड़ा कठिन था तुमको छुट्टा करवाना,
लेनेवाला बनता था, सदा नया बहाना।
नकली नोटों ने और बढ़ा दी मुश्किल,
आतंकी देशों का, हुक्मरान रो रहा है।
दो हजार के नोट………..

तुम जहां भी हो, वहीं करते रहो आराम,
भारत में तेरा अब, नहीं है कोई काम।
मत वापस आना कभी ससुराल से तुम,
दीया जलाकर, कैसे सुल्तान रो रहा है? 
दो हजार के नोट………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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