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परिणाम, नतीजा, फल : हिंदी कविता | Parinam Natija Phal : Hindi Kavita

परिणाम, नतीजा, फल : हिंदी कविता | Parinam Natija Phal : Hindi Kavita

नवसृजन : 127
विषय : परिणाम, नतीजा, फल
विधा : पद्य
शीर्षक : श्रम
दिनांक : 23 मई, 2023
दिवा : मंगलवार

कर्म जीवन की भूमिका,
निष्कर्ष है जिसका फल।
तममय ज्योर्तिमय होता,
आनेवाला ही वह कल।।
जीवन के पल बहुमूल्य है,
पल पल पर आश्रित कल।
पल को जो समझा न पाया,
पल भी बह जाता है नर।।
श्रम करे शीश ऊंच होत है,
श्रम बिन अधूरा होता कर्म।
फल निकलता जब है बुरा,
तब आती बहुत ही है शर्म।।
कर्मवान को ऊंच पहुंचाता,
सुन्दर फल होता है इनाम।
कर्महीन का कल ग़र्क होता,
जब मिल जाता है परिणाम।।
काका मौसा फूफा व पिता,
क्यों न हों वे चाचा भतीजा।
जैसा कर्म फल वैसा मिलता,
बुरे काम का है बुरा नतीजा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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