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आज के हालात कुदरत का कहर | Aaj Ke Halat Kudrat Ka Kahar

आज के हालात कुदरत का कहर | Aaj Ke Halat Kudrat Ka Kahar


विषय : आज के हालात कुदरत का कहर
दिनांक : 4 जून, 2023
दिवा : रविवार

हो रहा विषाक्त आज,
हर ग्राम व हर शहर।
आज के हालात ये,
कुदरत के हैं कहर।।
ले रही दुनिया आज,
अपनी खूब वाहवाही।
तीन ट्रेनों की टक्कर में,
कहीं तो है लापरवाही।।
तीन सौ जनों की मृत्यु,
जो मरे पड़े हैं बेमौत।
कोई तो होगा जिम्मेदार,
इन जीवन का बना सौत।।
अपने अंदर ही भरा दोष,
दूसरे पर ही बरसाते रोष।
किसी की मां बाप भाई हों,
क्या इसका नहीं अफसोस।।
हमारे जीवन में जहर भरा,
स्वार्थ में नाचे मन हर पहर।
आज के हालात ये ऐसे,
कुदरत बरसाता कहर।।
व्यर्थ कुदरत को दोष दें,
मानव ही मानव का अरि।
आपन दोष कोऊ न कहे,
दोष विकार बने सहचरी।।
ईश आत्माओं को शांति दें,
परिजनों को सहन करे प्रदान।
हम मानव को दे दो सद्बुद्धि,
अभी से प्राप्त करें हम ज्ञान।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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