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नायाब, उत्कृष्ट, उम्दा | Nayab Utkrusht Umda

नायाब, उत्कृष्ट, उम्दा | Nayab Utkrusht Umda
नवसृजन : 128
विषय : नायाब, उत्कृष्ट, उम्दा
दिनांक : 30 मई, 2023
दिवा : मंगलवार
लेखन हो नायाब,
रचना हो उत्कृष्ट।
उम्मीद हो उम्दा,
शुभाचरण हो सृष्ट।
अपनी ही सब देखें,
अपना कुछ न बिगड़ेगा।
उज्ज्वल होगा भारत,
विश्व में आगे निखरेगा।।
आचरण व व्यवहार उत्तम,
सभ्य शिष्ट वाणी निखार।
सर्वत्र इसकी होगी पूजा,
विश्व से मिलेगा अधिक प्यार।।
ईर्ष्या द्वेश हटे जिस दिन,
तकरार उसी दिन मिटेगा।
उपजाति होगी दो केवल,
जाति मानव ही एक टिकेगा।।
सोच हो नायाब हमारा,
उत्कृष्ट हमारा सत्कर्म हो।
उम्मीद हो जाय उम्दा तो,
मानवता भी हमारा धर्म हो।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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