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हंसते जख्म : ज़ख़्म पर कविता और शायरी | Zakham Kavita Shayari Hindi

हंसते जख्म : ज़ख़्म पर कविता और शायरी | Zakham Kavita Shayari Hindi

Zakham Kavita Shayari Hindi



विषय: हंसते जख्म

दिनांक : 23 अप्रैल, 2023
दिवा : रविवार
विधा : पद्य
जख्म तो जख्म ही होते हैं,
जो जीवन को रुला देते हैं।
जीवन को करते हैं घायल,
फिर जीवन को सुला देते हैं।।
किंतु कुछ जख्म ऐसे भी होते,
जो जीवन को हंसा देते हैं।
करते तो हैं दिलों को घायल,
दूजे को दिल में बसा देते हैं।।
रोते जख्म तो सारे ही हैं देते,
हंसते जख्म कोई कोई देते हैं।
दिल बनाते दिल हेतु कायल,
बहुत सुन्दर वस्तु खोई देते हैं।।
हंसते जख्म एहसान हैं देते,
दिल को दिल से मिला देते हैं।
बीतता सहर्ष सुखमय जीवन,
रोते जीवन खिलखिला देते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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