ग़ज़ल : धूप की रंगत सुहानी लगे है : डाॅ सुमन मेहरोत्रा
Ghazal : Dhoop Ki Rangat Suhani Age Hai
धूप की रंगत सुहानी लगे है
बाल की चढ़ती जवानी लगे है।
दिल के आंगन में बसी थी एक छवि,
भूली बिसरती कहानी लगे है।
सूर्य की तपन का जोशीला पन,
सच खुदाय मेहरबानी लगे है।
बसंती हवा बही जमीं खिल गई,
इसकी छुअन आसमानी लगे है।
मन में सजाये' सुमन' सपने अगर,
ठिठुरन ठंड की कुर्बानी लगे है ।
(स्वरचित)
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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