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हिन्दी बाल कविता चौपाई के रूप में मौखिक वर्णों का ज्ञान

हिन्दी बाल कविता चौपाई के रूप में मौखिक वर्णों का ज्ञान

हिंदी वर्णमाला
अ से अनार का मीठा दाना।
आ से आम पके तो खाना।।
इ से इमली चटनी बनवाओ।
ई से ईख खूब चूसो चबावो।।
उ से उल्लू रात में ही उड़ता।
ऊ से ऊन का स्वेटर बुनता।।
ऋ से ऋषि ध्यान है लगाता।
विश्व शांति की पाठ कराता।।
ए से एँड़ी खूब रोज रगड़ना।
ऐ से ऐनक कभी न पहनना।।
ओ से ओखली डालकर धान।
औ से औरत कूटे मूसल तान।।
अं से अंगूर जी भरकर खाओ।
अः भी स्वर है इसे मान जाओ।।
क से कबूतर खूब चुगता दाना।
ख से खरगोश सा दौड़ लगाना।।
ग से गमला में ये फूल लगाओ।
घ से घर खूब सुन्दर सजाओ।।
ङ से कुछ नहीं होता मेरे भाई।
व्यंजन केवल यह तो कहलाई।।
च से चरखा तुम खूब चलाओ।
छ से छतरी वर्षा में ये लगाओ।।
ज से जहाज पर घुमने जाना।
झ से झंडा तुम ये घर फहराना।।
ञ से भी कुछ नहीं होता भाई।
यह भी व्यंजन वर्ण है कहलाई।।
ट से टमाटर लाल लाल खाओ।
ठ से ठठेरा को शीघ्र ही बुलाओ।।
ड से डमरू भी तुम खूब बजाना।
ढ से ढक्कन बर्तन पर लगाना।।
ण से कुछ नहीं होता मेरे भाई।
यह भी व्यंजन वर्ण है कहलाई।।
त से तबला पे तुम थाप लगाना।
थ से थर्मस तुम स्कूल ले जाना।।
द से दवात में स्याही भरवाओ।
ध से धनुष पर तीर भी चढ़ाओ।।
न से नल पर सुबह ही नहाओ।
फिर जाकर तुम खाना खाओ।।
प से पतंग आकाश मे उड़ाओ।
फ से फल रोज सुबह में खाओ।।
ब से बत्तख का सुनो तुम गाना।
भ से भालू का ये ढोल बजाना।।
म से मछली ही जल की है रानी।
बहुत चतुर और बहुत सयानी।।
य से यज्ञ खूब साधु है करवाता।
र से रथ पर देखो राजा जाता।।
ल से लट्टू न कभी भी नचाना।
व से वक सा ध्यान तुम लगाना।।
श से शर्बत गर्मी में खूब पीना।
ष से षट्कोण कितने है गिना।।
स से सँपेरा तो साँप है नचाता।
ह से हल तो किसान है चलाता।।
क्ष से क्षेत्री किसान है कहलाता।
त्र से त्रिशूल साधु खूब घुमाता।।
ज्ञ से ज्ञानी जब तुम बन जाना।
जग में तुम खूब नाम कमाना।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
*इस रचना को अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित करने से पूर्व इसके रचनाकार से अनुमति लेना अनिवार्य है
नोट : यह रचना आज से लगभग पंद्रह वर्ष पुरानी है।

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