प्रभु से विनती : हिंदी प्रार्थना Prabhu Se Vinti Prayers Hindi
प्रभु से विनती
हे प्रभु ये तो बता,
क्यों बैठा तू मौन है ?
सब कहते मैं हूँ तेरा,
तू बता मेरा कौन है ?
बहुत बोले तीनों युग,
कलियुग क्यों चुप हो।
बहु उपदेश दिए तुम,
कलियुग क्यों लुप हो ?
अत्याचार है चरम पर,
नृशंस हत्याएँ हो रही।
हो रहीं नारी हैं शोषित,
लोक लाज ये खो रही।।
तुम भी आज खो रहे,
खो रही संस्कृति हमारी।
अनैतिकता बढ़ा जग में,
नैतिकता कमी हुई भारी।।
मदिरा एक स्वयं विषैला,
उसमें भी विष ही भरे हैं।
जहरीला शराब पीने से ही,
आज अनेकों शव पड़े हैं।।
कलियुग शीघ्र आओ ईश्वर,
यथोचित मार्ग तुम दर्शाओ।
नीच दुष्ट अधम को मारकर,
लोक लाज संस्कृति बचाओ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
1 टिप्पणियाँ
जन जन हेतु हो समाचार ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी उर्दू साहित्य संसार ।।