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हमरा पईसा चाहीं : हास्य व्यंग भोजपुरी रचना

हमरा पईसा चाहीं : भोजपुरी रचना

व्यंग्य
ना अईसा चाहीं ना वईसा चाहीं,
ना हीरा मोती जईसा चाहीं,
हमरा पईसा चाहीं।
कहीं बढ़ल माँग बा,
कोई खींचत टाँग बा,
भले बैल रूप में भईंसा चाहीं,
हमरा पईसा चाहीं।
चाहे मरत नानी होखे,
चाहे जतना ज्ञानी होखे,
भले बदनाम रईसा चाहीं,
हमरा पईसा चाहीं।
अभिमानी होखे स्वाभिमानी होखे,
लेकिन खूबे दानी होखे,
भले गरीब गुर्वा सईसा चाहीं,
हमरा पईसा चाहीं।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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