Tanhai Kavita Hindi | Poem Tanha Tanha
रविवासरीय प्रतियोगिता
दिनांकः 30 अक्तूबर 2022
दिनः रविवार
तन्हाई पर कविता : तन्हा तन्हा
विषयः तन्हाई
शीर्षकः तन्हा तन्हा
आया तो हूँ मैं तन्हा तन्हा,
पर यहाँ भी तो तन्हाई है।
यहाँ मची तेरे मेरे मेरे तेरे,
तन्हा का जामा पहनाई है।।
सब कहते हैं सब मेरे हैं,
कोई न कहता कुछ तेरे हैं।
तेरे मेरे में संबंध फँसा है,
समझ समझ के ही फेरे हैं।।
तन्हा आए तन्हाई खोने,
तन्हा ही यहाँ भी पड़े हैं।
भरे पड़े सब यहाँ धरा पर,
सबके बीच तन्हा ही खड़े हैं।।
आए तो हैं तन्हा ही यहाँ पे,
तन्हा ही जाना भी यहाँ से।
तेरे मेरे मेरे तेरे के चक्कर में,
सच्चा संबंध निभाना कहाँ से ?
आए तो यहाँ संबंध निभाने,
संबंध जबकि हम तोड़ रहे हैं।
पर को हम अपना कहकर,
उसकी बाँहें हम मरोड़ रहे हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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