उम्मीद भरोसा, यकीन, विश्वास और आस्था पर कविता और शायरी हिंदी
नवसृजनः 94
दिवसः मंगलवार
विषयः उम्मीद, भरोसा, यकीन
विधाः पद्य
शीर्षकः आस्था
जीवन में प्रथम निहित आस्था,
आस्था लिए होता है विश्वास।
विश्वास से ही उम्मीदें हैं जगती,
फिर पूरण हो पाती यह आस।।
आस पर ही यह जीवन टिका,
इस बिना यह जीवन निराश।
हाथ लगती जब यह निराशा,
तब जीवन ही होता है उदास।।
जीने हेतु विश्वास को जगाओ,
विश्वास होता आश पे निर्भर।
जीवन तो एक बहती दरिया,
बनकर बहता रहता है निर्झर।।
एक कहावत कहती है दूनिया,
जबतक साँस तबतक आस।
आस खत्म होती है दुनिया से,
जब तन हो जाता है निःश्वाँस।।
भरोसे पर ही टिकी है दुनिया,
एक दूजे को देख होता यकीन।
एक निपटाते दूजा काम करते,
जैसे जल में स्थिर न होए मीन।।
मीन दीन सब रहते हैं जीवित,
जीवन पे होता उनका विश्वास।
जीवन जियो विश्वास ही करके,
विश्वास ही हो जीवन का पाश।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा( सारण )
बिहार।
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