स्वतंत्रता दिवस पर रचना | Swatantrata Divas Par Rachna
हमने तो भर दी श्याही से सादे पन्नों को,
तबज्जो करो न करो जनहित की, मर्जी तुम्हारी है।
हम निकले मुक़ाम, तुझे देख सफर को,
बाजू से छुप निकल जाओ, बात अजिबोगरीब, सवाली है।।
हमने तुमको जयमाल पहना, जयपुर दिल्ली की राह दिखाई।
तुमने सबसिडी कर के बोझ तले दबा, कैन्टिनें अपनी चमकाई।।
खून दीवारों पर छिड़क, वतन को आजादी दिलवाई।
तुमने माँ-बहन-बेटियों की, सरयाम निलामी बुलवाई।।
क्षमादान दिया बहुत बंचकों, अब हमने ऐलान किया है।
काला मुँह करवायें आतंकी, देशभक्ति का स्वांग किया है।।
संविधान बना जब राजनैतिक आजादी ऐलान हुई थी।
संविधान निर्माण कुल 64 लाख रुपये की मुद्रा खर्च हुई थी।
२ साल, ११ महीने और १८ दिन की अवधि इसमें लगी थी।
२६ जनवरी १९५० से लागू हुआ, गणतंत्र भारत हर्षाया था।
हमने लाल किले पर गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया था।
संविधान दुनिया में संप्रभु देशों में सबसे लंबा बन उभरा था।
सच है इसमें मुंगलिया सल्तनत- फिरंगियों का रंग चढ़ा था।।
जला दो अरमानों को, इल्तिज़ाओं को मारो गोली।
नेकी का दामन पकड़ो, छोड़ दो बदी की संकरी गली।।
तीन तलाक और अनेक सुधार माना, इधर हुए हैं।
विदेशियों के दल्लाल मंचों से, असंतुलित हो बोले हैं।
अनाधिकृत धन संचय अवैद्ध, बिगुल आज बजाओ।
विकेंद्रीकरण कर छत सब को, अन्न कलम दवा पहुँचाओ।।
धन्यवाद्! जय हिंद!! वंदे मातरम्!!
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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