यादें तुम मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ती : बीते दिनों की यादें दिलाती रचना
पुरानी यादें कविता
दिनांक ...12.6.22
विषय... यादें (स्वतंत्र)
शीर्षक.... यादें
यादें तुम मेरा पीछा
क्यों नहीं छोड़ती।
कभी दिन कभी रात
किसी न किसी रूप में
मेरे दीदार को, तुम
मेरे आगे -पीछे दायें-बांये
नाचती रहती हो।
यादें तुम क्या समझाना चाहती,
दीवानगी की उन हवाओं को,
फिर क्या उगाना चाहती
कसमें वादे, बेवफा के तकादे,
बड़े बेमुरुउत होते हैं वे लोग,
जो पाल लेते हैं ऐसे आरोप,
पनाह मॉंग ले तू,
यादें तुम मेरा पीछा
क्यों नहीं छोड़ती।
मतलब निकलता,
खिसकते है लोग
जेबकतरों से ज्यादा
मात देते हैं ये लोग,
अपनी कटी तस्वीरों को,
गोंद से सटाते हैं ये लोग,
धब्बों को थूक से,
चाट लेते हैं ये लोग।
आग लगा कर दिल में,
खौला देती है क्यों,
हम तो शांत बैठे थे,
पर तुमने क्यों दस्तक दी,
और हमीं को फिर यूं,
बेपरदा किया।
यादें तुम मेरा पीछा
क्यों नहीं छोड़ती।
(स्वरचित)
____डा०सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार।
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