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सौदार्यमयी लीची रानी : लीची पर कविता | Poem On Litchi in Hindi

सौदार्यमयी लीची रानी : लीची पर कविता | Poem On Litchi in Hindi

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Litchi Par Kavita | लीची पर कविता

सौदार्यमयी लीची रानी
झूमे लीची की डाली
हरी भरी मतवाली,
उस पे बैठी रसभरी,
सौंदर्यमयी लीची रानी,
सभी ललचाई
नजरों से देख रहे,
रसभरी मीठी मीठी
सौंदर्यमयी बन के देखो,
डाल डाल इठालये,
लो मुस्करा गया बाग मेरा,
लाल चुनरिया ओढ के प्यारी,
शाही बग्घी पर बैठी लीची रानी,
मुजफ्फरपुर की सैर करने आई,
देखो सहेलियों संग बलखाती,
अकेले रहने की अदा
इन्हें नहीं आती,
बच्चे बूढ़े और जबां
सारे इन पे हुए फ़िदा,
सौंदर्यमयी लीची रानी,
हर वर्ष आती,
मुजफ्फरपुर की शान बढाती।

(सवरचित )
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार

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