Ticker

6/recent/ticker-posts

पितृ-दिवस पर विशेष पिता ही प्रजापति हैं

पितृ-दिवस पर विशेष पिता ही प्रजापति हैं

pitri-diwas-par-vishesh-kavita

पितृ-दिवस पर विशेष कविता

पिता ही प्रजापति हैं
पिता! जीवन उद्यान
के माली हैं,
जो करते पुष्पों की रखवाली हैं।
पिता ! मेह के खंभा हैं,
पिता!पटिया नहीं,
मेहिया बैल हैं।
पिता ! परिवार के गर-जोड़ा हैं
भार न उन पर थोड़ा है।
पिता!टौफी और लेमन- चूस नहीं
वे तो कड़वी निंबोली हैं।
पिता! गुलमोहर के फूल नहीं
वे तो केवड़ा, ग़ुलाब के कांटे हैं।
पिता ! बरगद की छांव नहीं
वे तो निंब के दरख़्त है
जिसके छाल, पत्तियां, फ़ूल-फल
और रस तीक्ष्ण तथा कड़वे होते हैं,
पर ये सभी सेहत के लिए
अतिशय गुणकारी
तथा अमृत तुल्य होते हैं।
पिता! जल -सिहोड़ा और नारियल फल हैं,
जो ऊपर से शख्त और
और भीतर से कोमल होते हैं।
पिता हीं प्रजापति हैं
इसीलिए पूजे जाते हैं
पिता !वचन निभातें हैं
यही कारण है कि-
हम उनका गीत गाते हैं।

रचना --
उदय नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर (बिहार)
६२००१५४३२२

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ