मैं हूं पुस्तक : पुस्तक पर कविता Main Hun Pustak : Poem On Book in Hindi
मैं पुस्तक हूं : किताब पर कविता
मैं हूं पुस्तक
ज्ञान को अक्षुण्ण रख
सज गया मेरा रूप सदा
भाषा के मौखिक रूप की
मैं ही अनुपम धरोहर
ध्वनि की वर्णमाला बनी
बच्चे युवा बुजुर्ग की मैं ही
ज्ञानस्थली, ज्ञान गंगा सदा,
जीवन के विभिन्न रूपों से सजी
हर पग पर नवीनतम रूप मेरा
हास्य, व्यंग्य, कहानी, लेख,
काव्य की रसधार हूं सदा
हर रूप में ज्ञान का भंडार हूं
छोटे से बड़े को देती प्रतिष्ठा,
हर क्षेत्र में मेरा बोलवाला सदा
ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, समाज,
राजनीति, इतिहास, मनोविज्ञान से
आकाश, धरती, पाताल में व्याप्त
धर्म, वेदांत, पुराण का खज़ाना हूं
सुसंस्कृत से सज्जित विरासत हूं मैं
डा० सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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