Maharana Pratap Par Kavita | महाराणा प्रताप की जयंती पर कविता
जय हो राजस्थान की महाराणा के शान की : महाराणा प्रताप जयंती पर कविता
महाराणा प्रताप जयंती
दो जून
आओ संग में झूम नाच लें हम,
राजपूती आन बान शान की।
भारत की पावन पवित्र धरा है,
वह स्वर्ण मिट्टी राजस्थान की।।
जय हो राजस्थान की।
महाराणा के शान की।।
रग रग राजपूती खून था दौड़ा,
जीवन जिसका यह निराला था।
अरियों को पग पग धूल चटाए,
क्षत्रिय धर्म का वह तो आला था।।
अरि समक्ष नहीं जो घुटने टेका,
रक्षक बना जो स्वाभिमान की।
भारत की पावन पवित्र धरा है,
वह स्वर्ण मिट्टी राजस्थान की।।
जय हो राजस्थान की।
महाराणा के शान की।।
हवा से बात करनेवाला घोड़ा,
चेतक लेता हवा से पाला था।
अरियों समक्ष अड़ता डटकर,
वीरता का पहने जो माला था।।
राणाप्रताप करते हुए सवारी,
रक्षा किए थे मर्यादित मान की।
भारत की पावन पवित्र धरा है,
वह स्वर्ण मिट्टी राजस्थान की।।
जय हो राजस्थान की।
महाराणा के शान की।।
क्षत्रिय धर्म के थे जो संरक्षक,
राजपुताना शाही ही शान था।
खुलकर अरि को देते चुनौती,
राजपूती शान ही अरमान था।।
निज कीर्ति से बढ़ाता गौरव,
स्व राष्ट्र भारत हिन्दुस्तान की।
भारत की पावन पवित्र धरा है,
वह स्वर्ण मिट्टी राजस्थान की।।
जय हो राजस्थान की।
महाराणा के शान की।।
आओ संग में झूम नाच लें हम,
राजपूती आन बान शान की।
भारत की पावन पवित्र धरा है,
वह स्वर्ण मिट्टी राजस्थान की।।
जय हो राजस्थान की।
महाराणा के शान की।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
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