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इश्वर का इशारा : प्रेरणादायक कविता | Ishwar Ka Ishara Kavita

इश्वर का इशारा : प्रेरणादायक कविता | Ishwar Ka Ishara Kavita


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ईश्वर का इशारा

सहारों को ही सहारा मिलता है,
बेसहारों को बेसहारा मिलता है।

स्व बाहुबल पर करो तुम भरोसा,
ऐसा ईश्वर का इशारा मिलता है।।

चल पड़ा ईश का इशारा समझ,
जब ईश का ही सहारा मिलता है।

कर्ममार्ग में जब मिली सफलता,
सफलता देख हृदय खिलता है।।

दीन हीन याचक तो होते साधन,
दयालु उपकारी होते हैं साधक।

सबसे बड़ा साध्य है ईश्वर होता,
मार्ग त्याग भागता तब बाधक।।

अज्ञानी को जो ज्ञान है सिखाता,
वह मानव बहुत महान होता है।

दिन हीन याचक से ऊपर उठाता,
वही सच्चा मानव भगवान होता है।।

देखने में तो सब भगवान दिखते,
किन्तु हृदय में ही शैतान छुपा है।

मंदिर मस्जिद में जमीनी कब्जा,
धर्म में अधर्म अरमान छुपा है।।

किसको आज मैं साधक बताऊँ,
हर मानव स्वार्थ से है घिरा हुआ।

उपकार भी नहीं स्वार्थ से वंचित,
मानव बना इंसान है गिरा हुआ।।

हृदय की वेदना कितना बतलाऊँ,
हृदय को आता है रोना ही रोना।

इंसानियत रही नहीं कहीं दिल में,
दिल चाहता अब जीवन खोना।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560

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