पिता दिवस पर कविता - Fathers Day Poems in Hindi
पिता
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ये भव, गम रूपी भंवर,
पार लगाए गमों से,
पिता वो कश्ती।
कुदरत की नेमत
उनकी सख्ती,
मुस्कान उनकी प्रदत,
पिता आत्मीय हस्ती।
पूर्ण रूप से निश्चिंत
रहते तब तक,
यदा रहते पिता सलामत।
हार्दिक उनका अनुराग,
कभी न प्रभुत्व जताते,
बोध न कर पाते बच्चे,
बिना अभिव्यक्ति का प्रेम,
मां के आंचल से ही
लिपटे होते नादान,
मां को समझते सर्वस्व,
ये देख थोड़ा मायूस,
फिर हर्षित होता पिता।
संघर्ष की आंधियों में पिता
हौसले की दीवार,
अदृश्य हो कर भी मनोरम,
पिता का निश्चल प्यार।
(स्वरचित)
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार
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