माँ पर कविता मदर्स डे पर कविता | Mother's Day Poem In Hindi
ऐ मातृ शक्ति तुझको नमन
(विश्व मातृ दिवस : कविता)
हर साल मई का जब आता दूसरा रविवार,
मातृ दिवस पर मातृ शक्ति को नमस्कार।
ऐ मातृ शक्ति तुझे नमन,
तुम से गुलजार है चमन।
तुमसे बड़ी कोई चीज नहीं,
तुम ही दिल की धड़कन।
ऐ मातृ शक्ति………
तुम दुर्गा हो, सरस्वती हो,
तुम गौरी हो महाकाली हो।
धरती से कहा करता सदा,
ऊपर से यह नील गगन।
ऐ मातृ शक्ति………
सब पर भारी तेरी ममता,
तेरे ही अंदर सारी क्षमता।
तुम हमेशा सुलझी हुई हो,
मन में नहीं कोई उलझन।
ऐ मातृ शक्ति……..
तुम पालना हिलाती रहती,
सारे दुःख भी सहती रहती।
तुम कल्याणी, महादेवी हो,
कहती सबसे सनन पवन।
ऐ मातृ शक्ति……..
हर किसी को हुआ एहसास,
सम्मान हेतु दिन हो खास।
तुमसे तो जग सम्मानित है,
त्याग में बीत जाता जीवन।
ऐ मातृ शक्ति……..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
World Mother's Day Poem In Hindi | विश्व मातृ दिवस कविता हिंदी में
World Mother's Day Poem In Hindi
(कविता)
विश्व माता दिवस पर आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाइयां।
मां तेरे ही चरणों में स्वर्ग है,
मां मैं कहीं और क्यों जाऊं?
मैया तुम ही तो महादेवी हो,
कहीं और शीश क्यों झुकाऊं?
कैसे भूलूं मां तेरे आंचल को?
मन करता है फिर छुप जाऊं।
मां तेरे ही चरणों में……….
तुझे अपनी चिंता बिल्कुल नहीं,
हर पल मेरे लिए रहती परेशान।
अपने अमृत से सींचकर हे मैया,
तुमने मुझे कर दिया है जवान।
तेरी लोरियां, खोजते हैं मेरे कान,
अपने मन को मैं कैसे समझाऊं?
मां तेरे ही चरणों में………..
तेरी सेवा का अच्छा मौका मिला,
मां ये तो मेरी अच्छी तकदीर है।
क्यों मुझे छोड़ गई बरसों पहले?
मन के मंदिर में, तेरी तस्वीर है।
अगले जन्म फिर मुझे मौका देना,
क्या क्या सोचता हूं, कैसे बतलाऊं?
मां तेरे ही चरणों में………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
माँ की ममता शायरी Maa Ki Mamta Shayari
माँ की ममता
(कविता)
माँ तेरी ममता का, कोई मोल नहीं,
जो हर पल लिखती है नई कहानी।
जो नहीं जान पाया है इसे अबतक,
किस काम की लगती है जिंदगानी?
माँ तेरी ममता…
तेरी ममता से हमें, मिलती ऐसी छांव,
जहां कोई भी चल सकता है नंगे पांव।
बरगद पीपल भी, रहना चाहे यहीं पर,
माँ तेरी ममता हो सकती नहीं पुरानी।
माँ तेरी ममता…
किसी दिन चाहे सारा जग बदल जाए,
तेरी ममता को फिर भी न आंच आए।
सबसे अधिक भरोसा लोग करते मैया,
अनंत काल तक रहेगी इसकी निशानी।
माँ तेरी ममता…
सदाबहार लगती तेरी ममता की छाया,
कहीं और नहीं, जो सुख यहां पर पाया।
माँ तुम तो ममता की मूरत हो सच्ची,
सुला लो गोद में, आ रही निंदिया रानी।
माँ तेरी ममता…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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