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संगीत और संगीतकारों को समर्पित कविता : ढोलक तबला पखावज नाल

Poems Dedicated To Music And Musicians in Hindi


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Sangeet aur Sangeetkaro Ko Samarpit Kavita

चित्रलेखन 94
12 मई, 2022
ढोलक तबला पखावज नाल,
सजी पड़ी यह भारी दूकान।

संस्कृतिक दीया दिखानेवाले,
जरा न सींकन देह में थकान।।

तन तो अब यह थक चुका है,
जोश मन से यह गया नहीं है।

वाद्य कला को जोश देने वाले,
तेरे जोश का जोर बयाँ नहीं है।।

सच्चे तन मन से कर रहे सेवा,
अथक परिश्रम से भरा दुकान।

दिखता तुम्हारा पाँचवाँ पन है,
तीसरे पन का है परिश्रम महान।।

धन्य हुआ यह तेरा अब जीवन,
नहीं जीवन में रहा कभी गम है।

लोकसांस्कृतिक सेवा करनेवाले,
तेरे बाजु में आज अभी दम है।।

मन के हारे ही तो हार है होता,
मन के जीते ही हो पाता है जीत।

पाँचवें पन में भी यह जोश भरा,
उत्साह साहस हैं जीवन के मीत।।

सुंदर मन के सुंदर ये गीत निराले,
तबले नाल सा तने हैं तेरे भी तान।

संस्कृति भाव को दीपक देनेवाले,
कर्मकृत्य से तुम महात्मा महान।।

सच्चे मन से सच्ची सेवा दिए हो,
राष्ट्रहित हेतु ही यह तेरा चमन है।

हे राष्ट्र के तू सच्चे हित के सेवक,
अरुण दिव्यांश का तुझे नमन है।।

अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना

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