नीरव गीत : उदास मन पर कविता Neerav Geet Sad Poetry in Hindi
नीरव गीत
रात मैंने गुजारी मरघट पर
सुनाने, शांत नदी को
कोई आया था, नीरव गीत
पिया हलाहल,
मदहोश था।
चाॅंदभी सह न सका,
विलीन हुआ अंबर में,
मैं निष्प्राण सी
सुनती रही -----
मेरा ही टूटा कलेजा था,
चोट खा कर वह जमाने की
उसी के गुन गा रहा।
नदी सिहर उठी,
उसके रुदन से,
बन के फेन ऑंसू बहे,
एक ओर थी भॅंवर
एक ओर चिंता जली,
गीत के हर शब्द का,
अर्थ था,
मुझसे अब दूर।
(स्वरचित)
______डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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