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नारी की विवशता : सच्ची घटना पर आधारित कहानी

Nari Ki Vivashta : Sacchi Ghatna Par Aadharit Kahani


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महिलाओं पर अत्याचार की सच्ची कहानी

सुबह - सुबह रोने की आवाज़ आई। सब लोग अपने घर के बाहर आ कर देखते है? अरे ये तो रोज का काम है चलो - चलो अपना काम करो बोलते हुऐ मुखिया जी सबको अंदर कर देते है। बिचारी रीना ( काल्पनिक नाम) रोज सुबह मार खा कर सबके लिऐ चाय- नाश्ता बच्चों के लिए दूध, खाना बना कर टोकरी में ले खेत पर जाती। कभी कंकड़ पत्थर इकट्ठा करती तो कभी कटी फ़सल को। पर आज तो हद हो गई रीना की सासु माँ ने रीना के द्वारा बनाया गया खाना रोड पर फेंक दिया और जलते हुए चूल्हे में रीना के दोनों हाथ आग में डाल दिए।


बिचारी रीना रोती रही, थोड़ी देर बाद रीना की चाची (सासु माँ) को पता चलता है, वो भाग कर आईं और सबको बहुत खरी - खोटी सुनाई तथा बेचारी रीना की हाथों में मलहम लगाया। रीना सात भाईयों की इकलोती बहन है। बहुत ही लाड़ प्यार से बड़ी हुई। उसने कभी भी पानी भर कर नहीं पिया। रीना के भाई ने शादी से पहले बताया था खाना बनाना सीख रही है, तब तो आप लोग तैयार थे फिर अब ऐसा क्या हो गया कि रीना के हाथ जला दिये। रात को रीना से कुछ लिखते नहीं बना इसलिए सुबह जब बाहर झाड़ू मारने निकली तो पास में रहती एक लड़की जो रिश्ते में ननद लगती थी, उसको अपनी कल की कहानी सुनाकर बोली, मेरे भाई को चिट्ठी लिख बता दो, हमें यहां नही रहना है।


भाभी आप अभी यहां से भाग जाओ खेतों में से। अभी सब सो रहे हैं, नही तो, पता नहीं ये लोग क्या करेंगे। चिंता जाहिर करते हुऐ रीना की ननद ने बोली। नहीं दीदी हमारी मां का नाम ख़राब होगा, कैसी लड़की को जन्म दिया, शादी के बाद आशिक के साथ भाग गई। कोई नहीं समझेगा कि बात क्या थी, और हमारे साथ कौन खड़ा है जो साथ देगा ये लोग हमारे घर वालों को परेशान करेंगे। रीना रोते हुए बोली ठीक है भाभी, वैसे भी भाग कर आई लड़की को मायके के दरवाज़े कब खुलते है, रीना की ननद से गुस्से में बोली।


चलो दीदी चलती हूँ। थोड़ा देर हुई तो पता नहीं क्या करेंगे ये लोग। रीना से चिंता जाहिर करते हुए बोली। रीना का पति सुबह जागते ही चाय की फर्माइश की। रीना के हाथ जले होने के कारण चाय उसके पति पर गिर जाती है। फिर तो इतना गुस्सा?

रीना के पति का रीना को खींचते हुऐ आंगन में लाया फिर रस्सी से मारा और गले में बांध कर पंखे से लटका दिया। फिर चाची (सासु मां) को पता चला, वह दौड़ कर आई बहुत बचाने की कोशिश की पर नहीं बचा पाई। सुबह- सुबह अखबार में यह ख़बर छापा गया- "खाना बनाते हुए हाथ जल गए तो गुस्से में लगाई फांसी"


चाची (सासु मां) और ननद जी ने रीना के भाई को सच बताया। आज रीना विवश थी घर की इज्जत को लेकर। नहीं तो आज जिंदा होती हमारे बीच।

नोट- सच्ची घटना पर आधारित कहानी।

- प्रतिभा जैन
टीकमगढ़, मध्यप्रदेश

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