Maa Ka Aanchal Kavita Shayari Poetry in Hindi
माँ का आँचल कविता | माँ का आँचल शायरी Maa Ka Aanchal Kavita Shayari
मां..तेरे आंचल का कर्ज
चाहे जितने भी जन्म ले लूं मैं..मां,
तेरे समर्पण का मूल्य न दे पाऊंगा..
तेरे दूध का ऋण..मैं क्या दूंगा..
तेरे आंचल का, "कर्ज़ ना दे पाऊंगा"!
तेरे आंचल के ही, साए में मैंने..
अपनी..नवजात आंखें खुली थी,
इसी दामन की छांव में, मैंने..
पहली...किलकारी बोली थी।
तेरी गोद में..इसी आंचल तले, मां..
तेरा..अमृत सा मैंने, दूध पिया,
दामन में छुपा..सीने से लगा के..
मुझे, हर ग़म से महफूज़ किया।
तेरे ही दामन को थाम कर..
मेरे जीवन की शुरुआत हुई..
इसी आंचल की छाया में ही..
सही-ग़लत से मुलाक़ात हुई!
तेरे आंचल की छत्रछाया में, मां..
जीवन का..अनुसंधान मिला,
संस्कार..संघर्ष..समर्पण का..
दुर्लभ जीवन का..ज्ञान मिला।
मां..तेरे आंचल की खुश्बू, आज भी..
मेरे.. रोम- रोम में बस रही है,
तेरे दामन की वो..ठंडी छांव..
मेरे, तन मन में...रस रही है।
मां..तेरे आंचल की लहर ही तो..
हर संकट से मुझे...बचाती है,
आजाए कोई विकट घड़ी, आज भी
तेरी चुनर... ढाल बन जाती है।
मां..अंबर के तारों से अनमोल..
तेरी चुनरी में जड़े..सितारे हैं,
तेरी की हुई, आंचल की छांव ने..
मेरे बिगड़े... नसीब सवारे हैं।
मेरी हर स्वांस है..करजदार तेरी..
ये ऋण कभी, ना चुका पाऊंगा..
तेरी ममता का मोल..मैं क्या दूंगा, मां..
तेरे आंचल का, "कर्ज़ ना दे पाऊंगा"!!
माता दिवस" के उपलक्ष में..मां के श्री चरणों में समर्पित
हरजीत सिंह मेहरा,
मकान नंबर 179,
ज्योति मॉडल स्कूल वाली गली,
गगनदीप कॉलोनी, भट्टियां बेट,
लुधियाना, पंजाब, भारत।
पिन-141008
फोन नंबर- 85289-96698
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