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क्या वाकई सिर्फ मुल्ला टाईट है? जी नहीं समाज का हर तबका टाईट है

क्या वाकई सिर्फ मुल्ला टाईट है? जी नहीं समाज का हर तबका टाईट है


● मिश्रा जी 5 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, अब ओवर एज हो गये। लेकिन मुल्ला टाईट है।

● तिवारी जी रेलवे में संविदाकर्मी थे। प्राइवेटाइजेशन में घर पर बैठे हनुमान चालीसा पढ रहे हैं, अब बिटिया की शादी के लिये परेशान हैं। दहेज का सामान कैसे जुटाएं? लेकिन मुल्ला टाईट है।

● गुप्ता जी की मेन शहर के मार्केट में कपड़े की दुकान थी। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, फिर कोरोना और अब डूबती अर्थव्यवस्था में जो एकबार कारोबार मंदा हुआ वो पिछले 5 सालों में पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया। लेकिन मुल्ला टाईट है।

● श्रीवास्तव जी सरकारी नौकरी में बाबू हैं। पहले घर का खर्च ठीक ठाक चलता था, सेविंग भी करते थे, एफडी भी करते थे और लोन भी समय से चुका रहे थे। अब पिछले 6 सालों से महंगाई बढती है 8%, महंगाई भत्ता बढता है 3%। महंगाई बढी 8%, बचत योजनाओं पर ब्याज मिला 4%। लोन भरने में दिक्कत आ रही है। दो बचत योजनाओं को बंद कर चुके हैं लेकिन मुल्ला टाईट है।

● पटेल जी प्राइवेट इंश्योरेंस कम्पनी में हैं। पिछले 4 साल से कम्पनी लगातार स्टाफ की छंटनी करती जा रही है। पटेल जी की नौकरी तो नहीं गई मगर छांटे गये लोगों का काम भी पटेल साहब पर डाल दिया है। सैलरी बढी नहीं मगर काम दोगुना हो गया है। सुबह 8 बजे ऑफिस जाते हैं और रात को घर 11 बजे, 12 बजे आते हैं। सोते हैं, सुबह वापस ऑफिस। लेकिन मुल्ला टाईट है।

● सोनकर जी 2 साल पहले गुजरात गये थे कोई नौकरी करने। पिताजी से पैसे लेकर गुजारा चलाते और शहर में भटकते रहते। नौकरी नहीं मिली तो 1 साल बाद मुम्बई चले गये। वहां भी खूब चप्पलें घिसीं। अब वापस गांव आ गये हैं और नौकरी की आस छोड़ दी है। अब गांव के नेताजी के पास बैठकी करते हैं। कभी कभी सब्जी पूड़ी पार्टी कार्यालय में मिल जाती है। नेताजी के कहने पर नारे लगाने का काम पकड़ लिया है। लेकिन मुल्ला टाईट है।

● सिंह साहब ने कारोबार शुरू करने के लिये बैंक से लोन लिया था। नोटबंदी के बाद कारोबार बैठ गया। लोन चुकाने के लिये गांव की पुश्तैनी जमीन बेच दी। अब रोड के किनारे अंडे की दुकान खोल ली है। किसी तरह घर का गुजर बसर हो रहा है इस महंगाई में। लेकिन मुल्ला टाईट है।


क्या सच में इस महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण के दौर में केवल मुल्ला टाईट है? अपनी आंखें खोलकर सही से अपने आस पास देखो तो पता चलेगा कि समाज का हर तबका टाईट है।

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