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किसान का बेटा हूं : हिंदी कहानी Kisan Ka Beta Hun : Motivational Story In Hindi

किसान का बेटा हूं : हिंदी कहानी Kisan Ka Beta Hun : Moral Story In Hindi






कहानी
किसान का बेटा हूं।
लेखक - श्याम कुंवर भारती।

राजन अपनी होम वर्क बुक खोज खोज कर परेशान हो गया था। अभी थोड़ी देर पहले थी मगर अचानक कहा गायब हो गई। उसे चिंता होने लगी थी थोड़ी ही देर मे क्लास टीचर आने वाले है। अगर उसकी होम वर्क बुक नही मिली तो आज उसे सजा के साथ सबके सामने उसकी बड़ी बेइज्जती हो जायेगी।

उसने अपने दोस्तो से भी पूछा मगर सबने ना में सिर हिलाया। क्लास टीचर के कमरे मे आते ही सभी बच्चे शांत हो गए। शिक्षक ने सबकी हाजिरी लेने के बाद सबको अपना अपना होम वर्क बुक जमा करने को कहा। सभी बच्चों ने अपनी कापिया जमा कर दिया।

शिक्षक ने पूछा जिसने अपनी कॉपी जमा नही किया है वे अपना हाथ ऊपर करे। तीन लड़कियों और पांच लड़कों ने अपना हाथ ऊपर उठा लिया। लडको में एक राजन भी था। उसे देखते ही शिक्षक ने पूछा अरे राजन तुम भी आज अपना होम वर्क बनाकर नही लाए। मगर क्यों तुम तो अपने क्लास के सबसे तेज और होनहार छात्र हो। तुम तो कभी ऐसा नही करते थे। आज क्यों नही बनाए। शिक्षक को बड़ा आश्चर्य हुआ था।


राजन ने खड़ा होकर कहा माफ करे सर मैं अपनी होम वर्क बुक लाया था मगर पता नही अचानक कहा गायब हो गई।

चाहे जो भी हो नियम तो सबके लिए एक है। सजा तो तुमको जरूर मिलेगी राजन शिक्षक ने कहा। ऐसा करो तुम कुंआ से पानी भरकर स्कूल के जितने भी फुल है सबमें पानी डालो। तुम्हारी यही सजा है। शिक्षक ने राजन को सजा सुनाते हुए कहा। बाकी छात्रों को मुर्गा बनने की सजा और लड़कियों को कान पकड़कर दस दस बार उठक बैठक करने की सजा सुनाई।

राजन को सजा मिलने मंजरी बहुत खुश हो रही थी। उसने अपनी सहेलियों से कहा ठीक हुआ बच्चू ने मेरी कलम चुराई थी न आज मैंने उसकी होम वर्क बुक चुराकर अपना बदला ले लिया।

इतनी छोटी सी बात पर तुमने राजन को इतनी बड़ी सजा दिलवा कर अच्छा नही किया उसकी सहेली नैना ने कहा।

तो क्या करती उसने भी तो ठीक परीक्षा के समय मेरी कलम चुरा ली थी। फिर बाद में दिया मगर मेरे कई प्रश्न अधूरे रह गए और मेरा नंबर कट गया था।


अच्छा जो हुआ वो हुआ अब चलो किसी तरह उसकी मदद करो वरना बेचारा अकेले कुंआ से पानी भरकर थक जाएगा और फूलों में पानी पटाना है नैना ने कहा।

ठीक है चलो सर से कोई बहाना बनाकर क्लास से बाहर निकलते है और उसकी मदद करते हैं मंजरी ने कहा।

कुंआ पर राजन बाल्टी से पानी निकालकर फूलो में पानी पटा रहा था तभी मंजरी और नेहा वहा कुंआ पर पहुंच जाती है।

उन दोनो को देख कर राजन ने पूछा तुम दोनो यहां क्यों आई हो।

नेहा ने कहा राजन तुमसे मंजरी माफी मांगने आई है इसी ने तुम्हारी कापी चुराई थी जिसके चलते तुमको सर ने सजा दिया है।

इतना सुनते ही राजन भड़क गया। मंजरी की बच्ची तो तुमने ही मेरी कॉपी चुराई थी और मुझे सजा तो दिलवाई साथ में आज पहली बार मुझे सबके सामने बेईज्जत होना पड़ा। इतना कहकर राजन मंजरी की तरफ दौड़ा उसकी चोटी पकड़ने के लिए मगर तब तक नेहा ने उसे पकड़ लिया।


शेष अगले भाग 2 में

लेखक - श्याम कुंवर भारती।

किसान का बेटा हूं : हिंदी कहानी भाग २


कहानी
किसान का बेटा हूं भाग -2
लेखक- श्याम कुंवर भारती

तुम दोनो भागो जल्दी यहां से मुझे तुम सब से कोई बात नही करनी है। राजन ने गुस्से में कहा। और मुझे अपना काम करने दो वर्ना सर देखेंगे तो सजा और बढ़ा देंगे।

राजन तुम चिंता मत करो हम लोग सर से पानी पीने की छुट्टी लेकर तुम्हारी मदद करने आए हैं। मंजरी ने कहा। हम दोनो कुंआ से पानी निकालते है तुम जल्दी जल्दी फूलो में पानी पटा दो राजन।

मुझे तुम्हारी कोई मदद नहीं चाहिए। एक तो सजा दिलवा दी और अब आई है मेरी मदद करने। नौटंकी बाज कही की। राजन ने मंजरी को डांटते हुए कहा। मंजरी नाटक नही कर रही है राजन उसे अपनी गलती पर अफसोस है इसलिए वो तुम्हारी मदद करना चाहती है। नेहा ने राजन को समझाते हुए कहा। राजन ने कुछ नहीं कहा और कुंआ से पानी भरकर फूलों की सिंचाई करने लगा।


मंजरी और नेहा चुपचाप वहा से क्लास में आ गई।

फूलों की सिंचाई करने के बाद राजन लड़कियों की साइकिल स्टैंड के पास गया और मंजरी की साइकिल के पहिया की हवा निकालकर चुपचाप क्लास में आकर बैठ गया।

मई महीना की भीषण गर्मी का दिन चल रहा था इसलिए स्कूल शुबह में ही चल रहा था। ठीक एक बजे स्कूल की छुट्टी हो गई। मंजरी और नेहा जब अपनी साइकिल लेने स्टेंड पर गई तो मंजरी की साइकिल के पहिया का हाल देखकर दोनो दंग रह गई। मंजरी बहुत चिंतित हो गई। मेरी साइकिल तो बिल्कुल ठीक थी अचानक हवा कैसे निकल गई। उसने अपनी साइकिल की पहिया को देखते हुए कहा।

अब किसी तरह इसे पैदल चलकर ले चलो इसके अलावा कोई उपाय भी नही है सखी नेहा ने कहा। आधा किलोमीटर पर एक साइकिल दुकान है वहा से हवा भरवा लेंगे। नेहा ने कहा।

वो तो ठीक है सखी मगर इतनी चिलचिलाती धूप में साइकिल को धकेलकर ले जाना सोचो क्या हाल होगा मेरा। मंजरी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा।


चलो अब देर मत करो नेहा ने कहा और अपनी साइकिल निकालकर पैदल चलने लगी। मंजरी भी पीछे पीछे अपनी साइकिल लेकर चलने लगी। थोड़ी ही देर में मंजरी कड़ी धूप। में पसीना पसीना हो गई। तभी वहा राजन अपने दोस्तो के साथ अपनी साइकिल से पहुंच गया। मंजरी को देखकर अपनी रोककर उतरते हुए बोला अरे मंजरी तुम पैदल क्यों जा रही हो।

मंजरी की जगह नेहा ने कहा - देखो न राजन पता नही इसकी साइकिल की पहिया की हवा कैसे निकल गई है। आगे जाकर हवा भरवाएंगे तब घर जा पाएंगे।

अरे अरे बड़ा अफसोस हो रहा है। इतनी गर्मी में बहुत तकलीफ हो गई बेचारी मंजरी को। मुझे सजा दिलवाई देखो भगवान ने उसे भी सजा दे दिया। राजन दुखी होने का नाटक करते हुए कहा।
मगर उसे मंजरी पर दया भी आई।

एक तो बेचारी परेशान है और तुम ऐसी बाते कर रहे हो। नेहा ने राजन को डांटते हुए कहा।

ओह माफ करो मुझसे गलती हो गई। मंजरी एक काम करो तुम मेरी साइकिल ले लो और तुम दोनो अपने घर जाओ। मैं तुम्हारी सायकिल में हवा भरवा कर तुम्हारे गांव आकर तुम्हे दे दूंगा। राजन ने मदद करने के इरादे से कहा।

मंजरी कुछ नही बोली। नेहा ने कहा सोच क्या रही हो सखी तुम इसकी साइकिल ले लो और घर चलो। राजन हवा भरवाकर पहुंचा देगा। वरना तुन्हारे साथ मैं भी धूप में पक जाऊंगी और हम दोनो का गोरा रंग काला पड़ जायेगा। नेहा ने मंजरी से कहा।

नेहा की बात सुनते ही राजन ने एक हाथ से मंजरी की साइकिल लेते हुए अपनी साइकिल उसे पकड़ा दिया। अपने दोस्त पप्पू से को रोक कर बाकी दोस्तों को जाने कहा।
शेष अगले भाग 3 में।

लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी किसान का बेटा हूं भाग - 3


लेखक- श्याम कुंवर भारती।
सायकिल दुकान पर राजन मंजरी की साइकिल में हवा भर रहा था और उसका दोस्त पप्पू पंप की पाईप को पहिया की पिन पर लगाकर हवा भरने में मदद कर रहा था। पप्पू ने पूछा यार तेरी ये हरकत मुझे समझ में नही आई, एक तो खुद ही उसकी साइकिल की हवा निकाली और खुद ही हवा भरवा रहा है। आखिर चक्कर क्या है।


कुछ नही यार पप्पू जब इस साइकिल की हवा निकाल रहा था तब मंजरी पर गुस्सा था उससे बदला लेने का मन कर रहा था। मगर जब उससे कड़ी धूप में साइकिल घसीटते देखा तो उसपर दया आ गई। राजन ने पंप मारते हुए कहा वो थोड़ा हाफ भी रहा था।

अच्छा बच्चू तुम्हे बड़ा उसपर दया आ रही है। पप्पू ने हंसते हुए कहा। फिर उसने क्लास में क्यों नही सर को बोला की तुम्हारी कॉपी उसके पास गलती से चली गई है इससे तुम सजा पाने से बच जाते। पप्पू ने नराजगी जाहिर करते हुए कहा।

अब छोड़ यार नहीं बोली तो नही बोली। आखिर अफसोस करने और मेरी मदद करने तो आई। राजन ने कहा।

अच्छा चल हवा तो भर गई चल तुझे आइस क्रीम खिलाता हूं।

फिर दोनो सामने ठेले पर बिक रही आइस क्रीम लेते हैं और खाते खाते सायकिल पर बैठ चल देते है।

राजन मंजरी के गांव राधापुर पहुंचा तो उसने उसके घर का पता पूछकर जैसा की मंजरी ने अपने घर का पता दिया था उसके घर पहुंच गया।


घर के बाहर मंजरी का छोटा भाई गुड्डू खेल रहा था उससे उसने मंजरी को खबर करने बोला।

गुड्डू ने बताया दीदी अभी घर में नही है। उसे मां ने कुंआ से पानी लाने भेजा है। उसके साथ मेरी छोटी बहन रानी भी गई है।

राजन ने पप्पू से कहा तुम यही रुको मैं मंजरी को देखकर आता हूं। उसने मंजरी की साइकिल दरवाजे के बाहर स्टेंड पर खड़ा करके गुड्डू से पूछा कुंआ किधर है। गुड्डू ने इशारे से बता दिया।

राजन उद तरफ चल दिया। कुंआ के पास पहुंच कर उसने देखा मंजरी दो बाल्टी में पानी भर चुकी थी और एक गगरा भी भर रही थी। उसके साथ एक छोटी लड़की भी थी शायद वो उसकी छोटी बहन रानी होगी।

राजन को देखकर मंजरी ने पूछा सायकिल में हवा भरवा कर आ गए तुम। राजन ने बताया तुम्हारी सायकिल तुम्हारे घर के दरवाजे पर खड़ा कर दिया है। तुम्हारे छोटे भाई गुड्डू से पूछकर यहां आया हूं।

तब तक मंजरी ने गगरा अपनी छोटी बहन के सिर पर रख चुकी थी। दोनो बाल्टी को अपने दोनो हाथो में पकड़कर चलने लगी मगर दोनो बाल्टी इतनी भारी थी की उससे चला नही जा रहा था।

राजन ने लपक कर उसकी दोनो बाल्टी उसके हाथो से लेते हुए कहा तुम रहने दो। में ले चलता हूं। मंजरी ना ना करती रह गई मगर राजन उसके हाथो से दोनो बाल्टियां लेकर साथ साथ चलने लगा।

राजन को देखकर मंजरी की छोटी बहन रानी ने कहा दीदी तुमने तो अच्छा सहायक खोज लिया है। देखो तुम्हारी कितनी सेवा कर रहा बेचारा हाफने लगा है। मंजरी ने उसे डांट कर चुप करा दिया। मैने थोड़े ही इसको बोला है देखी नहीं इसने खुद मेरे हाथ से लिया।

जब राजन दोनो पानी की बाल्टी लेकर मंजरी के घर पहुंचा उसे देखकर उसका दोस्त पप्पू जोर जोर से हसने लगा। आज तो राजन का सजा का ही दिन है लग रहा है।

उसने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा।

राजन ने उसे डांटते हुए कहा मेरा मजाक मत उड़ा यार किसी की मदद करना सजा नही मजा है।

मंजरी के साथ राजन को पानी लाते देखकर उसकी मां पार्वती देवी ने पूछा ये कौन लड़का है बेटी।

मंजरी ने राजन का परिचय दिया और आने का कारण बताया।

सुनकर उसकी मां बहुत खुश हुई। बेटा तुमने बहुत अच्छा काम किया। चलो मुंह हाथ धो लो कुछ खाना खा कर जाना।

राजन ने इंकार किया मगर मंजरी ने कहा कि मां की बात मान लो राजन वर्ना मां को दुख लगेगा।

मंजरी के कहने पर राजन मान गया और पप्पू के साथ हाथ मुंह धोकर खाने बैठ गया।



शेष अगले भाग - 4 में

किसान का बेटा हूं : हिंदी कहानी भाग - 4


लेखक- श्याम कुंवर भारती।

क्लास में आज क्लास टीचर ने सबको सूचना देते हुए कहा हमारे स्कूल में शीघ्र ही निबंध लेखन प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है जो छात्र - छात्राएं सबसे अच्छा निबंध लिखेंगे उन्हे भाषण प्रतियोगिता में भाषण देने का मौका मिलेगा। जिसका भाषण सबसे अच्छा होगा उसे जिला के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा पुरस्कार और सम्मान दिया जायेगा। सबलोग नोट कर ले लेखन और भाषण प्रतियोगिता का विषय है "उपज खोती धरती"। सबको अपना अपना निबंध पांच दिनों के अंदर लिख कर जमा करना है।

शिक्षक की बात सुनकर राजन बहुत खुश हुआ उसे पर्यवारण और कृषि विषय बहुत पसंद था। पेड़ पौधों से भी बड़ा प्यार था।

टिफिन के समय पप्पू और राजन बात कर रहे थे। मैं तो खूब मेहनत करके इस प्रतियोगिता की तैयारी करूंगा। राजन ने कहा। मैं भी तेरे साथ हूं यार जहा तु रहेगा मैं भी रहूंगा तू तैयारी कर। पप्पू ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा। फिर उसने पूछा एक बात बताओ कल तुमने ही मंजरी की साइकिल की हवा निकाली और फिर हवा भरवाई इतना ही नहीं कुंआ से उसके लिए पानी भी भर दिया। फिर फायदा क्या हुआ।


क्या बताऊं यार कल उसकी वजह से मुझे जो सजा मिली उससे मुझे बहुत गुस्सा आया और इसलिए हवा निकाल दिया मगर उसकी हालत देखकर उस पर दया भी आई।

उन दोनो की बात बिरजू ने सुन लिया जो उसी के क्लास का लड़का था मगर उसकी राजन से कभी नहीं पटती थी वो बड़ा बदमाश लड़का था। क्लास में सभी लडको से उसका झगड़ा होते रहता था।

बिरजू ने जैसे ही सुना राजन ने मंजरी की साइकिल की हवा निकाली थी उसने राजन से बदला लेने के लिए जाकर मंजरी को सारी बात बता दिया।

उसकी बात सुनते ही मंजरी गुस्से से लाल पीला होते हुए राजन के पास गई और बोली नौटंकी बाज कही के एक तो खुद ही मेरी साइकिल की हवा निकाली और ऊपर मदद करने का नाटक करते हो। शर्म नही आती है तुमको।

राजन ने कहा क्या बोल रही हो किसने कहा तुमको की मैने हवा निकाला था।

बिरजू ने अभी अभी बताया मुझे। मंजरी ने कहा।


सुनते ही राजन ने कहा- अच्छा उसकी इतनी हिम्मत की झूठ बोलकर तुमको मुझसे झगड़ा करने भेजा है। और तुमने उसकी बात सच भी मान लिया।

मैं अभी उसकी खबर लेता हूं छोडूंगा नही उसको।

तुमको जो करना है मगर तुम मुझसे बात करना मैं तुमसे बहुत नाराज हूं। इतना कह कर मंजरी वहा से चली गई।

राजन गुस्से से बिरजू के पास गया और उसका कालर पकड़ कर बोला क्यों बे साले बड़ा नारद मुनि बन रहा है। हां मैने ही मंजरी की साइकिल की हवा निकाली तो तुम हम दोनो मे झगड़ा करवाएगा। इतना कहकर उसने दनादन कई मुक्के उसके मुंह पर जड़ दिए। बिरजू ने भी कई मुक्के राजन को जड़ दिया। दोनो बुरी तरह एक दूसरे को मार रहे थे। दोनो को लड़ते देख सारे लड़के वहा जमा हो गए। सबने किसी तरह दोनो को अलग किया।

आज के बाद फिर तुमने हमारे मामले में टांग अड़ाया तो मैं तुमको छोडूंगा नही। याद रखना। राजन ने बिरजू को धमकाते हुए कहा।

अरे जा बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे मैं तुमको छोडूंगा नही।। इस मार का बदला लेकर रहूंगा। बिरजू ने गुस्से में कहा।


पप्पू ने मंजरी को समझते हुए कहा तुमको अगर बिरजू ने बता भी दिया था तो तुमको क्या जरूरत थी जाकर राजन को खरी खोटी सुनाने की। ठीक है मान लिया उसने तुम्हारी सायकिल की हवा निकाल भी दिया गुस्से में मगर हवा भी तो उसी ने भरवाया। उसको तुम्हारी हाल देखकर अफसोस भी हुआ इसलिए उसने कल तुम्हारी मदद किया। आखिर दोनो में झगड़ा करवाकर क्या मिला।

राजन जब कल मेरे गांव आया था तो मुझे सच्चाई बता सकता था मगर उसने नही बताया और नही मुझसे माफी मांगी। मंजरी ने गुस्से में कहा।

और तुमने क्या किया उसकी कॉपी चुराकर उसे सजा दिलवाकर बड़ा महान काम किया था न। पप्पू ने उसका जवाब देते हुए कहा।

तुमको उससे बात नही करनी है मत करो मगर मेरा दोस्त अच्छा लड़का है। उसने अपनी एक गलती के लिए कल जितना बना किया तुम्हारे लिए।

नेहा ने कहा अच्छा अब इस बात को यही खत्म करो सब बाद में इसपर चर्चा करेंगे चलो सब अब क्लास का समय हो चुका है।
छुट्टी होने के बाद मंजरी और राजन आमने सामने हुए मगर दोनो ने आपस में कोई बात नही कियाऔर अपनी साइकिल लेकर अपने घर चल दिए।


रास्ते में नेहा ने मंजरी को समझाते हुए कहा सखी तुमको राजन को नहीं डांटना चाहिए था मुझे पप्पू की बात सही लगी। उसने अपनी गलती का सुधार किया था देखो ने आज उसमे और बिरजू में कितनी मारपीट हो गई। सिर्फ तुम्हारे चलते। 
सखी मुझे सिर्फ इस बात का गुस्सा है कल राजन ने मुझे सच बताकर माफी क्यों नहीं मांगा। अब मैं उससे कभी बात नही करूंगी।

राजन और मंजरी का गांव अलग अलग जरूर था मगर दोनो के कई खेत अगल बगल में थे जिसमे गेहूं की फसल लगी हुई थी। गेहूं पक चुके थे। दोनो के खेतो में गेहूं की कटाई हो रही थी। काफी मजदूर लगे हुए थे। मंजरी राजपूत घराने की लड़की थी और राजन यादव कुल का लड़का था। राजन के पिता उस क्षेत्र के जाने माने पहलवान थे और खेती बाड़ी भी अच्छी थी। मंजरी भी जमींदार घराने की लड़की थी उनकी भी अच्छी खासी खेती बाड़ी थी। मगर आजकल जमींदारी प्रथा समाप्त हो चुकी थी मगर रौब और प्रभाव अब भी कायम था।

मंजरी भी अपनी सहेली नेहा के साथ अपने खेतो की कटाई देखने खेत पर आई हुई थी। उसके पिता महेंद्र सिंह किसी रिश्तेदार के यहां गए हुए थे। इसलिए मंजरी को खुद आना पड़ा क्योंकि मां के पैरो में दर्द रहता था वो ज्यादा देर खड़ी नही रह सकती थी।


राजन के पिता ललन यादव पहलवान ने उससे कहा बेटा तुम गेंहू कटवाओ तब तक मैं खलिहान जाकर वहा की साफ सफाई करवाता हूं ताकी गेहूं का बोझा वहा रखा जा सके। ट्रेक्टर मैं यही छोड़ दे रहा हूं। तुम्हारी मोटरसाइकिल लेकर जा रहा हूं। तुम गेंहू कटवा कर ट्रेक्टर में लाद कर ले आना।

राजन ने कहा ठीक है बाबूजी। आप चिंता न करे मैं सब संभाल लूंगा।

खेती में मजदूर पके हुए गेंहू की डंठलों को काट काटकर जमीन पर गिराते जा रहे थे दूसरे मजदूर उनको इक्ट्ठा कर उनको बांध कर बोझा बनाते जा रहे थे ताकि आराम से उन्हे ट्रेक्टर की ट्राली में लादा जा सके।

इतने में ढेर सारे जानवर खेतो में घुस आए और फसलों को खाने से ज्यादा रौंदकर नुकसान करने लगे।

राजन ने डंटे से उन्हे भागना शुरू किया मगर वे भाग कर फिर वापस आ। जा रहे थे।। राजन ने अपने मजदूरों से उनको खेतो से दूर हांक कर भागने को कहा तभी वहा जानवरो के चरवाहा आ गए। राजन ने उनको डांटना शुरू किया। आप लोगो कैसी चरवाही कर रहे हैं। देख नही रहे है जानवरो ने मेरे खेतो का क्या हाल किया है। इनको जल्दी खेतो से निकाले।


वे सब पांच लोग थे। गलती उनकी ही थी मगर लगे राजन से बहसबाजी करने। नुकसान हो गया तो क्या हुआ जानवर है उनको तुम्हारी तरह समझ थोड़े ही है। उसमे ने एक ने कहा।

अरे एक तो मेरा नुकसान भी करवा रहे और ऊपर से बहस भी कर रहे है जल्दी निकाले इनको यहां से राजन ने गुस्से में कहा।

फिर उसने अपने मजदूरों से कहा आप लोग खुद ही जानवरो को निकाले ये लोग तो बदमासी कर रहे है। जैसे ही मजदूरों ने उनको भगाना शुरू किया चरवाहों ने मजदूरी को ही पीटना शुरू कर दिया। इतना देखते ही राजन ने एक लाठी उठाई और उन चरवाहों से भिड़ गया। उधर पांच और इधर एक अकेला राजन फिर भी उन पांचों पर भारी पड़ रहा था। उसने कई लाठियां उन पांचों पर दे मारा मगर एक भी लाठी उसे छू तक नही सकी। आखिर उसके पिता की लाठी की शिक्षा आज काम आ रही थी। राजन भी एक मंजा हुआ लठैत साबित हो रहा था। मगर था तो एक लड़का ही और वे लोग पांच हट्टे कट्टे जवान थे। फिर भी राजन उनको अपनी लाठी की मार से दूर तक मारता हुआ लेता जा रहा था। उसने चिल्लाकर अपने मजदूरों से कहा आप लोग जल्दी से जानवरो को खेतो से बाहर खदेड़ दो मैं इन बदमाशों को ठीक करता हूं।


मंजरी के खेतो के मजदूरों ने दूर से देखा एक लड़का पांच लोगो से अकेला ही लाठी लेकर भिड़ा हुआ है एक ने चिल्लाकर मंजरी से कहा मंजरी दीदी देखिए वहा लाठी चल रही है पांच लोग मिलकर एक लड़के को मार रहे हैं।

मंजरी ने जैसे ही देखा उसने राजन को पहचान लिया उसका दिल धक्क से रह गया उसने चिल्लाकर अपने मजदूरों से कहा अरे देख क्या रहे हो चलो बचाओ उसको।

इतना सुनते ही सब मजदूर अपना अपना हंसुआ लेकर दौड़ पड़े। मंजरी भी एक महिला मजदूर का हंसुआ लेकर राजन की तरफ दौड़ पड़ी।

मंजरी ने हंसुआ से दो लोगो को घायल कर दिया। बाकी मजदूरी ने उन पांचों को बुरी तरह जख्मी करना शुरू कर दिया। उन सबको आया देख कर राजन के मजदूरों की भी हिम्मत हुई और सब मिलकर इनपर टूट पड़े। आखिर कार सबने मिलकर उन पांच बदमाशों को भागने पर मजबूर कर दिया।

मंजरी ने देखा राजन को सिर पर काफी चोटे आई थी उसने अपनी ओढ़नी से उसके घावों को पोंछकर ओढ़नी को पगड़ी की तरह बांध दिया।


मंजरी ने अपने मजदूरों को फिर अपने खेतो पर भेजकर बोली आप लोग खेतो में जाओ और कटनी शुरू करो थोड़ी देर में मैं भी आती हूं। राजन के भी मजदूर गेहूं की कटाई करने लगे।

मंजरी राजन को खेत के बगल में आम की पेड़ की छाया में ले गई और वहां रखे घड़े से पानी निकाल कर उसे पिलाई और पेड़ के सहारे आराम करने को कहा।

राजन ने उसका धन्यवाद करते हुए कहा तुम तो मुझसे बात नही करना चाहती थी फिर मेरी जान बचाने कैसे आ गई।

तुमको नही एक लड़के को बचाने आई थी। संयोग से तुम निकल गए तो अलग बात है जी।

अच्छा फिर इतनी सेवा तुम सबकी करती हो क्या राजन ने पूछा।

मैं कोई नर्स थोड़े ही हूं। सेवा तो मैं तुम्हारी कर रही हूं जी। तुमने भी तो मेरी मदद किया था।

ओह तो तुम अपना बदला चुका रही हो। राजन ने मुस्कुरा कर पूछा।

तुम जो समझ लो। मगर मैं तुम्हें ऐसी मुसीबत में नही छोड़ सकती। मंजरी ने गंभीर होकर कहा।
तो क्या तुम्हारी मुझसे नाराजगी दूर हो गई।

मैं तुमसे नाराज ही कब थी।


तुमने ही कहा तब मैं तुमसे कभी बात नही करोगी। मगर तुम तो बात भीं कर रही हो। मेरी सेवा भी और मुझे बचाया भी राजन ने उसकी आंखो मे देखते हुए कहा।

मैं चाहती थी बुद्धू कहिके की तुम मुझसे माफी मांगो और सच बोलो मगर तुम तो एक नंबर के अड़ियल निकले। तुमने तो कभी मुझसे बात करने की कोशिश ही नहीं किए।

जबकि मैं चाहती थी तुम मुझसे बात करो मुझे मनाओ लेकिन नही बाबू साहब ने तो मुझसे मुंह ही मोड़ लिया था। आखिर आज मै थी तुम्हारे काम आई। मंजरी ने हंसते हुए कहा।

अच्छा मुझे माफ करो जो हुआ वो हुआ अब मैं तुमसे कभी किसी बात पर झगड़ा नही करूंगा। तुम जितनी बार रूठोगी उतनी बार तुम्हे मनाऊंगा अब तो खुश। राजन ने कहा।

अब आए न लाइन पर। मंजरी ने खुश होकर कहा।

मैं एक बात कहना चाहता हूं सुनो। स्कूल में हम दोनो का यह आखिरी साल है जल्दी ही बोर्ड की परीक्षा होगी। फिर रिजल्ट निकलेगा। इसके बाद कालेज में जाना पड़ेगा। पता नहीं उस समय तुम कहा और मैं कहा। फिर तुमसे मुलाकात कैसे होगी। राजन ने चिंतित होकर कहा।

कल क्या होगा उसकी चिंता अभी से क्यों करते हो जी। मिलना लिखा होगा तो मिलते ही रहेंगे। कल की कल देखेंगे। अभी तुमको घर जाकर इलाज करवाना चाहिए। मंजरी ने चिंतित होकर कहा।


तुम ठीक कह रही हो मैं बेकार में अभी से चिंता कर रहा हूं।

मैं कालेज में विज्ञान लेकर पढ़ाई करना चाहता हूं और कृषि वैज्ञानिक बनना चाहता हूं और तुम क्या करना चाहती हो राजन ने पूछा।

मैं तो एक डॉक्टर बनना चाहती हूं ताकी तुम्हारे दिल का इलाज करती रहूं। इतना कहकर मंजरी खिलखिलाकर हसने लगी। राजन उसकी सुंदर हंसी को देखने लगा। हंसते हुए मंजरी बहुत सुंदर लग रही थी।

तभी मंजरी की एक मजदूर महिला खाना लेकर आई और बोली मंजरी दीदी लीजिए घर से खाना आया है खा लिजिए।

मंजरी ने कहा ठीक है लाओ मैं खा लूंगी। कटाई कितनी देर मे खत्म हो जायेगी। और हमारा ट्रेक्टर थोड़ी देर में आ जायेगा। तुम लोग भी खाना खाकर गेंहू काटकर ट्रेक्टर आते ही उसपर लाद देना। मैं भी खाकर आती हूं।। ठीक है दीदी इतना कहकर वो चली गई।

मंजरी ने खाना पोटली से निकाला और राजन से कहा लो तुम भी खा लो।

राजन ने कहा नही तुम खा लो मेरा भी खाना आता होगा।

जिद मत करो जब आएगा तब आयेगा। अभी तो मेरा आ गया है चलो दोनो मिलकर खाते हैं।

राजन हाथ धोने लगा। मगर मंजरी ने उसे रोक लिया और अपने हाथो से उसे खिलाने लगी और खुद भी खाने लगी।


शेष अगले भाग 5 में

लेखकश्याम कुंवर भारती

कहानी किसान का बेटा हूं भाग-5

लेखक श्याम कुंवर भारती।

थोड़ी देर में नेहा आई और बोली अरे सखी अब चलो तुम्हारा ट्रेक्टर भी आ गया है और फसल भी कट गई है। गेहूं का बोझा भी लगभग लद चुका है। ठीक है सखी रुको खाना खाकर चलती हूं तुमने कुछ खाया या नहीं मंजरी ने नेहा से पूछा। हां खा लिया है जल्दी आओ। नेहा बोलकर चली गई। मंजरी और राजन ने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया और हाथ धोने लगे। इतने में पप्पू अपनी मोटरसाइकिल लेकर वहा आया और राजन से बोला तुम ठीक तो हो राजन। तुमको पता है तुम्हारे खेतो में जानवर भेजकर तुम्हे मारने के लिए अपने आदमी बिरजू ने भेजा था उस दिन के झगड़े का बदला लेने के लिए। मुझे उसके एक दोस्त ने बताया।

सुनकर राजन और मंजरी दोनो चौंक गए।
बिरजू ने यह अच्छा नही किया। इतनी सी बात के लिए इतना बड़ा बदला मंजरी ने कहा तुमको पता है पप्पू अगर हम लोग समय पर नहीं पहुंचते तो वे लोग राजन की जान भी ले सकते थे। बिरजू तो बहुत ही नीच और गिरा हुआ लड़का है। इस उम्र में यह हाल है तो आगे जाकर क्या करेगा वो। मंजरी काफी गुस्से में थी।


तुम चिंता मत करो मंजरी मैं उस नीच को जल्दी ही जवाब दूंगा अब तुम भी जाओ देर हो रही है मैं भी चलता हूं गेंहू ट्रेक्टर में लदवा कर खलिहान ले जाना है चलो पप्पू। मंजरी के जाते ही राजन और पप्पू भी खेत में चले गए।

मंजरी और राजन दोनो के ट्रेक्टर लद गए थे। मंजरी का ट्रेक्टर लादकर उसके मजदूर ट्रेक्टर लेकर चले गए। मंजरी और नेहा रूक गईं।

राजन ने मजदूरों को ट्रेक्टर की ट्राली में गेहूं के बोझों पर बैठा दिया और दो दो मजदूर ट्रेक्टर के दोनो पहियों के बोनट पर बैठा दिया। अब वो ट्रेक्टर चालु कर जाने ही वाला था तभी वहा मंजरी और नेहा आ गईं।

उनको आता देख राजन ने पूछा अरे तुम दोनो गई नही क्या।

मंजरी ने कहा कैसे जाते ट्रेक्टर में कही जगह ही नहीं थी।

ओह अच्छा राजन ने कहा ने सुनकर कहा।

मैं तुम्हारे साथ चलूंगी इसलिए तुम्हारे पास आई हूं। मंजरी ने कहा।

राजन ने पप्पू से कहा तुम नेहा को अपनी मोटर साइकिल पर ले लो और इसके घर छोड़ देना। पप्पू ने कहा ठीक है मेरे दोस्त मगर मैं कुछ दूर तक तुम्हारे आगे आगे ही चलूंगा मैं तुम्हे अकेला नहीं छोड़ना चाहता मेरे यार।

मेरी चिंता मत कर यार मेरे साथ झांसी की महारानी मंजरी राजपूतानी जी जो रहेंगी मेरा कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। उसकी बात सुनकर सभी जोर जोर से हंसने लगे।

नेहा पप्पू की बाइक पर पीछे बैठ गई। राजन ने अपने मजदूरों को ट्रेक्टर की ट्राली में भेज दिया और मंजरी को अपने ड्राइविंग सीट की बगल वाले बोनट पर बैठा दिया।

पप्पू आगे चल रहा था। रास्ते में नेहा ने कहा राजन और मंजरी दोनो फिर से मिल गए बड़ा अच्छा लगा।

तुम ठीक कह रही हो नेहा और उसने राजन को उन बदमाशों से बचाकर अपनी दोस्ती भी निभाई। पप्पू ने कहा।

सब अभी थोड़ी दूर ही गए थे की बादल गरजने लगे और बिजली कड़कने लगी। राजन ने मंजरी से कहा लगता है बारिश होने वाली है। इससे तो सारा गेंहू भींगकर खराब हो जायेगा। हम सब भी भींग जाएंगे। मंजरी ने कहा मुझे तो पानी में भीगते ही सर्दी जुकाम हो जाता है। इसलिए मुझे बारिश से बड़ा डर लगता है।


तुम चिंता मत करो मैं कुछ करता हूं। इतना कह कर राजन ने ट्रेक्टर की गति बढ़ा दिया और आगे चौक आया जहा मुख्य सड़क थी। वहा काफी दुकानें थी। उसने ट्रेक्टर एक दुकान के सामने रोक दिया और अपने मजदूरों को ट्रेक्टर की डिक्की से प्लास्टिक का त्रिपाल निकाल कर देते हुए कहा इसे गेंहू को ढंक दो सब और खुद ही इसके अंदर छिप जाओ वर्ना सब भींग जाओगे।

मजदूरों ने वैसा ही किया। राजन ने उतरकर एक दुकान से बन रही ताजा पकौड़ी खरीद लाया और मंजरी को देते हुए बोला लो खाओ बारिश में पकौड़ों का मजा लो। मंजरी पकौड़े देख कर बहुत खुश हुई। राजन ने बोनट के दोनो तरफ के पर्दे गिराकर बांध दिया ताकि वर्षा की बौछार से मंजरी भींगे नहीं इतना कर कर के उसने ट्रेक्टर आगे बढ़ा दिया। मंजरी बड़े चाव से पकौड़े खाती रही और राजन को भी खिलाती रही। थोड़ी ही देर में गरज के साथ जोरों की बारिश होने लगी। मंजरी को राजन के साथ इस ट्रेक्टर का सफर वर्षा में पकौड़े खाते हुए बहुत अच्छा लग रहा था। राजन ने पहले अपने खलिहान में गेंहू खाली करवा दिया और बारिश बंद होते ही अपनी बाइक से मंजरी को उसके गांव जाकर घर छोड़ आया।


स्कूल में राजन का निबंध उपज खोती धरती विषय पर सबसे अच्छा हुआ था उसे भाषण देने का अवसर मिला। उस आयोजन में जिला के सभी पदाधिकारी, कृषि विभाग, शिक्षा विभाग और सरकार के कृषि विशेषज्ञ भी उपस्थित थे। राजन ने जो भाषण दिया उससे सभी काफी प्रभावित हुए। राजन को प्रथम पुरस्कार मिला। राजन ने मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के अपने उपाय भी बताए और कहा अगर शीघ्र ही इस पर विचार कर कोई उपाय नहीं निकाला गया तो आने वाले दिनों में देश और दुनिया ने अनाज की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। भुखमरी की हालत पैदा हो जायेगी।

उसके भाषण ने सबको काफी प्रभावित किया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उसके भाषण से खुश होकर उसे जिला स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका दिया। साथ ही उसे जिला के सभी उच्च विद्यालयों में बच्चो में कृषि और मिट्टी के प्रति जागरूकता लाने हेतु शिक्षा विभाग के खर्चे पर भाषण देने का अवसर प्रदान किया। उपायुक्त महोदय ने राजन जैसे होनहार छात्र के लिए पूरे विद्यालय के शिक्षकों और प्रधानाध्यापक को बधाई दिया और कहा कि यह विद्यालय पूरे जिले में एक आदर्श के रूप में जाना जाएगा जहा विद्यालय अपनी मेहनत से ऐसे होनहार छात्र तैयार करते है। इस विद्यालय को जिला की तरफ से विशेष सुविधा प्रदान की जायेगी। राजन को आगे की पढ़ाई हेतु हर संभव सहायता दी जायेगी। उनकी घोषणा सुनकर सबने जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। विद्यालय के सभी शिक्षकों ने गर्व का अनुभव किया। राजन की वजह से उनको भी सम्मान और सुविधा मिली थी।


जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा अगर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग सहमति दे तो राजन के भाषण के आधार पर जिला के सभी विद्यालयों में कृषि विशेषज्ञ भेजकर एक विशेष प्रशिक्षण और शिक्षण दिया जा सकता है जिससे बच्चो और किसानों को कृषि के विकास और मिट्टी की उपज क्षमता को बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा सकेगा। इससे हमारा जिला पूरे राज्य में एक मिसाल बनेगा।

उपायुक्त महोदय ने सहर्ष जिला कृषि पदाधिकारी की मांग को सहमती देते हुए कहा आपकी मांग बहुत ही सराहनीय है शीघ्र ही इस विषय का आदेश मैं सभी विद्यालयों के लिए जारी कर दूंगा।

अगले दिन सारे अखबारों में राजन के भाषण की चर्चा थी और सभी पदाधिकारियों द्वारा की गई घोषणाओं के बारे में विस्तार से लिखा गया था। इससे सारे लोग खुश थे खासकर किसान वर्ग जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के इस प्रयास से काफी खुश था।

विद्यालय और राजन के नाम की चर्चा सब तरफ हो रही थी।

मंजरी, नेहा, पप्पू के अलावा इसके सारे दोस्तों ने राजन को बधाई दिया। मंजरी तो बहुत खुश हो रही थी। विद्यालय के सभी शिक्षकों ने राजन को जी भर कर आशीर्वाद दिया।


अगले दिन राजन ने टिफिन के समय मंजरी को कच्चे आम की फलियां काटकर नमक मिर्च के साथ देते हुए कहा लो खाओ और अपना मुंह फ्रेस करो। कच्चे आम देखकर मंजरी बहुत खुश हुई।

और खाना है तो कल मैं तुम्हारे घर आऊंगा आम के बगीचे में ले चलूंगा जितना आम खाने का मन करेगा खिलाऊंगा।

शेष अगले भाग -6 में


कहानी किसान का बेटा हूं भाग 6


लेखक- श्याम कुंवर भारती।

आज रविवार का दिन था विद्यालय में छुट्टी थी। राजन पप्पू को लेकर साइकिल से मंजरी के गांव गया और पप्पू को भेजकर नेहा को बुलवाया और तीनो मिलकर मंजरी के घर गए। मंजरी सबको देख कर चौंक गई। अरे तुम सब एक साथ क्या बात है आज तो स्कूल में छुट्टी है। उसने पूछा।

स्कूल नहीं जाना है चलो हमलोग आम के बगीचे में चलेंगे वहा कच्चे आम तोड़कर खायेंगे फिर गन्ना के खेत में गन्ना खायेंगे बड़ा मजा आएगा। राजन ने मंजरी से कहा।

अरे वाह तब तो बड़ा मजा आएगा चलो चलते है। मंजरी ने खुश होकर कहा।

चारो मिलकर गांव के बगल में एक आम के बगीचे में गए। आसमान से सूरज की चिलचिलाती धूप और बहती गर्म हवा में भी उनको आम खाने के लालच में न धूप लग रही थी न गर्म लू का एहसास हो रहा था।

बगीचे में पहुंचकर राजन और पप्पू छोटे छोटे पत्थर से पेड़ पर लगे आम को मार कर तोड़ने लगे मंजरी और नेहा उनको चुन चुन कर जमा कर रही थी।

जब काफी आम जमा हो गया तो चारो आम की छाव में बैठ गए। राजन छोटा चाकू निकाल कर आमो को छीलकर उनको काटने लगा। पप्पू ने नमक की पुड़िया निकाली और बीच में जमीन पर रख दिया। चारो बड़े मजे लेकर नमक लगाकर कच्चे आमो को खाने लगे। थोड़ी ही देर में दूर से बगीचे का रखवाला लाठी लेकर आता दिखाई दिया। राजन ने उसको देर से ही देख लिया और सबको इसारा किया सबने उधर मुड़कर देखा। सबने कटे हुए आमो को समेटा और भाग चले। काफी दूर तक रखवाला उनका पीछा करता रहा मगर वे चारो उसकी पकड़ से दूर एक गन्ने के खेत में घुस कर छिप गए।

बीच खेत में पहुंचकर राजन और पप्पू ने चार मोटे मोटे गन्ने के पेड़ तोड़ लिए और उनको छीलकर मंजरी और नेहा को दिया और खुद खाने लगे।


गन्ना बहुत ही मीठा था। सबको बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर में सबको खेत के आसपास किसी के आने की आहट सुनाई दिया। चारो चौकन्ने हो गए। सभी धीरे धीरे खेत से बाहर निकल गए। मगर जिधर से निकले खेत का मालिक सामने खड़ा था।

उसने मंजरी को देखते ही पहचान लिया और बोला अरे तुम तो ठाकुर महेंद्र सिंह की बेटी हो तुमको चोरी करने की क्या जरूरत थी तुम्हारा तो अपना ही गन्ना का बहुत बड़ा खेत है। फिर भी गन्ना खाना ही था तो मुझसे मांग लेती। मैं तुम्हे कई गन्ना तोड़कर दे देता।

मंजरी ने माफी मांगते हुए कहा माफ करे काका गलती हो गई। अब आगे से ऐसी गलती नही होगी। मगर मेरे घर पर नहीं बताना वरना घर में बहुत डांट पड़ेगी।

गलती की हो तो सजा तो मिलेगी ही तुम्हे। मैं तो तुन्हार घर जाकर तुम्हारे पिता जी से तुन्हारी शिकायत करूंगा। खेत के मालिक ने कहा।

राजन ने कहा काका जब मंजरी और हम सब माफी मांग रहे है तो क्यों बात बढ़ा रहे हैं। माफ करे और बात खत्म करे।

मैं तुम दोनो का नही पहचानता इसलिए तुमसे बात नही करूंगा। खेत मालिक ने उसे डांटते हुए कहा।


देखिए इतनी छोटी सी बात के लिए बात बढ़ाने से कोई फायदा नही है। काका आप मान जाइए। मंजरी ने उसको समझाते हुए कहा।

अब हमलोग चलते हैं आपको जो अच्छा लगे करे। इतना कहकर मंजरी सबको लेकर वहा से चल दी।

जैसे ही चारो मंजरी के घर पहुंचे पीछे पीछे खेतवाला भी पहुंच गया। घर के बाहर दरवाजे पर चारपाई पर मंजरी के पिता जी बैठे हुए थे। महेंद्र सिंह को देखते ही खेत के मालिक ने उनसे उन चारो की शिकायत करते हुए कहा ठाकुर साहब ये चारो मेरे गन्ने के खेत में गन्ना चुराकर खा रहे थे। इसलिए आपके पास शिकायत करने आया हूं।

महेंद्र सिंह ने उन चारो को देखा और खेत के मालिक से कहा बहुत अच्छा किया। क्या तुम्हारे घर में बच्चे नही है। क्या वे तुम्हारे खेत से गन्ना नही खाते हैं।

खेत का मालिक इनकी बात सुनकर सन्न रह गया। उसके मुंह से जवाब नही देते बना।

चुप क्यों हो बोलो। अरे बच्चो ने दो चार गन्ना खा ही लिया तो क्या हुआ उन्हे अपना बच्चा समझकर माफ कर देना चाहिए था।
तुमने मेरी बेटी को पहचान लिया फिर भी चला आया मेरे पास शिकायत करने। इसका मतलब तुम इसे अपनी बेटी नही मानते।


जितना गन्ना इन बच्चों ने नही खाया होगा उससे दस गुणा मैं तुम्हे दंड के रूप में दस किलो गुड़ देता हूं और जाओ।
इतना कहकर महेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पार्वती देवी से कहा तुम इसको दस किलो गुड़ दे दो।

खेत वाला बहुत शर्मिंदा हुआ और माफी मांग कर चला गया।
उसके जाते ही महेंद्र सिंह ने मंजरी और बाकी सबको डांटते हुए कहा तुम लोगो को अगर गन्ना खाना ही था तो मुझसे कहते गन्ना का पूरा बोझा ही कटवा देते। खैर चलो जो हुआ वो हुआ अब से किसी के खेत में चोरी मत करना। जब जो जरूरत हो मांग लेना। अब तुम लोग बड़े हो रहे हो।

सबने मंजरी के पिता से माफी मांगी।
मंजरी ने अपने पिता से राजन का परिचय कराया। सुनकर उसके पिता बड़े खुश हुए अरे तुम वही लड़के हो जिसके बारे में अखबार में छपा था। सबने उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिए।

खुश रहो सब खूब मन लगाकर पढ़ाई करना सब। फिर सबको अपने खेत से कंकड़ी, तरबूज और खरबूजा कटवाकर दिया और बिदा कर दिया।

रास्ते में पप्पू ने सायकिल चलाते हुए कहा यार मंजरी के पिता तो बहुत अच्छे इंसान है। मुझे तो बहुत डर लग रहा था की आज हम सबको बहुत डांट पड़ेगी। मगर उनका स्वभाव तो बिल्कुल ठाकुर घरानों से अलग राजाओं जैसा दिलदार लगा।


हा यार देखो न कितना फल देकर भेजा है हम दोनों को। और प्यार और दुलार दिया वो अलग।

मुझे मंजरी के पिता से आगे काफी मदद लेनी है कृषि के विकास में। मुझे लगता है उसके पिता जी मेरी जरूर मदद करेंगे।
राजन ने गंभीर होकर कहा।

शेष अगले भाग - 7 में

लेखक - श्याम कुंवर भारती

कहानी किसान का बेटा हूँ, भाग – 7

लेखक- श्याम कुँवर भारती

अगले दिन विद्यालय में राजन के क्लास में उसके क्लास टीचर ने राजन की काफी तारीफ किया और बाकी छात्र – छात्राओ को राजन से प्रेरणा लेने की सलाह दिया। शिक्षक ने कहा जो छात्र –छात्राये कृषि में रुचि रखते है वे अपना नाम राजन को दे दे। आप सभी अभी बोर्ड की परीक्षा देने वाले है। इसलिए आप सभी कोर्ष की पढ़ाई के साथ कृषि की शिक्षा ले सकते है। शिक्षा विभाग द्वारा एक आदेश आया है। कल से कृषि विषय पर अलग से क्लास चलेगा जिसकी अगुवाई राजन करेगा। पढ़ाई के साथ – साथ स्कूल के बगीचे में प्रयोग के रूप में खेती करके भी दिखाई जाएगी।

तभी बिरजू ने खड़ा होकर कहा किसी एक छात्र की वजह से विषय में जोड़ घटाव करना सही नहीं है सर।

शिक्षक ने समझाया बिरजू तुम गलत बात कर रहे हो। यह विषय स्वेक्षिक है जिसको रुचि है वही इसमे भाग लेगा। दूसरी बात यह विषय राजन की वजह से नहीं बल्कि आज की जरूरत समझकर सरकार ने यह निर्णय लिया है।


टिफिन के समय मंजरी ने बिरजू को काफी डांटा और कहा – तुमने बहुत गलत हरकत किया है बिरजू एक छोटी सी बात पर तुमने राजन को मारने के लिए गुंडे भेज दिये थे और आज भी तुम उसका बिरोध करने के लिए स्कूल में जोड़े गए कृषि विषय का बिरोध कर रहे थे। तुमको राजन का बिरोध नहीं उससे बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिए। आज राजन स्कूल ही नहीं पूरे जिला में मेघावी और होनहार छात्र के रूप में जाना जाता है।

बड़ा राजन का पक्ष ले रही हो तुम। उसकी ज्यादा तरफदारी मत करो वरना तुमको भी देख लूँगा बिरजू ने गुस्से में कहा।

क्या कहा मुझे धमकी दे रहा है तू इतना कहकर मंजरी ने उसके गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। खबरदार जो मुझे धम्की दिया और राजन को कभी नुकसान पहुंचाने की गंदी हरकत किया तो। मंजरी बहुत गुस्से में थी। बिरजू मंजरी को भी थप्पड़ मारने जा रहा था तभी राजन ने आकर उसका हाथ पकड़कर झटकते हुये कहा – तुम्हारी इतनी हिम्मत की मंजरी पर हाथ उठाओ, तुम्हारा हाथ तोड़कर रख दूंगा। उस दिन की मार भूल गए क्या। मुझसे नहीं सके तो गुंडे भेजते हो मुझे मारने के लिए कायर कही का। मैं तुम दोनों को देख लूँगा अभी तुमलोग मुझे जानते नहीं हो मैं क्या कर सकता हूँ। बिरजू उन दोनों को धमकी देता हुआ वहाँ से चला गया।


राजन को खेती- किसानी और बागवानी में काफी रुचि थी। पढ़ाई के मामले वो काफी कुसाग्र बुद्धि था। । पढ़ाई के अलावा वो जिला के सभी विद्यालयो में कृषि और पर्यावरण विषय पर अपने विचारो से सभी बिद्यार्थियों को जागरूक करने का कार्य कर रहा था। कुछ ही दिनो में उसने बोर्ड की परीक्षा भी दे दिया। जब परिणाम निकला तो राजन पूरे जिला में सब से अब्बवल आया था। उसके विद्यालय के सभी शिक्षक और उसके परिवार में सभी काफी खुश हुये थे। स्कूल में राजन को सम्मानित किया गया। अखबार में भी राजन की फोटो सहित प्रसंशा की गई थी। मंजरी ने राजन को फूलो का गुलदस्ता देकर बधाई दिया। उसे राजन की इस उपलब्धि पर बहुत खुशी हो रही थी। अपनी सखी सहेलियों में बड़े गर्व से राजन की तारीफ करते नहीं अघाती थी।

शेष अगले भाग – 8 में।

लेखक – श्याम कुँवर भारती

कहानी किसान का बेटा हूँ, भाग – 8

लेखक- श्याम कुँवर भारती

मंजरी अपनी सहेली नेहा को लेकर राजन के गाँव जाना चाहती थी। उसने अपनी माँ से पूछा – माँ मैं राजन से मिलने उसके गाँव जाना चाहती हूँ। उसने पूरे जिला में प्रथम स्थान से पास किया है। उसे उपहार देना चाहती हूँ। उसकी माँ पार्वती देवी ने उसे पाँच सौ रुपया दिया और कहा ठीक है बेटी जा मगर जल्दी आ जाना। रजनी ने अपने चचेरे भाई प्रताप को अपनी बाइक से राजन के गाँव पहुंचाने कहा उसका भाई मान गया। मंजरी, नेहा को लेकर पहले चौक पर गाई जहा काफी दुकाने थी। उसने एक मिठाई की दुकान से मिठाई लिया और अपने भाई के साथ बाइक से निकल गई। जब वो राजन के घर पहुंची वहा उसकी माँ से मुलाकात हुई उसने उनका पैर छूकर प्रणाम किया और अपना परिचय दिया। राजन की माँ रजनी से मिलकर बहुत खुश हुई और उसे खूब आशीर्वाद दिया। उसने उन तीनों को खूब खिलाया पिलाया। राजन की दोनों बहाने प्रिया और श्रेया मंजरी से मिलकर बहुत खुश हो रही थी। प्रिया ने मंजरी को बताया राजन भैया हमेसा आपकी बात करते रहते है। हम सब भी आपसे मिलना चाहती थी आज मिल भी लिया।


उन दोनों ने मंजरी और नेहा को अपने कमरे में ले गई। मंजरी ने कहा मैं राजन को उसके पास होने की खुशी में मिठाई सेने आई थी मगर वो कही दिख नहीं रहा है। प्रिया ने कहा भैया बाबूजी के साथ खलिहान में मसिन से गेहूं का भूसा निकलवा रहे है। मजदूर सब गेंहूँ को बोरा में भर रहे है। भैया को आने में शाम हो जाएगी। मंजरी ने कहा – क्या हमलोग खलिहान नहीं जा सकते मुझे उससे मिलकर शाम होने से पहले घर वापस लौटना पड़ेगा। प्रिया ने कहा ठीक है मैं अभी माँ से पुछकर बताती हूँ। इतना कहकर प्रिय कमरे से निकल गई। प्रिया अपनी माँ के पास गई वो रसोई घर में सबके लिए चाय और नाश्ता बना रही थी। प्रिया ने अपनी माँ से मंजरी के आने का कारण बताया और पूछा – वो भैया से मिलने खलिहान जाना चाहती है, क्या मैं उसको लेकर खलिहान में जाऊ।

अरे नहीं बेटी खलिहान में गेहूँ का भूसा और धूल गर्दा उड़ रहा होगा। उसे वहा लेकर मत जाओ। मैं तुम्हारे बाबूजी को फोन कर बोल देती हूँ वो राजन को घर भेज देंगे। उसकी माँ ने मना करते हुये कहा। ठिक है माँ इतना कहकर प्रिया लौटकर मंजरी को बता दि राजन भैया घर पर ही आ रहे है। मंजरी ने कहा तब तो अच्छा है। मुझे राजन का कमरा दिखाओगी क्या। श्रेया ने कहा क्या बात है रजनी दी भैया का कमरा देखकर क्या करोगी और हंसने लगी। मंजरी थोड़ी देर के लिए शर्मा गई मगर संभलते हुये बोली – मैं देखना चाहती हूँ जिला टॉप स्टूडेंट कैसे रहता है। ताकि मैं भी उससे कुछ सीख सकूँ। वह क्या बात है आपकी बात सुनकर मुझे अपने भैया पर बड़ा गर्व हो रहा है। जरूर दिखाऊँगी आइये मेरे साथ। प्रिया ने कहा और मंजरी का हाथ पकड़कर राजन के कमरे की तरफ चल पड़ी। पीछे नेहा और श्रेया भी चल दी। बाहर बैठक खाने में राजन का चचेरा भाई गाँव के कुछ लड़को के साथ लूडो खेल रहा था।

राजन के कमरे में पहुँचकर मंजरी चकित रह गई गई। कमरा बहुत ही साफ सुथरा था। हर चीज करिने से सजा कर रखी गई थी। मगर उस कमरे में कई किताबों की अलमारियाँ रखू हुई थी। जिसमे बहुत सारी किताबे रखी हुई थी। मंजरी ने उन किताब को उठाकर देखा जो कोर्स के अलावा पर्यावरण, जीव- जन्तुओ, प्रदूषण, कृषि और मिट्टी से संबन्धित ढेर सारी पुस्तके राखी हुई थी। मंजरी ने प्रिया से पूछा – क्या राजन इन सारी किताबों को भी पढ़ता है। प्रिया ने बताया जी, भैया अपनी कोर्स की किताबों के अलावा इन सारी किताबों को भी पढ़ते है। उनको कृषि, जीव जन्तु और पर्यावरण से बहुत लगाव है।

मंजरी ने एक कॉपी को उठाकर देखा उसे पढ़ कर वो चौंक गई। वह एक कॉपी नहीं बल्कि राजन की आत्म कथा थी जीसमे वो अपनी प्रतीदिन की घटनाओ और अपनी भावनाओ को लिख रहा था। मंजरी ने आगे पढ़ा राजन ने मंजरी के बारे में अपने प्रेम की भावनाओ का उल्लेख किया। पढ़कर मंजरी अंदर ही अंदर राजन से काफी प्रभावित होती जा रही थी मगर कूछ बोली नहीं।


थोड़ी देर में राजन खलिहान से आ गाय था। वो पूरी तरह धूल गर्दा से लिपटा हुआ था। उसने चापाकल पर जाकर अपनी साफ सफाई किया और मंजरी के पास गया। मंजरी कोई देखकर वो काफी खुश हुआ। राजन ने उसे मिठाई का पॉकेट देते हुये उसे बधाई दिया। राजन ने सूका आभार प्रकट करते हुये कहा – मुझे तो विश्वाश ही नहीं हो रहा तुम इस तरह अचानक आ जाओगी।

तो क्या सरप्राइज़ देना तुमको ही आता है। हम लड़किया भी लड़को से कम नही है मेरे प्यारे राजन जी। मंजरी की बात सुनकर सभी हंसने लगे। चलो मान लिया तुम लड़कियां हम लड़को से कम नहीं हो। मैं भी यही चाहता हूँ तुम सब हम सब से आगे रहो।

राजन ने मिठाई सबको देते हुये बोला खुशी की मिठाई है इसलिए सबलोग मिल बाँट कर खाओ। तभी वहा राजन की माँ सबके लिए चाय और नाश्ता लेकर आई। राजन ने अपनी माँ को भी मंजरी की मिठाई खिलाई। सबलोग खाने लगे। मंजरी ने कहा – राजन तुम आगे की पढ़ाई अब कहा करना चाहते हो। क्योंकि हमारा स्कूल तो द्सवी तक ही है। रिजल्ट लेने के बाद किस कॉलेज में एडमिसन करना है। मैं चाहती हूँ जहा तुम जाओ मैं भी तुम्हारे साथ रहूँ ताकि मुझे तुम्हारे साथ के अलावा कुछ सीखने को भी मिलेगा।


तुम चिंता मत करो रिजल्ट निकलने दो किसी अच्छे कॉलेज का पता लगा रहा हूँ जहा एडमिसन लूँगा तुमको भी बता दूंगा। राजन ने मंजरी से कहा।

एक बात बताओ राजन तुम कोर्स की किताबों के अलावा बाकी विषय की किताबे कैसे पढ़ लेते हो मुझसे तो अपनी कोर्स की ही किताबे पढ़ने में मुसीबत लगती है। मंजरी ने पूछा।

मगर तुमको कैसे पता यह सब राजन ने आश्चर्य से पूछा। प्रिया ने कहा – भैया मंजरी दी आपके कमरे की जासूसी पहले ही कर चुकी है। राजन चौंक गया। उसने मन ही मन सोचा कही इसने मेरी आत्म कथा की डायरी तो नहीं पढ़ ली। उसका हाल समझ मंजरी ने कहा – घबड़ाओ क्यों रहे हो राजन बाबू मैंने वहाँ कुछ भी नहीं छेड़ छाड़ नहीं किया है।

और न कुछ पढ़ा है और मुस्कुराने लगी।
राजन को उसकी मुस्कुराहट पर शक हुआ मगर कुछ कहा नहीं।

अचानक मंजरी
ने कहा – अच्छा अब मैं चलती हूँ शाम होने वाली है देर होने पर माँ नाराज होगी। राजन मंजरी को बाहर तक छोड़ने आया। उसने धीरे से मंजरी के कान में कहा थोड़ी देर और नहीं रुक सकती थी क्या। अभी तो आई थी इतनी जल्दी जा रही हो।
उसकी बात सुनकर मंजरी ने मुस्कुरा दिया और कहा – नहीं अभी नहीं लेकिन मैं चाहती हूँ तुम हमेसा के लिए रोकने लायक बन जाओ पहले।

इसका क्या मतलब हुआ राजन ने पूछा। 
इसका मतलब हुआ पहले तुम जो बनना चाहते हो बन जाओ मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी और तुम्हारा साथ भी दूँगी। तब तुम रोकेगे मैं बिना बिरोध के रुक जाऊँगी और फिर कोई भी मुझे तुम्हारी जिंदगी से अलग नहीं कर पाएगा। मंजरी की बात सुनकर राजन उसका चेहरा देखता रह गया। चुपचाप उसे बाईक पर बैठ कर जाते हुये देखता रहा।

शेष अगले भाग -9 में

लेखक – श्याम कुँवर भारती

कहानी किसान का बेटा हूँ, भाग – 9

लेखक- श्याम कुँवर भारती

जब विद्यालय में सभी छात्र अपना मार्कसिट और रिजल्ट लेने पहुंचे तब प्रधानाध्यापक ने सबको विद्यालय के सभागार में बुलाया और कहा – बच्चो आप सबके लिए एक खुश खहबरी है, राज्य सरकार ने विद्यालय के अछे परिणामो और प्रयासो का ध्यान रखते हुये तथा आसपास कोई इंटर कॉलेज नहीं होने के कारण इस विद्यालय को टेन प्लस कर दिया है अर्थात अब इस विद्यालय में आप सब इंटर तक की पढ़ाई कर सकते है। जिनको इक्षा है या किसी मजबूरी वस बाहर जाकर पढ़ाई करनी है वे जा सकते है उनको ब्नोर्ड का परीणाम, प्रमाण पत्र और विद्यालय परीत्याग प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया जाएगा।

अब इस विद्यालय में साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों विषयो की पढ़ाई होगी साथ ही विद्यालय को प्र्योगशाला के रूप काफी मात्रा में संसाधन मिल रहा है। साथ में दस एकड़ जमीन कृषि के रिसर्च और प्रयोग हेतु। कुछ ही दिनो में दस नए शिक्षक आ जाएंगे। कृषि की प्र्योगशाला और जमीन राजन की वजह से दी गई है। राजन के साथ अन्य छात्र कृषि और मिट्टी की उपज बढ़ाने हेतु अब काफी कुछ प्रशिक्षण प्राप्त कर पाएंगे। प्रधानाध्यापक की घोषणा सुनकर सभी छात्र – छात्राए खुशी से तालियाँ बजाने लगे मगर बिरजू को राजन की तारीफ अच्छी नहीं लगी।


इस खुशी के अवसर पर विद्यालय में एक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा नाटक का मंचन सबसे अच्छे आंक लाने वाले विद्यार्थियो को सम्मानित भी किया जाएगा। जिनको इस आयोजन में भाग लेना है लड़के अपना नाम राजन को और लड़कियां मंजरी को दे सकते है। कार्यक्र्म में गीत संगीत, नृत्य और नाटक का मंचन सामील रहेगा। नाटक का नाम होगा “उजालों की ओर “ इस नाटक में जो लोग भाग लेना चाहते है वे विद्यालय के संगीत शिक्षक को दे सकते है। ख्याल रहे इस आयोजन में प्रखण्ड स्तर से लाकर जिला और राज्य स्तर के पदाधिकारी अतिथि के रूप में पधार रहे है इसलिए सबको जी जान से इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करनी है। ताकि विद्यालय का मान और प्रतिष्ठा और बढ़े। जो लोग कार्यक्रम में सिधे भाग नहीं लेंगे वे आयोजन के अन्य कार्यो में सहयोग करेंगे। सहयोग के रूप में जिनको अपना नाम देना है वे अपना नाम खेल शिक्षक को दे सकते है। बाद में सबको उनको उनकी जिम्मेवारी बता दी जाएगी। साथ ही आप सबके माता – पीता को भी आमंत्रित किया जाएगा। आप लोग आज से ही इसकी तैयारी शुरू करे दे। दो तीन दिनो में आप सब अपना नाम सबंधित शिक्षक को दे दे ताकि आप सब आयोजन की तैयारी और रिहर्सल कर सकें। इतना कहकर प्रधानाध्यापक ने अपनी बात समाप्त किया। सभागार पुनः तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बच्चे उनकी बात सुनकर काफी खुश और उत्साहित भी थे। उन्हे इस बात की भी खुशी थी की उन्हे अब गाँव से शहर जाकर हॉस्टल लेकर पढाई करने के लिए काफी खर्चा नहीं करना पड़ेगा और न इधर उधर एडमिसन हेतु भटकना पड़ेगा।


सभागार से निकल कर राजन ने मंजरी को बधाई देते हुये कहा – तुम्हारे लिए तो बहुत खुशी की बात है मंजरी अब तुम्हें शहर नहीं जाना पड़ेगा। आने गाव् में रहकर अपनी इंटर की पढ़ाई पूरी कर सकोगी।

सच में राजन मैं तो बहुत खुश हूँ मुझे ही नहीं बाकी लड़कियो के लिए भी बहुत खुशी की बात है। मुझे तो एक बात की और खुशी है तुम्हारे साथ और दो साल और पढ़ने का मौका मिलेगा। मंजरी ने खुशी जाहीर करते हुये।

अच्छा ऐसी बात है तो इस खुशी में चलो तुम्हें पार्टी देता हूँ। बोलो क्या खाओगी राजन ने हसते हुये कहा। जो तुम खिला दो मंजरी ने जवाब दिया।

चोरी चोरी पार्टी दिया जा रहा है यहाँ हम सब भी है भाई तभी वहाँ पप्पु और नेहा ने आते हुये कहा।
अरे ऐसी बात नहीं चलो तुम लोग भी चलो। फिर सब लोग स्कूल से थोड़ी दूर एक होटल में जाते है। राजन मंजरी और नेहा के लिए चाट मसाला और दोनों के लिए समोसा चाय मगाता है। चाय नाश्ता करके चारो आइसक्रीम खाते हुये घर चल दिये। रास्ते में राजन ने कहा - तुम लोग किस किस आइटम में भाग लोगे मुझे बता दो। मंजरी ने कहा मैं तो तुम्हारे साथ युगल नृत्य करूंगी, तुम्हारे ही साथ युगल गाना गाऊँगी और नाटक में भी भाग लूँगी यदि तुम भी नाटक में भाग लोगे तो।


उसकी बात सुनकर सब हसने लगे। नेहा ने कहा – मेरी सखी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली है इसलिए और किसी के बारे सोचना भी नहीं।

मेरा दोस्त कोई डरपोक थोड़े ही है। वह भी जमकर मंजरी का साथ देगा पीछे हटने वाला नहीं है नेहा तुम अपना बताओ तुमको मेरा साथ कैसा रहेगा पप्पु ने हसते हुये कहा। फिर सब हसने लगे नेहा शर्मा गई।

मंजरी ने कहा – नेहा को कमजोर मत समझना तुम पप्पु ये तो तुम्हारे सिर पर हरदम सवार रहेगी क्यों सखी। फिर सब लोग हसने लगे। बेचारी नेहा को कुछ बोलते नहीं बना।

शेष अगले भाग – 10 में।

लेखक – श्याम कुँवर भारती

कहानी : किसान का बेटा हूँ, भाग – 10

लेखक- श्याम कुँवर भारती

जिला मुख्यालय में उपायुक्त राकेश सिन्हा के कार्यालय में एक बैठक चल रही थी जिसमे जिला शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी, कृषि विभाग और राजन के विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी उपस्थित थे। उपायुक्त सिन्हा ने अपनी बात शुरू करते हुये कहा –मदनपुर उच्च विद्यालय का विस्तार करते हुये सरकार ने उसे इंटर तक कर दिया है। इससे आसपास के गांवो के बच्चो को इंटर तक की पढ़ाई करने के लिए दूसरे शहरो या कॉलेजो में नहीं भटकना पड़ेगा। इस सिलसिले में जो भी जरूरी सुविधाए और साधन है वे सब शीघ्र ही विद्यालय को उपलब्ध करा दिया जाएगा।


अब उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक और विद्यालाय प्रबंधन की जिम्मेवारी बढ़ा गई है।

उस विद्यालय का लगातार उत्तीर्ण छात्रों का प्रतिसत सभी विद्यालयो से बेहतर रहा है। इसलिए उसको यह उपलब्धि मिली है। विद्यालय को अतिरिक्त भवन भी दिया जाएगा। कृषि प्र्योगशाला हेतु जमीन भी दी गई है। अब उस विद्यालय को जिला ही नहीं पूरे राज्य में एक आदर्श विद्यालय बनाना है।

फिर सिन्हा ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारीयों से कहा आप सब उस क्षेत्र के आसपास की जितने भी हाई स्कूल है सबमे खूब इसका प्रचार करवाए ताकी छात्र अपना नामांकन करा सके।

कृषि विभाग से अनुरोध है आप सभी किसानो और छात्रो को कृषि के प्रति जागरूकता बढ़ाने, प्रयोग और प्रशिक्षण में सहयोग करे।

जिला शिक्षा अधीक्षक पाण्डेय ने कहा – सर उस विद्यालय में राजन में बहुत ही मेघावी, होनहार और कुसाग्र बुद्धि है। हमे उसकी प्रतिभा का लाभ बाकी छात्रो को भी दिलाना है ताकि उससे अन्य छात्र प्रेरणा ले सके। इतनी कम उम्र में इतनी ऊंची सोच और इतना ज्ञान और अनुभव कबीले तारीफ है। कृषि के प्रति उसकी लगन और अनुभव देखकर आश्चर्य होता है।


बिल्कुल पाण्डेय जी हम सभी उसकी इसी प्रतिभा का लाभ शिक्षा और कृषि के क्षेत्र दोनों में उठाएंगे ताकि इसका लाभ औरे क्षेत्र को मिले। ताकि हमारा जिला भी दोनों में क्षेत्र में पूरे राज्य में एक पहचान बना सके। मुझे इस सिलसिले में राज्य सरकार ने बुलाया है विचार विमर्श करने हेतु उपायुक्त सिन्हा ने कहा। अब आप लोग आगे की तैयारी में लग जाये आज की बैठक समाप्त की जाती है।

इधर स्कूल में राजन उत्सव की तैयारी में पूरी जी जान से लगा हुआ था उसका साथ मंजरी, नेहा, पप्पू और बाकी साथी दे रहे थे। आयोजन में भाग लेने वाले लड़के लड़कियो की सूची बनवाने में लगा हुया था। नाटक में भाग लेने हेतु बिरजू अड़ा हुआ था की नायक का अभिनय वही करेगा। जबकी नायक राजन और मंजरी नायिका की भूमिका निभाना चाहते थे।

बात इतनी बढ़ गई की मामला प्रधानाध्यापक तक चला गया। हेडमास्टर ने सबकी बात सुनने के बाद कहा इसका फैसला अब सबके अभिनय की जांच करने के बाद ही किया जाएगा। उन्होने दो दिनो का समय दिया और कहा – इस टेस्ट में जिसका अभिनय सबसे बेहतर होगा नायक और नायिका की भूमिका उसे ही दि जाएगी।

दो दिनो बाद सभी लड़के लड़कियो के अभिनय को देखा गया जिसमे सबसे बेहतर राजन और मंजरी का अभिनय पाया गया। बिरजू गुस्से से लाल पीला हो रहा था। वो मंजरी के साथ अभिनय करना चाहता था। मगर वो नहीं हो सका। मंजरी और राजन बहुत खुश थे।


आयोजन के दिन पूरे विद्यालय को सजाया गया था। प्रखंड से लेकर जिला और राज्य स्तर कए पदाधिकारी, विधायक और सांसद भी पधारे हुये थे। सभी बच्चो के माता -पिता भी आए हुये थे। आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चो ने बहुत ही मनमोहक और आकर्षक गीत, संगीत और नृत्य की प्र्स्तुती दिया पूरा मंच तालियो की गड़गड़ाहट से गूँजता रहा।

खासकर राजन और मंजरी का जुगल गीत और नृत्य काफी सराहा गया। दोनों ने अपनी मधुर आवाज़ गीत गाकर और नृत्य कर सबका दिल जीत लिया।

हद तो तब हो गई जब “उजालों की ओर” नाटक की प्रस्तुति में दोनों ने जान ही डाल दिया। सबको लगा ही नहीं यह नाटक चल रहा है या हकीकत देख रहे है। अंत में अतिथियों के भाषण और सभी उत्तीर्ण छात्र – छात्राओ और प्रतिभागियो को सम्मान पत्र देकर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई।
शेष अगले भाग- 11 में

लेखक -शयम कुँवर भारती


कहानी किसान का बेटा हूं भाग-11

लेखक श्याम कुंवर भारती

कुछ ही दिनों में सभी उत्तीर्ण छात्रों का नामांकन ग्यारवही क्लास में हो गया। सभी विषयों में काफी संख्या में छात्रों ने नामांकन लिया। विद्यालय से बाहर से भी काफी संख्या में नए छात्रों ने भी नामांकन लिया।

कुछ ही दिनों में पढ़ाई भी शुरू हो गई। राजन, मंजरी, नेहा और पप्पू ने साइंस लिया मगर बिरजू ने आर्ट्स विषय लिया था। उसे पढ़ाई से ज्यादा इधर उधर के फालतू कामों और राजनीति करने में बहुत मन लगता था।


प्रत्येक दिन क्लास के बाद एक घंटे का प्रेक्टिकल भी होता था। फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी का प्रेक्टिकल। राजन और उसके दोस्तो की तुम खूब मन लगाकर पढ़ाई और प्रेक्टिकल करते थे। इन सबमें सबका खूब मन लगता था।

सप्ताह में दो दिन सभी कृषि के प्रयोग हेतु खेतो पर जाते थे। स्कूल को मिली जमीन में कई तरह के पौधे लगाए गए थे। मौसम के अनुसार लगाई जाने वाली फसलें, साग सब्जी, फल फूल, जड़ी बूटियां, मिश्रित खेती, जैविक खाद, केंचुआ खाद, सूखे पत्तो और कचड़ो की खाद, जानवरो के गोबर और मूत्र की खाद सबकुछ छात्रों और किसानों को सिखाया और दिखाया जा रहा था।

इससे किसान और छात्र बहुत उत्साहित हो रहे थे।
यह फार्म पूरे क्षेत्र ने चर्चा का विषय बना हुआ था।
राजन को पूरी टीम का लीडर बनाया गया था। साथ ही रोजगार हेतु भी किसानों को उत्साहित किया जा रहा था ताकि सभी उत्साहित होकर इस तरह की फसलों का उत्पादन करे और अपनी आमदनी भी बढ़ाए।


इस स्कूल और कृषि फार्म को देखने के लिए दूसरे स्कूलों कॉलेजों और कृषि विभाग के छात्र और विशेषज्ञ भी आने लगे थे और लाभ उठाने लगे थे। इससे प्रभावित होकर जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने काफी फंड और सहायता देना शुरू किया ताकि प्रयोग और प्रशिक्षण अनवरत चलता रहे।

इसी तरह समय पंख लगाकर किस तरह दो साल पूरा कर लिए किसी को पता ही नही चला। फिर परीक्षा भी आ गई। परिणाम भी निकला जिसमें राजन ने न केवल अपने स्कूल बल्कि ओरे राज्य में प्रथम स्थान लाया था। बाकी छात्रों ने भी पहले से भी बेहतर परिणाम दिए थे। मंजरी, नेहा और पप्पू ने भी अपने विद्यालय में प्रथम स्थान लाया था।

राजन और मंजरी का प्यार भी परवान चढ़ता जा रहा था। दोनो एक दूसरे के पूरक बन गए थे।

सारे अखबारों में स्कूल के परिणाम की खबरे प्रार्थमिकता के साथ छपी थी। खासकर राजन की फोटो उसके माता पिता के साथ छपी थी। हर तरफ उसकी चर्चा हो रही थी। स्कूल प्रबंधन, जिला प्रशासन और राज्य सरकार भी विद्यालय और राजन की उपलब्धि पर काफी खुश थे। जिला प्रशासन ने पांच लाख रुपए और राज्य सरकार ने पच्चीस लाख रुपए राजन को उपहार स्वरूप और आगे की बेहतर पढ़ाई हेतु देने की घोषणा किया। कई टीवी चैनल वालो ने राजन और उसके माता पिता तथा स्कूल प्रबंधन के अलावा जिला प्रशासन सहित शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का इंटरव्यू लेकर प्रसारण करने लगे थे। मंजरी और उसके बाकी दोस्तों ने राजन को खूब बधाइयां दिया।


राजन को अपने कॉलेज में दाखिला करवाने हेतु शहर के बड़े बड़े कॉलेज खुद उसके गांव जाकर अनुरोध कर रहे थे। वे भी स्टेट टॉपर स्टूडेंट का एडमिशन अपने कॉलेज में करने का मौका खोना नहीं चाहते थे। आखिरकार राजन ने उत्तमराज नगर में उत्तमराज विश्वविद्यालय में अपने दोस्तो के साथ एडमिसन ले ही लिया। यूनिवर्सिटी में राजन और उसके दोस्तो का भव्य स्वागत किया गया। खुद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने उसका स्वागत किया। साथ मे मंजरी, नेहा और पप्पू का भी स्वागत हुआ।

कुछ ही दिनों में राजन को कॉलेज के छात्र संघ का अध्यक्ष भी चुन लिया गया। हालांकि राजन अध्यक्ष नही बनना चाहता था मगर सभी छात्रों के अनुरोध पर उसने चुनाव में भाग लिया और उसे निर्विरोध चुन लिया गया।

अध्यक्ष बनते ही उसने कॉलेज में काफी सुधार करवाए। सभी क्लास को नियमित करवाया। पुस्तकालय का विस्तार, प्रशासन में सुधार, लड़कियों की सुरक्षा, छेड़छाड़ और नए छात्रों की रैगिंग पर रोक लगवाया। होस्टल की विधि व्यवस्था, केंटीन में खान पान आदि कई तरह के सुधार करवाए। प्रेक्टिकल हेतु लेबोरेटरी में भी काफी सुधार और संसाधनों का विस्तार करवाया।


इससे कोलेज प्रबंधन और छात्र काफी खुश थे।
उसने कहा दूर दराज से गरीब छात्र यहां अपना भविष्य बनाने आते है। वे आगे चलकर राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभायेंगे इसलिए कोलेज को उनकी अपेक्षा पर खरा उतरने की आवश्यकता है।
शेष अगले भाग 12 में
लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग - 12

लेखक- श्याम कुंवर भारती।
वॉयस चांसलर के ऑफिस में राजन अपने दोस्तो के साथ पहुंचा और कुछ सुझाव के साथ एक मांगपत्र उनके सामने रखते हुए कहा सर अगर संभव हो तो हमारी इन मांगों को गंभीरता पूर्वक विचार कर कोई निर्णय ले इससे हमारे ही कॉलेज ही नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी से जुड़े अन्य कोलेजो को भी काफी फायदा होगा।

वीसी ने कहा ठीक है मैं देख लूंगा तुम जो कहना चाहते हो कहो। जी जरूर सर राजन ने कहना शुरू किया हमारी मांग है की नियमित क्लास के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साइंस के विषयों की देश विदेश के विशेषज्ञों द्वारा क्लास कराई जाए, समय समय पर छात्रों को संबंधित स्थानों और प्रयोगशालाओं का एक्सपोजर विजिट करवाया जाए।


शुबह और शाम किसी एक समय एक दो घंटे का अलग से कोचिंग क्लास शुरू किया जाय ताकि जिन छात्रों को किसी विषय पर कुछ पूछना या समझना हो तो वो उस समय अपनी शंका दूर कर सके।

तुम्हारी मांग बहुत ही जायज है इस विषय पर मैं अपने प्रबंधन से विचार कर अपनी सहमति दूंगा। जरूरत पड़ी तो सरकार से भी बात करूंगा। वीसी ने कहा।

राजन, मंजरी, पप्पू और नेहा वीसी के ऑफिस से उनका अभिवादन कर निकल गए।
शीघ्र ही राजन की सभी मांगे मांग ली गई इससे छात्रों ने काफी खुशी जाहिर किया।
अब कॉलेज में क्लास के समय छात्रों की उपस्थिति बढ़ गई थी। छात्रों में काफी उत्साह और पढ़ाई के प्रति लगाव होने लगा था। उनको मजा भी आ रहा था। पहले जहा उनको पढ़ाई में बोरियत होती थी अब मन लगने लगा था।

परिणाम यह हुआ की बारहवीं क्लास का रिजल्ट काफी बेहतर रहा। इससे कॉलेज प्रबंधन और यूनिवर्सिटी भी बहुत खुश थी।
कॉलेज में विदेश में जाकर पढ़ाई करने हेतु फेलोशिप का फार्म भरा जा था था। राजन ने भी कृषि और मिट्टी पर रिसर्च करने हेतु आवेदन भर दिया उसका टेस्ट लिया गया जिसमें वो पास हो गया। कुछ ही दिनों में उसका आवेदन स्वीकृत कर उसे अमेरिका जाने का सुनहरा अवसर मिल गया। राजन और उसके दोस्त काफी खुश हुए। मगर मंजरी को राजन से बिछड़ने का बहुत ही दुख हो रहा था। तीन साल की ही तो बात है फिर तो वापस आ ही जाऊंगा। राजन ने मंजरी को समझाते हुए कहा।

कही तुम विदेश जाकर किसी विदेशी लड़की से प्यार तो नही कर बैठोगे। मंजरी ने उदास स्वर में अपनी शंका जाहिर करते हुए कहा।

सुनकर राजन हसने लगा और कहा मुझे अपनी भारतीय लड़की मंजरी चाहिए और कोई नहीं। तुम मुझ पर विश्वास करो और बेफिक्र रहो।

राजन को दो महीने के भीतर अपना पासपोर्ट बनवाकर बीजा के लिए अप्लाई करना था। दो महीने के भीतर उसे अमेरिका की संबंधित रिसर्च इंस्टिट्यूट में जाकर दाखिला लेना था। उसके पढ़ने लिखने, रिसर्च, रहने और खाने का ख़र्च अमेरिकन रिसर्च इंस्टिट्यूट करनेवाली थी।

मंजरी, नेहा और पप्पू ने उसी यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया वे सभी कृषि में पीएचडी करना चाहते थे।

परीक्षा का रिजल्ट निकलने के बाद सभी अपने गांव आ गए।
गांव आते ही मंजरी के पिता ने कहा बेटी तुम आगे की पढ़ाई पूरी करो इससे पहले मैं तुम्हारा विवाह करना चाहता हूं।
अपने पिता की बात सुनकर मंजरी चौक गई। उसने कहा पापा मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं। पीएचडी करने के बाद अपने विवाह के बारे में सोचूंगी।

बेटी तुम्हारी पढ़ाई में काफी समय लगेगा मैं ऐसे परिवार में तुम्हारी शादी करूंगा जो शादी के बाद भी तुम्हारी पढ़ाई लिखाई के लिए सहमत हो।


उसके पिता ने उसे समझाते हुए कहा।
रात में मंजरी ने अपनी मां से अपने दिल की बात कह दी। मां मैं राजन से प्यार करती हूं और उसी से विवाह करना चाहती हूं। अभी वो रिसर्च करने अमेरिका जा रहा है आने के बाद वो मुझसे ही विवाह करना चाहता है।

बेटी यह संभव नहीं है माना की राजन बहुत ही होनहार और अच्छा लड़का है। तुमको चाहता है वो तुम्हे खुश भी रखेगा मगर उसकी बिरादरी अलग है। तुम्हारे पापा और समाज इसको स्वीकार नही करेंगे। उसकी मां ने उसे समझाते हुए कहा।

वो सब मै नही जानती हूं आप पापा से बात कर उनको समझाओ मुझे राजन से ही विवाह करना है। मंजरी ने ज़िद करते हुए कहा।

प्यार जात पात ऊंच नीच कुछ नही देखता है। मंजरी भी अपने प्यार को खोना नही चाहती थी।
अगले दिन मंजरी ने फोन कर राजन को अपने घर बुलाया। राजन पप्पू को लेकर उसके घर गया। मंजरी ने उसे अपने पापा की बात बताई। सुनकर राजन भी चिंतित हुआ।


मंजरी की मां ने उसके पिता से मंजरी की बात बताई। सुनकर मंजरी के पिता भी चिंतित हो गए। उन्होंने राजन, मंजरी और उसकी मां को अपने पास बुलाकर कहा - राजन मुझे तुम जैसे लड़के को अपना दामाद बनाने में बहुत खुशी होगी। तुम्हारा काफी नाम है। तुम्हारी काबिलियत का लोहा पूरा जिला मानता है। तुम एक होनहार लड़के हो। सभ्य और संस्कारी हो। तुम्हारा परिवार भी अच्छा और खाता पीता है। मेरी बेटी तुम्हारे घर में काफी खुश रहेगी। कुछ दिनों में तुम वैज्ञानिक भी बन जाओगे। तुम्हारा सम्मान और बढ़ जायेगा। पैसा की भी कमी नहीं रहेगी। मगर तुम तो जानते हो हमारा राजपूत घराना है। हमारा समाज कभी तुम्हारे रिश्ते को स्वीकार नही करेगा।

उन्होंने अपनी मजबूरी सुनाते हुए कहा।
अंकल आज भी लोग अगर जात पात मांगेंगे तो जैसे काम चलेगा। जमाना कितना बदल गया है। आपकी बेटी खुश रहे न रहे आप अपनी बिरादरी में ही विवाह करना चाहते है। चाहे लड़का और उसका कुल खानदान कैसा भी हो। राजन ने कहा।

मैं मजबूर हूं राजन तुम दोनो विवाह का ख्याल छोड़ना पड़ेगा। मंजरी के पिता ने कहा।
अंकल मैं मंजरी को बहुत चाहता हूं इसके सिवा मैं किसी और लड़की के बारे में सोच भी नहीं सकता। मैं इसको जिंदगी भर खुश रखूंगा। आप मान जाइए समाज को छोड़िए। बाद में वो भी मान जायेगा। राजन ने उनसे अनुरोध करते हुए कहा।


मेरे अमेरिका से आने तक आप मंजरी की शादी कही और नही करेंगे। लौट कर मैं इससे विवाह करूंगा। राजन ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा।

मंजरी ने भी राजन की बात का समर्थन किया।
तुम दोनो मेरी मजबूरी समझो और मुझे माफ करना इतना कहकर वे वहा से चले गए।
मंजरी ने अपनी मां से कहा मां तुम पापा को समझाओ वे कम से कम राजन के अमेरिका से लौट कर आने तक इंतजार करे। ठीक है बेटी मैं कोशिश करूंगी तुम दोनो चिंता मत करो मैं कोशिश करूंगी। तुम लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।

राजन जैसे ही बाहर निकलने लगा मंजरी दौड़कर उससे लिपट कर रोने लगी। मैं तुम्हारे बिना नही रह सकती राजन। तुम्हारे लौटने तक तुम्हारा इंतजार करूंगी। मगर कही तुम मत बदल जाना।

राजन ने उसके चेहरे को अपने हाथो मे लेकर कहा - तुम इतनी जल्दी घबड़ा जाओगी तो सोचो मेरा क्या होगा। हिम्मत रखो। मैं एक बात कहना चाहता हूं अगर तुम्हारे पापा हमारे रिश्ते के लिए मान जाते है तो मैं तुमसे विवाह करके ही अमेरिका जाऊंगा।

तुम सच कह रहे हो राजन मंजरी ने अपनी आंखो से छलक आए आंसुओ को पोछते हुए कहा। 
मेरा विश्वास करो बाबा।
ठीक है मैं अपनी मां और पापा से बात करती हूं।
ये हुई न बात बस इसी तरह मुस्कुराते रहा करो। अब मुझे जाने दो। इतना कहकर राजन वहा से निकल जाता है।

शेष अगले भाग-13 में।

लेखक- श्याम कुंवर भारती।

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग-13


लेखकश्याम कुंवर भारती।

राजन ने अपनी मां से कहा मां मुझे मंजरी बहुत पसंद है, मैं उससे प्यार करता हूं। वो भी मुझसे करती है। मैं उससे विवाह करना चाहता हूं। तुम बाबूजी से बात कर उनको मनाओ मां।

ये तू क्या बोल रहा है बेटा तेरे बाबूजी सुनेंगे तो बहुत नाराज होंगे मेरी हिम्मत नही है उनसे बात करने की। उसकी मां ने घवड़ा कर कहा।

किसी तरह बात कर उनको मनाओ मां अभी नही अमेरिका से आने के बाद करूंगा।

उनको यह भी बताना मंजरी के पिता हमारी शादी के लिए तैयार नहीं हैं मां।

तुम बात करना मैं ट्रेक्टर लेकर खेत में जा रहा हूं ताकी खेत जोतकर धान का बीज डालने के लिए तैयार हो जाए।

इतना कहकर राजन ट्रेकर स्टार्ट कर खेत की तरफ मोड़ दिया।
उसने फोन कर पप्पू को भी बुला लिया। रास्ते में वो मंजरी के बारे में ही सोचता रहा।


रास्ते में उसे पप्पू मिला उसने ट्रेक्टर रोक कर बोनट पर बैठा लिया। राजन को देख पप्पू ने पूछा क्या बात है यार बड़ा टेंशन में लग रहा है।

क्या बताएं पप्पू फिर उसने मंजरी के पिता के साथ हुई सारी बात बता दिया।

तुम यार भी मंजरी की चिंता छोड़ यार अगर वो भी तुमसे प्यार करती है तो तुम्हारा अमेरिका से आने तक जरूर इंतजार करेगी।

इसलिए अभी अपनी अमेरिका की पढ़ाई के बारे में सोचो। इतना अच्छा अवसर मिला है तुमको।

वहा से जल्दी कृषि वैज्ञानिक बनकर आओ। पप्पू ने उसे समझाते हुए कहा।

मैं भी वही सोचता हूं जाना तो तय है मगर फ़िर भी मंजरी का ख्याल आही जाता है। राजन ने गंभीर होकर कहा।

अब तू इस बात को यही खत्म कर जब तू आयेगा तब देखेंगे अभी चलो खेत जोतो।

इतने ने राजन का खेत आ गया और वो ट्रेकर से उसे जोतने लगा।

वो काफी खेत जोत चुका था तभी उसका मोबाइल बजने लगता है। उसने देखा मंजरी का फोन था। उसने पप्पू से कहा लो तुम ट्रेकर चलाओ मंजरी का फोन है। ट्रेकर की आवाज में उससे बात नही हो पाएगी। नीचे जाकर करता हूं।

पप्पू ने ट्रेक्टर का स्टेयरिंग संभाल लिया।
राजन नीचे उतरकर ट्रेक्टर से थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा
मंजरी बड़ी घबड़ाई हुई थी। उसने कहा मेरे पापा ने मेरी शादी के लिए एक लड़का देख लिया है। कल वो उसके घर जाने वाले है।

क्या कह रही हो तुम लेकिन मैने तुम्हारे पापा से कहा था मेरे लौटने तक इंतजार करे।

तुमने कहा था राजन मेरे पापा ने नही उनका कहना है आज करे या तीन साल बाद वे अपनी बिरादरी में ही करेंगे।

फिर इंतजार क्यों करना। मंजरी ने चिंतित होकर कहा। फिर उसने पूछा तुम कहा हो। राजन ने उसे बताया अभी वो अपने खेत पर है।

मंजरी ने कहा - मैं अभी अपने भतीजे को लेकर बाइक से खेत पर ही आती हूं।

लेकिन अभी क्यों आ रही हो सब क्या कहेंगे। मैं खुद शाम को आता हूं तुम्हारे गाव तुमसे मिलने। तुम्हारे पापा से एक बार और बात कर के देखता हूं। राजन ने उसे रोकते हुए कहा नही मैं अभी आती हूं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए भी लेती आऊंगी। इतना कहकर उसने फ़ोन काट दिया।

राजन चिंतित हो उठा था।
वापस आकर उसने पप्पू को बताया थोड़ी देर में मंजरी आ रही है।

मगर इस तरह अचानक क्यों क्या हुआ है पप्पू ने आश्चर्य से पूछा।

उसके पिता उसके लिए कोई लड़का देखने जाने वाले है। इसलिए वो घबड़ाई हुई है। राजन ने उसे कारण बताया।

करीब आधे घण्टे में मंजरी अपने चचेरे भाई के साथ बाइक से उसके पास पहुंच गई। आते ही वो रोने लगी। राजन ने उसे किसी तरह चुप कराया।

इस तरह रोने से मैं कमजोर हो जाऊंगा बाबा। हिम्मत रखो और मुझे भी हौसला दो राजन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे समझाते हुए कहा।

मंजरी ने कहा तुमको पता है मेरे पापा किसके साथ मेरा रिश्ता तय करने जा रहे हैं।

नही मुझे कैसे पता होगा। तुमको मालूम है तो बताओ। राजन ने कहा।

तुम्हारे सबसे बड़े विरोधी बिरजू सिंह राजपूत के साथ। उसके पिता सांसद है। बहुत पैसे वाले है। उनके पास खेती बाड़ी मकान और कई गाड़ियां और फैक्ट्रियां भी है।


इसलिए मेरे पापा उसके साथ मेरा विवाह करना चाहते है। जबकि पता चला है दोनो बाप बेटा बहुत बदनाम है। उनपर कई अपराधिक मामले चल रहे हैं।

फिर भी मेरे पापा उनका रूतवा देखकर रिश्ता करना चाहते हैं। इसलिए मै तुम्हारे पास आई हूं।

सुनकर राजन और पप्पू दोनो चौंक गए।
माना की मैं तुम्हारी बिरादरी का लड़का नही हूं मगर उनसे बेहतर हूं। अगर उनको तुम्हारा रिश्ता अपनी ही बिरादरी में करना था तो कोई और लड़का देखते। बिरजू तो किसी हाल में तुम्हारे लिए ठीक लड़का नही है।

तुम्हारी जिंदगी खराब कर देगा वो।
तुम किसी तरह अपनी शादी को पीएचडी करने तक टालो फिर देखते है क्या होता है। राजन ने कहा।

मेरे पापा हम दोनो के बारे में जानने के बाद काफी चिंतित हो गए हैं और जल्द से जल्द शादी करना चाहते है। मंजरी ने कहा। 
लो पहले कुछ खा लो मैंने तुम्हारे लिए अपने हाथो से बनाया है। खा लो फिर सोचते है। मंजरी ने टिफिन से खाना निकालते हुए कहा।

चारो खेत के बगल में एक पेड़ की छाया में बैठ गए। मंजरी ने पत्ता के प्लेट में सबको खाना परोस दिया और सबको खिलाने लगी।

शेष अगले भाग 14 में

लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग 14

लेखक श्याम कुंवर भारती
राजन ने अपने पिता से कहा बाबूजी खेत तो जोता गया है सब । आज पंपसेट लगाकर सभी खेतो को पटाकर धान का बीया डाल देते है। ताकि समय पर पौधे तैयार हो जाए और धान की रोपाई भी हो जायेगी । ठीक कह रहे हो राजन चलो चलते है। उसके पिता ने कहा । फिर दोनो खेत पर चले गए और पूरे खेत को पानी से भर दिया। राजन ने कहा बाबूजी मैं तो एक महीने बाद चला जाऊंगा लेकिन आप कोई भी रासायनिक खाद जैसे यूरिया फास्फेट आदि नही डालेंगे खेतो में । केवल जैविक खाद गोबर की खाद और केंचुआ खाद आदि ही डालेंगे । ठीक है बेटा तुम चिंता मत करो उसके पिता ने आश्वाशन देते हुए कहा। राजन बहुत खुश हुआ । दो दिनों में राजन ने अपने सभी खेतो में धान का बीया डाल दिया। उसे बहुत खुशी हुई । शाम को उसने फोन कर मंजरी से उसका हाल चाल लिया। मंजरी अभी भी बहुत दुखी थी । उसे अपने पिता के निर्णय पर दुख हो रहा था। जानबूझकर वो मुझे नर्क में भेज रहे है । केवल अपनी बिरादरी और अपनी इज्जत और मान सम्मान के लिए। मंजरी ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा।

राजन ने उसे समझाया तुम ज्यादा परेशान न हो । अपने पिता से कहकर जैसा मैंने तुम्हे बताया था अपनी पढ़ाई पूरी करने तक टालो।

ठीक है मैं देखती हूं लेकिन तुम कब मिलोगे मुझे तुमसे मिलना है। आज तो खेतो में बिज डाल रहा था । कल आऊंगा और तुम्हारे पापा से भी मिल कर एक बार फिर बात करता हूं। राजन ने कहा।


ठीक है मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।

अगले दिन जब राजन मंजरी के घर पहुंचा तो मंजरी घर के दरवाजे पर उसका बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी। उसने अपनी मां से मिलवाया । राजन ने उसकी मां का पैर छूकर प्रणाम किया। मां ने आशीर्वाद दिया और हाल चाल पूछा। राजन ने सब आपका आशीर्वाद है।

फिर उसने उनसे पूछा मेरे और मंजरी के विवाह के बारे में मंजरी के पापा से बात हुई या नहीं । मैं केवल आपके बिरादरी का नही हूं लेकिन इसके अलावा कोई कमी नही है मुझमें। आप अंकल को समझाए उनका निर्णय सही नही है । बिरजू बिल्कुल सही लड़का नहीं है मंजरी के लिए।

मैं समझती हूं बेटा मगर मैं इसके पापा के सामने लाचार हूं । अब वो किसी की नही सुनेंगे। मंजरी की मां ने अपनी मजबूरी सुनाते हुए कहा।

मगर इतनी जल्दीबाजी क्यों कर रहे हैं कमसे कम मंजरी की पढ़ाई तो पूरी हो जाने देते । राजन ने समझाने का प्रयास करते हुए कहा।

अभी सभी बात कर ही रहे थे की मंजरी के पिता आ गए और बोले बेटा राजन और बेटी मंजरी अगर तुम लोग मेरी इज्जत और मान सम्मान रखना चाहते हो तो जिद छोड़ दो और चुपचाप जो हो रहा है होने दो । इतना बोलकर वो चले गए । मंजरी उनको आवाज देती रह गई मगर वो नही रुके।

राजन मंजरी को हिम्मत बंधाकर अपने घर आ गया। मगर वो बहुत चिंतित था। बार बार उसे मंजरी की याद आ रही थी।


कुछ ही दिनों में उसका पासपोर्ट आ गया और उसने बीजा के लिए दिल्ली जाकर अमेरिकन अंबेसी में अप्लाई कर दिया। 
लगभग पन्द्रह दिनों में उसका बीजा भी आ गया । अमेरिका जाने से पहले वो एक बार मंजरी से मिलना चाहता था मगर जब वो मंजरी के घर पहुंचा उसे वो वहा नही मिली । उसे पता चला वो अपने ननिहाल चली गई है। उसे बिना बताए उसका इस तरह चले जाना बड़ा अजीब लगा । उसने उसको फोन लगाया मगर उसका फोन बंद था। निराश होकर वो लौट आया।

दुखी मन से वो अमेरिका के लिए निकलने लगा उसकी मां रोने लगी उसके पिता ने भाऊक मन से विदा किया । दिल्ली हवाई अड्डा तक पप्पू उसके साथ गया । पप्पू ने कहा अपना ख्याल रखना मेरे दोस्त । जिस उद्देश्य से जा रहे हो उसे पूरा कर के आना।

तुम मेरी चिंता मत करो पप्पू । एक काम करना जैसे ही मंजरी के बारे में पता चले मुझे जरूर बताना । मैं अमेरिका पहुंचकर वहा का मोबाइल नंबर दे दूंगा तुम हो सके तो उससे बात करा देना।

राजन ने दुखी मन से कहा । ठीक है अब जाओ देखो तुम्हारी प्लेन के यात्रियों को लोगेज़ चेकिंग और टिकट चेकिंग के लिए बुलाया जा रहा है। राजन पप्पू से बिदा होकर अंदर चेकिंग लाइन में चला गया।

राजन अगले दिन अठारह घंटे बाद अमेरिका एयर पोर्ट पर पहुंचा जहा उसे लेने इंस्टिट्यूट की गाड़ी आई हुई थी । गाड़ी से वो अपने होस्टल में पहुंचा । तैयार होकर केंटीन में गया जहा उसे भारतीय खाना मिला । खाना खाने के बाद हॉस्टल वार्डन ने आकर उसे बताया आप अभी आराम करे । कल शुबह दस बजे ऑफिस में आकर बाकी प्रक्रिया पूरी कर ले।
शेष अगले भाग 15 में
लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी 

किसान का बेटा हूं भाग 15

लेखक, श्याम कुंवर भारती।
शुबह दस बजे राजन इंस्टिट्यूट के ऑफिस जाकर सारी प्रक्रिया को पूरा किया । उसका सबसे परिचय कराया गया। उस संस्थान में कुछ भारतीय शिक्षक ,और वैज्ञानिक थे। पांच भारतीय छात्र भी मिले जिसमे तीन लड़के और दो लड़कियां भी थी । राजन को अपने देश के छात्रों और शिक्षकों से मिलकर बहुत खुशी हुई। एक घंटे बाद उसे क्लास में लाया जहा उसे कई देशों के छात्रों से परिचय हुआ । वे सभी वहा शोध करने आए थे । कोर्स पूरा होने के बाद सभी वैज्ञानिक बनने वाले थे। राजन को अपने और अपने देश के बारे में बोलने के बारे में कहा गया। जिसे बखूबी उसने प्रस्तुत किया। सुनकर सभी छात्र और प्रोफेसर बहुत प्रभावित हुए।

शोध में सहयोग करने हेतु उसे डॉक्टर विलियम और भारत के डॉक्टर रामचंद्र स्वामी को नियुक्त किया गया। उसकी टीम में छात्रों से भारत से दीपा सिंह ,महेश कुमार , अमेरिका की मिस मारथा ,विल्सन और डेविड शामिल हुए। उनके रिसर्च का विषय था "उपज खोती मिट्टी "।

राजन अपनी टीम को लेकर अपने रिसर्च में लग गया। गुरुजन उसकी लगन और उत्साह से बड़े प्रभावित थे। उन लोगो ने भी बड़े मनोयोग से उसके रिसर्च में अपने अपने अनुभवों सहयोग करना शुरू किया। कुछ ही दिनों में राजन पूरे संस्थान में सबका प्रिय और प्रसिद्ध हों गया। उसने नित्य नए शोध करना शुरू किया। उसकी खोज से प्रभावित होकर अमेरिकन सरकार ने एक साल के भीतर ही उसे अपने रिसर्च इंस्टिट्यूट में वैज्ञानिक के रूप में योगदान देने का ऑफर दे दिया। मगर उसने इंकार करते हुए कहा नही मुझे अपने देश की सेवा करनी है। भारत को अपने आविस्कार से लाभ पहुंचाना चाहता हूं। राजन से उसकी टीम की अमेरिकन लड़की लिली मारथा बहुत पेभावित हुई थी । इसलिए हमेशा वो उसके आस पास ही रहती थी । वो राजन को बोलते रहती थी देखना राजन एक दिन तुम अपने देश ही सारी दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक बनोगे और अपने देश का नाम रोशन करोगे।


इधर मंजरी के पिता ने मंजरी की इक्षा के विरुद्ध जोर जराजस्ती से उसका विवाह बिरजू सिंह राजपूत से कर दिया। मंजरी अपने भाग को दोष देती हुई जिंदा लाश की तरह अपने मायके से दुल्हन बनकर भारी दुखी मन से बिदा हुई । ससुराल में जाते ही उसपर मुशीबतो का पहाड़ टूट पड़ा।

सुहाग रात में उसका दूल्हा बिरजू देर रात शराब पीकर झूमता हुआ आया और उसने बड़ी बेरुखी से मंजरी के साथ व्यवहार किया।

बिरजू ने बताया मैने तुमसे विवाह इसलिए नही किया की तुम मुझे बहुत पसंद थी बल्कि इसलिए कि मुझे तुम्हारा घमंड तोड़ना था। तुम्हे तुम्हारी औकात दिखानी थी । वरना लड़कियों की मेरे पास कोई कमी नही थी। आज मेरे कई लड़कियों के साथ संबंध है जो तुमसे कही ज्यादा सुंदर और सेक्सी है । मैं तुम्हे कभी अपनी पत्नी का दर्जा नहीं दूंगा क्योंकि तुम तो राजन की गर्ल फ्रेंड हो। मुझे पता था तुम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो।

उसकी बाते सुनकर मंजरी को चारो तरफ अंधेरा दिखाई देने लगा। उसे लगा एक मजबूर हिरणी किसी चालबाज शिकारी के बिछाए जाल में बुरी तरह फंस चुकी है जिससे निकलना उसके लिए नामुमकिन है । उसकी बड़ी बड़ी आंखों से आंसू छलक आए।

बिरजू ने आगे कहा पत्नी दर्जा तो नही मगर तुम्हे एक औरत की तरह जरूर रखूंगा। जब भी मन करेगा तुम्हारे कोमल बदन से खेलता रहूंगा चाहे तुम्हारी मर्जी हो या न हो।

मंजरी ने सोचा इतनी नर्क भरी जिंदगी जीने से बेहतर है या तो खुद मर जाऊं या इसे मार दूं।

बिरजू ने कहा और एक बात कान खोलकर सुन लो अगर तुमने इस बात को अपने मायके या पुलिस को बताने की कोशिश की तो तुम्हारा इससे भी बुरा हाल करूंगा। कर भी दोगी तो मेरा कुछ नही बिगाड़ पाओगी क्योंकि मेरे पापा सांसद है । वे सब ठीक कर देंगे। तुम्हारे पापा चाहकर भी मेरा कुछ नही बिगाड़ सकते।

इसके बाद बिरजू ने उसके साथ जानवरो जैसा व्यवहार करने लगा। उसने कई बार उसका यौन शौषण करना चाहा मगर मंजरी हर बार उससे खुद को बचा लिया।

शेष अगले भाग 16 में।
लेखक श्याम कुंवर भारती

कहनी

किसान का बेटा हूं भाग 16

लेखक श्याम कुंवर भारती।
समय पंख लगाकर बड़ी तेज गति से बीतता जा रहा था। मंजरी ने घूंट घूंट कर जीने से बेहतर अपनी नर्क भरी जिंदगी से बाहर निकलने का निर्णय लिया। उसने बिरजू से कहा मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं। मुझे पढ़ने दिया जाय क्योंकि विवाह से पहले यही तय हुआ था। पढ़ लिखकर क्या करोगी । तुमको किस चीज की कमी है । बिरजू ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा। केवल धन दौलत गाड़ी घोड़ा मकान ही सब कुछ नही होता है । सम्मान भी कुछ होता है। मंजरी ने कहा आप जल्दी निर्णय ले और मुझे पढ़ने की सहमति दे।

मेरा निर्णय बिल्कुल साफ है चुपचाप घर में पड़ी रहो खाओ पियो और घर के काम में ध्यान दो। तुम्हे आगे पढ़ने की इजाजत नहीं मिलेगी। बिरजू ने साफ लहजे में कहा।

ठीक है तो मुझे भी अब इस घर में गुलाम बनकर नहीं रहना है। या तो मुझे पढ़ने और नौकरी करने की इजाजत चाहिए या मुझे तलाक चाहिए । मंजरी ने भी दृढ़ स्वर में कहा।


क्या सुनते ही बिरजू आवाज रह गया । उसे मंजरी से ऐसी उम्मीद नही थी। उसने एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया । मंजरी की आंखों से आंसू छलक आए मगर बिरजू का विरोध करते हुए कहा मैं भी एक क्षत्राणि औरत हूं खबरदार जो दुबारा मुझपर हाथ उठाया आगे से मैं कोई लिहाज नही करूंगी।

अब मैं घर छोड़कर जा रही हूं । मुझे इस नर्क में नही रहना है । और मंजरी घर छोड़कर अपना सूटकेस लेकर निकल जाती है। बिरजू ने उसे बहुत रोकने की कोशिश किया मगर वो नही रुकी।

अपने मायके आते ही वो अपनी मां के गले लगकर फूट फूट कर रोने लगी । उसने अपनी मां को अपनी सारी बात सुनाई । सुनकर उसकी मां हतप्रभ रह गई। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था उसकी बेटी के साथ ऐसा दूर व्यवहार किया गया है एक सांसद के घर में।

वो गुस्से में अपने पति के पास गई और अपनी बेटी की आप बीती सब सुनाते हुए पूरे गुस्से में बोली देख लिए न अपनी बिरादरी की करतूत । मेरी फूल जैसी बेटी के साथ कितना अत्याचार किया है । उन लोगो ने हमारे साथ धोखा किया है । उनलोगो ने जानबूझकर मेरी बेटी से बदला लेने के लिए विवाह किया था। उनको बहु नही एक गुलाम चाहिए थी। मंजरी की मां बेहद गुस्से में थी।

सुनकर मंजरी के पिता भी बहुत नाराज हुए । खुद पर अफसोस भी हुआ। उन्होंने अपनी बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए बेटी तुम्हारे साथ इतना सबकुछ हुआ लेकिन तुमने एक साल तक कुछ भी नही बताया।

कैसे बताती पापा मैं दोनो परिवार के मान सम्मान के लिए चुप रही । मुझे लगा शायद समय के साथ वे लोग सुधार जायेंगे। मगर मेरा सोचना गलत साबित हुआ । वे लोग कभी सुधरने वाले नही है । इसलिए जब जुल्म सिर से ऊपर बढ़ गया मुझे इतना बड़ा निर्णय लेना पड़ा।

तुम चिंता मत करो बेटी अब तुमको कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा। मैं कल ही कोर्ट जाकर उनके खिलाफ केस करूंगा और तलाक भी दिलवाऊंगा तुमको।
वे काफी गुस्से मे थे।

पापा मैं पढ़ना चाहती हूं आप मेरा एडमिसन करा दे कॉलेज में। मुझे पीएचडी करके आगे नौकरी भी करनी है। ठीक है बेटी तुम जैसा चाहो तुम्हारे लिए सब कुछ करूंगा। तुम्हारे ससुराल वालो को ऐसी सबक सिखाऊंगा की फिर कोई किसी की लड़की के साथ ऐसा न कर सके।

मंजरी ने अपनी सहेली नेहा से फोन पर बात की उसकी भी शादी हो चुकी थी और वो शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई कर रही थी। मंजरी की कहानी सुनकर वो भी बड़ी दुखी हुई। मंजरी ने कहा तुम मेरे एडमिशन हेतु फार्म का जुगाड कर देना मैं भी कॉलेज आऊंगी । नेहा ने कहा ठीक है तुम चिंता मत करो।
 फिर मंजरी ने पप्पू से फोन कर राजन का नंबर लिया।

उसने तुरंत राजन को फोन लगाया फोन लगते ही वो रोने लगी। उसकी रुलाई सुनकर राजन शंकित हो गया। अरे मंजरी तुम क्यों रो रही हो । चुप हो जाओ क्या हुआ बताओ। राजन ने घड़ाकर पूछा मगर मंजरी लगातार रोती रही । लग रहा था जैसे अब तक हुए अपने ऊपर जुल्म को आंसुओ के रूप में बहा कर राजन के सामने अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहती थीं। राजन अभी उससे बात कर उसके रोने का कारण पूछता तब तक उसका फोन कट गया । उसने कई बार फोन लगाया मगर नही लग पाया।


घबड़ाकर उसने पप्पू को फोन लगाया और कहा तुम जितनी जितनी जल्दी हो सके मुझे मंजरी के बारे में पता कर के बताओ। वो फोन पर बिना कुछ बताए लगातार रोए जा रही थी । आखिर क्या हुआ है उसके साथ। मेरा दिल बहुत घबड़ा रहा है यार। पप्पू ने कहा तुम अपने रिसर्च पर ध्यान दो मैं पता करता हूं।

इसके बाद बाद राजन प्रयोगशाला में अपनी टीम के साथ बीजी हो गया। मगर रह रह कर उसका ध्यान मंजरी की तरफ चला जाता था यह सोचकर आखिर क्या हुआ होगा उसके साथ।

दो तीन के बाद पप्पू ने उसे मंजरी के साथ जो हुआ था सब बता दिया। सुनकर राजन को बहुत धक्का लगा। उसने पप्पू से कहा तुम मंजरी की जितना हो सके मदद करना । मैं दो साल बाद ही लौट पाऊंगा। तब तक उसके पिता से मिलकर उसका ख्याल रखना।
पप्पू ने आगे बताया उसके पिता ने मंजरी के ससुराल वालों पर केस किया है और तलाक के लिए भी कोर्ट में पिटीसन दिया है।
सारी बाते सुनकर राजन बहुत दुखी हुआ उसे मंजरी की बहुत चिंता हो रही थी।

अब वो जल्द से जल्द अपना रिसर्च पूरा कर भारत आना चाहता था। उसने दिन रात एक कर दिया। लिली मारथा उसके कर काम भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती थी और उसकी मदद करती थी। हर किसी से वो राजन की खूब तारीफ करती थी। उसकी मां एक बड़े कॉलेज में प्रोफेसर थी और उसके पिता अमेरिकन सरकार में कृषि विभाग के हेड थे। वो अपने माता पिता से हमेशा उसकी चर्चा करती थी । एक दिन उसकी मां ने कहा बेटी लिली तुम इतनी तारीफ उस इंडियन लड़के की करती हो कभी डिनर पर उसे बुलाओ उस समय तुम्हारे पापा भी घर पर रहेंगे वे भी उसे देख लेंगे।

राजन अपनी ही धुन में मगन था । अंततः उसके रिसर्च का अंतिम और तीसरा साल आ गया। उसने मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ाने और फसलों की पैदावार बढ़ाने की तकनीक को समझ लिया। मगर वो उस फार्मूले को जानना चाहता था जो रसायनिक और जहरीली खाद की जगह उपयोग में लाई जा सके। जो स्वास्थवर्धक हो , कम खर्चीली हो,किट नासक भी हो और मिट्टी को कोई नुकसान न पहुंचाए बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता और बढ़ती रहे ताकि देश में अनाज की कभी कोई कमी न रहे साथ ही किसानों को कम खर्च में ज्यादा पैदावार मिले। उसने अपने संसाधन के सभी गुरुजन से इसका जिक्र किया। सबने कहा तुमको रिसर्च करने की तकनीक बता दी गई है अब तुम खुद इस फार्मूले की खोज करो।
राजन बहुत चिंतित हुआ क्योंकि उसका असली मकसद तो इसी फार्मूले की खोज करना था। उसे अपने देश को दुनिया में अनाज के मामले में सबसे बड़ा आत्म निर्भर करना था और सारी दुनिया में जो मिट्टी की उपज क्षमता घट रही है उसे बचाते हुए बढ़ाना था।

एक दिन लिली ने उसे फूलों का गुलदस्ता देते हुए कहा राजन तुम्हारे इस संस्थान के अंतिम साल की बधाई। राजन ने उसका आभार प्रकट किया। सिर्फ धन्यवाद कहने से काम नही चलेगा। तुमको आज मेरे घर पर रात का खाना खाने भी आना है। मैं तुम्हे आमंत्रित कर रही हूं। राजन लिली के स्वभाव से बहुत प्रभावित था। उसके सहयोग को भी भूल नहीं सकता था । उसने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया।

रात को खुद लिली उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर अपने घर ले गई। जहा उसके माता पिता इंतजार कर रहे थे। राजन ने उन सबका भारतीय संस्कृति के अनुसार पैर छूकर प्रणाम किया। वे बड़े खुश हुए।

खाने की टेबल पर उसके लिए मिली ने स्पेशल भारतीय रसोइया मंगाकर भारतीय खाना तैयार करवाया था। राजन बहुत खुश हुआ।

खाना बहुत ही टेस्टी बना था। लिली के पिता ने कहा राजन तुमको मेरी बेटी लिली ने बताया होगा की मैं अमेरिकन सरकार में कृषि विभाग का हेड हूं। जहा तुम अभी रिसर्च कर रहे हो वो भी मेरे ही अंदर है। तुम्हारा यह अंतिम साल है । समय पूरा होने के बाद तुम अपने देश लौट जाओगे। मगर तुमको मेरी बेटी बहुत पसंद करती है। तुम काफी प्रतिभाली लड़के हो । हम सब भी तुमसे काफी प्रभावित है।

मैं चाहता हूं इसके बाद तुम हमारे देश की सबसे बड़ी कृषि शोध संस्थान में सहायक कृषि वैज्ञानिक के रूप में ज्वाइन करो। इससे तुम्हे प्रति महीने भारतीय रुपए के अनुसार पांच लाख रुपए मिलेंगे । इससे तुम अपने फार्मूले की खोज कर पाओगे । चाहे जितना रूपया खर्च होगा चाहे जितने संसाधन के जरूरत पड़ेगी हमारी सरकार तुमको पूरा सहयोग करेगी। मगर फार्मूला मिलते ही इसपर पूरा हक हमारी अमेरिकन सरकार का होगा तुम इस फार्मूले को अपनी भारत सरकार को नही दे सकोगे।

जैसे ही तुम अपने फार्मूले की खोज कर लोगे तुरंत तुम्हारा पर्मोसन करके तुम्हे सीनियर वैज्ञानिक का पद दे दिया जाएगा और तुम्हारी तनख्वाह प्रति महीने दस लाख रुपए हो जायेगी।

राजन ने उनका प्रस्ताव सुनकर उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा सर आपका प्रस्ताव बहुत अच्छा है । लेकिन मैं अपने देश के लिए कुछ करना चाहता हूं। इसलिए मै आपका यह प्रस्ताव स्वीकार नही कर सकता।

लिली ने कहा राजन मेरे पापा तुमको इतना अच्छा अवसर दे रहे है तुम इसे ठुकराओ मत।
उसके पापा ने कहा कोई जल्दीबाजी नही है सोचकर जवाब देना।
शेष अगले भाग 17 में।
लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग 17

लेखक श्याम कुंवर भारती।

मंजरी ने कॉलेज में नामांकन करा लिया। वो गर्ल्स हॉस्टल में रह कर नियमित क्लास करने लगी। उसे जब भी अपने ससुराल के दिनो की याद आती थी वो सिहर जाती थी। वो उन बुरे दिनों को भूल जाना चाहती थी इसलिए अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा दिया। लगातार अखबारों में छप रही खबरों से तंग आकर बिरजू ने अपने पिता के कहने पर तलाक के पेपर पर साइन कर दिया। मंजरी ने राहत की सांस लिया। राजन की याद आने के बाद भी उसने फिर दुबारा उसे फोन नही किया। वो नही चाहती थीं वो राजन उसकी वजह से परेशान हो। पप्पू और नेहा भी उसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे।

राजन पुस्कालय में रिसर्च से सबंधित कुछ पुस्तके खोज रहा था तभी वहां लिली आई उसने कहा राजन तुमने मेरे पापा का इतना अच्छा प्रपोजल क्यों ठुकरा दिया। तुम्हारी जिंदगी बन जायेगी। ऐसा मौका सबको नही मिलता है। मैंने भी पापा से तुम्हारी कितनी पैरवी किया था। तुम्हे इसका अंदाजा नही है। मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है तुम पर।

बात फायदे की नही है लिली मुझे जो भी करना है अपने देश के लिए करना है। राजन ने उसे समझाते हुए कहा।

तो किसने रोका है तुमको अपने देश की सेवा करने के लिए। जबतक तुम्हारा मन करे तुम यहां काम करना। बाद में त्याग पत्र देकर अपने देश चले जाना।

सिर्फ फर्क इतना होगा की जो फार्मूला तुम खोज करोगे उसे अमेरिकन सरकार को देना होगा। लेकिन तुम चाहो तो तुम्हारी भारत सरकार हमारी सरकार को पैसा देकर उत्पादित सामग्री को खरीद सकती है।

लिली ने उसे अपनी राय देते हुए कहा।
वाह क्या बात है लिली जब उत्पादित सामग्री पैसा देकर हमारी सरकार खरीदेगी तो कोई भी देश खरीद सकता है। और क्या जरूरी है तुम्हारी सरकार हमारे देश को बेचे ही। फिर हमारे रहते हुए हमारी सरकार किसी दूसरे देश से क्यों खरीदे। मैं भारत जाकर फार्मूला की खोज करूंगा जिसका पूरा अधिकार हमारी सरकार का होगा। फिर हमारा देश उससे उत्पादित सामग्री को दूसरे देशों को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करेगी।

वाह वाह राजन तुम्हारी देश भक्ति से मैं भी प्रभावित हूं। तभी वहा भारत का छात्र महेश ने आते हुए कहा। मगर मैं तुम्हे एक सलाह देना चाहता हूं तुम्हे इस अवसर को नहीं खोना चाहिए। यह मौका सिर्फ तुम्हे मिल रहा है। और वो भी लिली की वजह से। तुम दो साल किए निविदा पर काम कर सकते हो इससे यह फायदा होगा की तुम इतनी बड़ी संस्थान मे बड़े बड़े वैज्ञानिको के साथ काम करने का मौका मिलेगा। प्रयोग करने हेतु दुनिया का सबसे बेहतरीन संसाधन और सुविधा मिलेगी। उसका लाभ तुम्हे मिलेगा।

महेश की बात सुनकर लिली बहुत खुश हुई। उसने राजन से कहा मुझे लगता है अब तुमको मेरे पापा की बात मान लेनी चाहिए।

ठीक है मैं सोचकर बताता हूं। राजन ने हार मानकर कहा।
महेश के जाने के बाद लिली ने धीरे धीरे से राजन के कान में कहा राजन मैं तुमसे प्यार करती हूं और तुमसे शादी करना चाहती हूं। मुझसे शादी करोगे तो तुम्हे मेरी प्रॉपर्टी का भी हिस्सा मिलेगी अमेरिका की नागरिकता मिलेगी साथ में नाम और पैसा दोनो कमाओगे।


उसकी बात सुनकर राजन आवक होकर उसे देखता रह गया।
तीन साल के बाद रिसर्च इंस्टिट्यूट में राजन की पढ़ाई खत्म होने के बाद उसने सहायक वैज्ञानिक के रूप में सेंट्रल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट में निविदा पर ज्वाइनिंग ले लिया। 
मगर उसने लिली का प्यार स्वीकार नही किया और न उसके विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किया।

इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर पोड्रिक को लिली के पापा ने राजन का खास ख्याल रखने की सलाह दिया था जिससे उसको हर वैज्ञानिक काफी सहयोग करते थे। कुछ ही दिनों में उसने कई खोज किया। मगर राजन मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने वाले बिना मिट्टी और फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फार्मूले की खोज करना चाहता था। आखिरकार उसने काफी हद तक उसे फार्मूले को बनाने के करीब पहुंच गया मगर उसने उसका जिक्र किसी से नहीं किया। फार्मूला भी नही बनाया। तब तक उसका दो साल पूरा हो गया। लिली ने लाख प्रयास किया उसे रोक ले मगर वो नही मनाऔर उसने अपने देश भारत आने की तैयारी में जुट गया।

लिली काफी उदास हो गई उसने कहा राजन तुम मुझसे शादी कर लो मैं भी तुम्हारे साथ इंडिया चलूंगी। लेकिन राजन ने उसे बड़े प्यार से समझाते हुए कहा- मैने तुम्हे पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूं तुम एक अच्छी और सुंदर लड़की हो। अब तुम भी वैज्ञानिक बन गई हो। अच्छे घर से हो। मगर मैं तुमसे प्यार नहीं करता। इसलिए तुमसे शादी भी नहीं कर सकता। प्लीज तुम बुरा मत मानना। मैने तुम्हे कोई धोखा नही दिया है। 
लिली बहुत दुखी हुई। उसे राजन बेहद पसंद था मगर उसने उसे अस्वीकार कर दिया था।


ठीक है जाओ मगर जब भी मेरी जरूरत पड़े मुझे जरूर याद करना। मुझे तुम्हारी मदद करके बहुत खुशी होगी।

राजन दिल में मंजरी की याद और अपने देश के लिए कुछ करने की भावना लिए पांच सालो बाद अपने देश भारत लौटा था। दिल्ली हवाई अड्डे पर उसे लेने उसका प्यारा दोस्त पप्पू और उसके पिता उसका इंतजार कर रहे थे।

अपने पिता के चरणों को छूकर उसने उनका आशीर्वाद लिया। इतने सालो बाद अपने बेटे को पाकर उनका दिल गदगद हो रहा था। राजन ने पप्पू को गले लगा लिया। दोनो को आंखे भर आई थी। तीनो रेलवे स्टेशन आए और ट्रेन पकड़कर सब लोग अपने गांव आ गए।

रास्ते में पप्पू ने मंजरी के बारे में बताया की उसका भी अब फाइनल ईयर है। अभी वो होस्टल में ही रह रही है।

बिरजू आजकल किसान संघ का नेता बना हुआ है। उसके पिता जो एमपी थे जुगाड भिड़ाकर केंद्र सरकार में मंत्री बन गए हैं। सुनकर राजन ने कहा आजकल गुंडे बदमाश अगर राजनीति में इसी तरह से बड़े पदों पर रहेंगे तो देश का भगवान ही मालिक है।

घर पर उसकी मां उसे देखकर बहुत खुश हुई उसने अपने बेटे को अपनी छाती से लगा लिया। कई सालो के बाद अपने बेटे को देख उसकी ममता उमड़ पड़ी थी।

अगले दिन उसने पप्पू को लेकर अपने सारे खेतो का निरीक्षण किया। गांव के दूसरे खेतो को भी उसने देखा मध्यम स्तर की फसलें लगी हुई थी मगर वो इनसे बेहतर लहलहाती फसल देखना चाहता था।

कुछ दिनों के बाद उसने भारत सरकार के केंद्रीय कृषि शोध संस्थान में जॉब हेतु आवेदन दे दिया। बहुत जल्दी ही उसका आवेदन स्वीकार कर उसे शीघ्र ही वैज्ञानिक के रूप में ज्वाइनिंग लेने का ऑफर लेटर मिल गया। लेटर प्राप्त होने पर सबने बड़ी खुशी जाहिर किया।

राजन ने बिना देर किए ज्वाइनिंग ले लिया। उसने संस्थान के अध्यक्ष से अपनी शोध का विषय बताया। अध्यक्ष ने बताया इसमें काफी खर्च पड़ेगा इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति और सहायता राशि की जरूरत पड़ेगी। तुम अपना पूरा डी पी आर (प्रस्ताव का पूरा डिटेल ) और पूरी लागत भी बनाकर दो मैं अपनी अनुशंसा सहित केंद्र सरकार को भेजता हूं। फिर देखता हूं आगे क्या होता है।


राजन ने एक सप्ताह में डी पी आर बनाकर दे दिया। अध्यक्ष ने अपनी तरफ से उस प्रस्ताव की प्रशंशा करते हुए केंद्र सरकार को भेज दिया। अध्यक्ष को बड़ा ताज्जुब हुआ सरकार ने उनको और राजन को मान्यनीय प्रधान मंत्री से मिलने के लिए बुलावा आ गया। अध्यक्ष डॉक्टर प्रभुदयाल शर्मा ने खुश होते हुए उस पत्र का जिक्र करते हुए राजन को बताया और कहा जल्दी दिल्ली चलने की तैयारी करो। हम दोनो को मान्यनिय प्रधान मंत्री जी से मिलकर अपने प्रस्ताव के बारे में विस्तार से प्रेजेंटेशन देना है। अगर हम प्रधान मंत्री जी को संतुष्ट कर सके तो जितनी भी राशि और साधन की जरूरत होगी केंद्र सरकार हमे देगी। राजन भी डॉक्टर शर्मा की बात सुनकर बहुत खुश हुआ। उसे उम्मीद ही नहीं थी इतनी जल्दी उसे प्रधान मंत्री जी से मिलने का अवसर मिल जायेगा।

उसने दिन रात एक कर पूरे प्रस्ताव की प्रजेंटेशन की तैयारी किया।

कुछ ही दिनों में वे दोनो प्रधान मंत्री के कार्यालय में उनके सामने बैठे हुए थे।

अध्यक्ष के आदेश पर राजन ने अपने रिसर्च का प्रजेंटेशन देना शुरू किया सुनकर प्रधान मंत्री जी काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा यदि तुमने अपने इस फार्मूले की खोज कर लिया तो न केवल हमारे देश में बल्कि पूरी दुनिया में हमारा मान सम्मान भी बढ़ेगा। हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में क्रांति आ जायेगी।


भारत तुम्हारे फार्मूले से जो उत्पाद बनाएगा उसे हम सारी दुनियां में भी बेचकर करोड़ों अरबों की आमदनी अपने देश के खजाने में ला सकेंगे।

तुमको जो भी मदद, संसाधन और राशि की जरूरत है हमारी सरकार सब देगी। मगर हर हाल में मुझे यह फार्मूला चाहिए।

राजन ने हाथ जोड़कर प्रधान मंत्री जी को विश्वाश दिलाया आप निश्चिंत रहें सर मैं हर हाल में इस फार्मूले को आपके सामने प्रस्तुत करूंगा और परिणाम भी दूंगा।

फिर उसने अपने अमेरिका प्रवास का सारा हाल उनको सुना दिया। सुनकर प्रधान मंत्री बहुत प्रभावित हुए और कहा हमारे देश को तुम्हारे जैसा ही राष्ट्र भक्त और ईमानदार लोगों की जरूरत है। तुम चिंता मत करो डॉक्टर राजन जितना छोड़कर तुम अमेरिका से आए हो अगर सफल हुए उससे ज्यादा तुम्हे भारत सरकार देगी ये मेरा तुमसे वादा है।

मैं आज ही इस प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति देते हुए कृषि मंत्रालय को भेज देता हूं। और खुद इसकी निगरानी भी करूंगा की जितनी जल्दी हो सके सहायता शुरू हो जाए।

अब आप लोग निश्चिंत होकर जाए।
बाहर निकल कर डॉक्टर शर्मा ने राजन की काफी तारीफ किया तुमने बहुत बेहतरीन प्रस्तुति दिया है राजन। अब आगे मेरी और तुम्हारी दोनो की प्रतिष्ठा तुम्हारे हाथ में है। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।

दो महीने में राजन का प्रस्ताव पास होकर आ गया। डॉक्टर शर्मा ने पूछा तुम्हे अपने रिसर्च हेतु कितने आदमी किस तरह के चाहिए उसकी सूची मुझे दे दो। बाकी तैयारी मैं करता हूं। जितनी जल्दी हो सके तुम अपनी खोज शुरू कर दो।

राजन ने अपनी टीम में जिन लोगो का नाम दिया था सहायक के रूप में अन्य लोगो के साथ मंजरी, नेहा और पप्पू का भी नाम था। शीघ्र ही तीनों को अपना सारा पेपर और बायोडाटा भेजने को कहा गया।

राजन ने फोन कर पप्पू को प्रधान मंत्री जी से हुई मुलाकात और उनकी सहमति मिलने की बात बताते हुए कहा तुम तीनो जो मांगा गया है जल्दी भेज दो मैं मिलते ही तीनों को ज्वाइनिंग हेतु ऑफर लेटर भेजवाता हूं।

शेष अगले भाग - भाग 18 में

लेखक- श्याम कुंवर भारती

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग- 18


लेखक- श्याम कुंवर भारती।

मंजरी, नेहा और पप्पू ने अपना बायो डाटा केंद्रीय कृषि शोध संस्थान को भेज दिया। कुछ ही दिनों में राजन ने तीनो को सहायक के रूप में नियुक्ति पत्र भेजवा दिया। तनख्वाह प्रतिमाह पचास हजार रूपए तय हुआ। रहने के लिए बंगला भी मिला।

पांच सालो के बाद मंजरी राजन को देखकर अपने आपको को रोक नहीं पाई। वो राजन से लिपट कर को भर कर रोई। बड़ी मुश्किल से राजन ने उसको चुप कराया। तुम शांत हो जाओ बाबा। अब मैं आ गया हूं न सब ठीक हो जायेगा। तुम सब भूलकर मेरे साथ मिलकर जिस काम के लिए आई हो उसमे मेरी मदद करो। तुम अपनी पीएचडी की पढ़ाई भी यही रहकर करो। जब जरूरत पड़े तुमलोग कोलेज भी जा सकते हो। राजन ने उसे समझाते हुए कहा।

मंजरी ने कहा सच में राजन इतने सालो बाद तुमको पाकर मुझे कितनी खुशी हो रही है मैं बता नहीं सकती। अब चाहे मेरा जो हो जाए मुझे कोई दुख नहीं होगा क्योंकि तुम मेरे साथ हो। मंजरी ने अपने दिल की बात कह दिया।

बाकी अन्य विशेषज्ञों की टीम को लेकर राजन ने अपना प्रयोग करना शुरू कर दिया। कई बार जरूरत पड़ी उसने अमेरिका में लिली से भी मदद मांगा। लिली ने अपने पिता की मदद से वैज्ञानिकों से सलाह लेकर उसे बता दिया।

इस तरह एक साल के भीतर राजन ने अपने फार्मूले को खोज निकाला। अब उसके प्रयोग करने की जरूरत थी।

उसने संस्थान के बगीचे में कई तरह की फसलों और पेड़ पौधों पर उस फार्मूले को आजमाया।

उसे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। फसलें कम समय में बड़ी तेजी से बढ़ रही थी। उनमें फल फूल भी बाकी फसलों से बेहतर हो रहे थे। उनमें कीड़ा भी नही लग रहा था।

अब उसे मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच करनी थी की जिस दवा का उपयोग किया गया थे उससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कितना नुकसान या फायदा हुआ है। सब देखकर चौंक गए की फसलों की कटाई के बाद मिट्टी की उर्वरक शक्ति घटी नही बल्कि दुगुनी हो गई थी।


राजन खुशी से उछल पड़ा। पूरी टीम के लोग नाचने कूदने लगे। मंजरी तो खुशी से राजन के लगे ही लिपट गई। और उसके चेहरे पर कई चुम्मन जड़ दिए। बाद में उसे एहसास हुआ खुशी में उसने क्या कर दिया वो शर्मा कर रह गई।

अध्यक्ष डॉक्टर शर्मा को जब सफल प्रयोग की सूचना मिली तो उन्होंने राजन को बधाई देते हुए उसकी पीठ थपथपा दिए। खुशी से पागल हो गए। पूरी टीम को शाबाशी दिए।

डॉक्टर शर्मा ने कहा राजन अभी तुमने अपने फार्मूले का प्रयोग किया है। अब हमे दूसरे वैज्ञानिकों के द्वारा तुम्हारे फार्मूले की जांच करनी होगी तभी यह मान्य एवम विश्वशनीय होगा।

जी सर बिल्कुल आप इसकी जांच करवाये। राजन ने खुश होते हुए कहा।

लेकिन तब तक कोई किसी को कुछ नही बताएगा। किसी को भी कानो कान इस प्रयोग की सूचना नही होनी चाहिए। डॉक्टर शर्मा ने सबको सावधान करते हुए कहा।

राजन तुम अपने फार्मूले को एक चिप में डालकर सुरक्षित कर लो और उसकी और भी कॉपियां कर के अलग अलग जगह सुरक्षित रख दो।

विशेषज्ञों द्वारा प्रयोग में सफल होने के बाद ही हमलोग इसकी सूचना मान्यनिय प्रधान मंत्री जी को देंगे। डॉक्टर शर्मा ने कहा।
सबने उनकी बातो का समर्थन किया।

फिर डॉक्टर शर्मा ने देश के सबसे बड़े कृषि बैज्ञानिको को राजन के फार्मूले की जांच करने हेतु बुलावा भेज दिया मगर कड़ी हिदायत के साथ की उनके आने का कारण किसी को पता न चले।

राजन ने अपने ओरिजनल फार्मूले को चिप में डालकर मंजरी की देखरेख में दे दिया और बाकी कॉपियां पप्पू, नेहा और अन्य तीन लोगो की जिम्मेवारी में सौप दिया।

शेष अगले भाग-19 में।

लेखक श्याम कुंवर भारती

कहानी

किसान का बेटा हूं भाग 19


लेखकश्याम कुंवर भारती।

वैज्ञानिको की टीम ने आते ही कहा फार्मूले का प्रयोग करने हेतु लगभग छ महीने का समय चाहिए।ताकि अलग अलग फसलों और पेड़ पौधों पर प्रयोग कर जांचा परखा जा सके।

अध्यक्ष शर्मा ने अपनी सहमती जताते हुए कहा ठीक है मगर तब तक आप लोग सुरक्षा में रहेंगे।प्रयोग पूरा होने से पहले कोई कही आयेगा जायेगा नही और न किसी से कोई मिले जुलेगा।आप सबके साथ डॉक्टर राजन और उनकी टीम आप सबका प्रयोग में सहयोग करेगी।

लगभग छ महीनो में सभी वैज्ञानिकों ने फार्मूले को बिल्कुल सफल बताया और कहा कि यह कृषि के क्षेत्र और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में बिना कोई हानी पहुंचाए क्रांतिकारी फार्मूला साबित होगा।

सबने राजन को बहुत बधाई दिया।
डॉक्टर शर्मा ने फार्मूले को सही जाने पर एक विस्तृत रिपोर्ट मान्यनिय प्रधान मंत्री जी को भेज दिया।बहुत जल्दी ही उधर से जवाब आ गया।डॉक्टर शर्मा को राजन और उसकी पूरी रिसर्च टीम के साथ प्रधान मंत्री से मिलने हेतु दिल्ली बुला लिया गया।

सब लोग आनन फानन में दिल्ली प्लेन से निकल गए।
प्रधान मंत्री जी ने सबको सफल प्रयोग हेतु बधाई दिया और कहा आप लोगो ने भारत का मान बढ़ाया है।राजन और उसकी पूरी टीम को भारत सरकार सम्मानित करेगी।आप लोग सरकारी अतिथि गृह में ठहरे दो दिनों बाद एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मैं राजन की खोज की घोषणा करूंगा।उससे पहले एक बैठक होगी जिसमें कृषि मंत्रालय के अलावा अन्य सभी संबंधित पदाधिकारी रहेंगे।राजन तुम अपने फार्मूले के बारे में सबको बता देना इसके बाद मैं इसके उत्पादन हेतु अन्य कंपनियों के साथ बैठक कर उत्पादन शुरू करवा दूंगा।

बैठक में राजन ने सभी पदाधिकारियों के समक्ष अपने रिसर्च के बारे में बताया और कहा की अब इस दवा से फसल तो उत्पादन दुगुना देगी ही कोई कीड़ा नही लगेगा, लागत भी कम लगेगी।समय भी कम लगेगा और मिट्टी की उर्वरक क्षमता घटाने के बजाय बढ़ती जायेगी।अनाज को खाने के बाद कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा।यह प्रयोग मैंने कई जीव जंतुओं पर कर के प्रमाणित किया है। अंत में हम लोगो ने उस अनाज को खाकर देखा है और अपनी मेडिकल जांच करवाया है कोई समस्या नहीं दिखी है।अब हमारे देश के किसान जहरीली रासायनिक खाद के प्रयोग से बच जायेंगे।अपनी जमीन, अपनी फसल और अपने स्वास्थ्य को भी बचा सकेंगे।

अब हमारा देश अनाज, फल फूल, जड़ी बूटियों और साग शब्जियो के मामले में न केवल आत्म निर्भर हो सकेंगे बल्कि इतना अनाज पैदा कर सकेंगे जिससे हम विदेश को निर्यात कर अपने देश को प्रति वर्ष अरबों खरबों की आमदनी दे सकेंगे।

इतना ही नहीं इस दवा को भी विदेशो में बेचकर काफी धन की प्राप्ति हो सकेगी।

राजन का भाषण खत्म होते ही पूरा सभा कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

सभा को डॉक्टर शर्मा ने भी संबोधित किया और फिर प्रधान मंत्री जी ने सभी अधिकारियों को उचित आदेश दिया। अंत में राजन की पूरी टीम का परिचय सबसे करवाया गया।

दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधान मंत्री जी कृषि मंत्री, डॉक्टर शर्मा के अलावा राजन और उसकी टीम भी मौयूद थी।प्रधान मंत्री देश विदेश की पूरी प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सामने राजन द्वारा की गई खोज के बारे में जानकारी दिया।उन्होंने वही बाते कही जिसे राजन ने मीटिंग सबको अपने भाषण में कहा था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मीडिया ने राजन को घेर लिया।कई तरह के सवालों की झड़ी लगा दिया।उसने सबके सवालों का जवाब बड़े धैर्य से दिया।

कुछ ही देर में सभी देश विदेश के चैनलों पर प्रधान मंत्री जी के प्रेस कॉन्फ्रेंस और राजन के खोज का न्यूज चल रहा था।देखते देखते यह खबर देश विदेश तक बिजली से भी तेज गति से फैलती चली गई। हर जगह राजन की ही चर्चा हो रही थी।

यह खबर राजन के माता पिता स्कूल कॉलेज के शिक्षकों ने भी देखा सुना।मंजरी के माता पिता ने भी देखा। वे लोग बहुत खुश थे।

राजन के पिता की छाती चौड़ी हो गई मां की खुशी से आंखे भर आई।पूरे गांव वालो ने उनके घर आकर उनको बधाई देने लगे।सबको राजन पर नाज हो रहा था।राजन ने हमारे गांव का नाम पूरे देश दुनिया मे रोशन किया है।जब हमारे गांव का बेटा हमारे गांव आयेगा हमलोग उसका पूरे ढोल बाजे के साथ स्वागत करेंगे।उसको फूल मालाओं से लाद देंगे।पूरे गांव में उसका जुलूस निकालेंगे।पूरे गांव वालो का जोश देखते बन रहा था।सब देखकर राजन के माता पिता की खुशी से आंखे भर आई थी।उनको अपने बेटे पर गर्व महसूस हो रहा था।

अपने गेस्ट हाउस में खाना खाते हुए मंजरी ने राजन से कहा सच राजन तुमने कमाल कर दिया।सबको तुम पर नाज हो रहा है।में तो खुशी से फूले नहीं समा रही हूं। मैं भाग्यशाली हूं की तुम्हारे जैसा दोस्त मिला है मुझे।

और हम लोग क्या है राजन के दुश्मन है क्या पप्पू ने हंसते हुए कहा।उसकी बात सुनकर साबलोग ठहाका मार कर हंस पड़े।मंजरी भी हसने लगी।राजन उसको हंसते हुए देख रहा था।हंसते हुए मंजरी बहुत सुंदर लग रही थी। वो उसे अपलक देखता रहा।तभी उसे उसके गुजरे दिनो की याद आ गई।उसे बिरजू और उसके पिता पर बहुत गुस्सा आया।

उसे मंजरी पर बहुत प्यार आया उसे लगा वो आगे बढ़कर उसे अपनी बांहों में भर ले मगर सबके सामने करने से खुद को रोक लिया और कहा और मुझे तुम सब जैसे दोस्त पाकर बहुत खुशी हो रही है दोस्तो।तुम लोगो ने जिस तरह मेरा साथ दिया है उसको मैं कभी भूल नही सकता।

अचानक मंजरी ने कहा राजन काफी दिन हो गया तुम्हारे साथ कही घूमने नही गई। आज चलो न कही किसी पार्क में घूमा दो न।

उसकी बात का जवाब राजन देता उससे पहले पप्पू ने कहा मंजरी ठीक कह रही है यार चलो आज चारो घूम आते है।आज फुर्सत भी है।क्यों नेहा क्या बोलती हो तुम तैयार हो।पप्पू की इस बेताबी पर सब लोग फिर हसने लगे।

राजन ने कहा ठीक है जब सबकी राय है तो चलो चलते है शाम को सबको घुमा लाता हूं दिल्ली का ताल कटोरा पार्क।

सब लोग थोड़ा आराम कर लो मैं डॉक्टर शर्मा साहब से बात करता हूं।

डॉक्टर शर्मा ने उसे जाने की सहमति देते हुए कहा ठीक है तुम सरकारी गाड़ी लेकर जा सकते हो। मगर समय पर आ जाना क्योंकि तुम अब साधारण नही रहे।अपना ख्याल रखना।

आप चिंता मत करे सर राजन ने कहा।
सबलोग शाम को पार्क में घूमने के लिए निकल गए।पार्क पहुंच कर राजन ने चार पॉकेट चना और मूंगफली लिया और खाते खाते घूमने लगे।पार्क में काफी भीड़ भाड़ थी।बच्चे बड़े बूढ़े नौजवान लड़कियां सभी घूम रहे थे।कोई खेल रहा था।कोई टहल रहा था।कोई योगा कर रहा था। घूमते घूमते मंजरी थक गई।उसने राजन से कहा अब मैं थक गई हूं चलो न कही बैठकर बाते करते है।

ठीक है चलो इतना कहकर राजन थोड़ी दूर पर हरी हरी घास पर मंजरी को लेकर बैठ गया।पप्पू और नेहा भी थोड़ी दूर पर बैठकर बात करने लगे।

प्रधान मंत्री कार्यालय में प्रधान मंत्री जी फोन पर काफी बिजी थे।देश बिदेश से काफी फोन आ रहे थे।तभी उनके सहायक ने आकर बताया विदेशो मे गुप्तचर का कार्य करने वाली एजेंसी रॉ के निदेशक और देश के अंदर कार्यरत केंदीय गुप्तचर एजेंसी के निदेशक और स्वयं गृह मंत्री जी अभी आपसे मिलना चाहते है।बहुत जरूरी है बता रहे हैं सभी।

प्रधान मंत्री जी ने कहा उनको आदर सहित जल्दी भेजो।
अंदर आते ही सबने उनका अभिवादन किया।
प्रधान मंत्री जी के कहने पर तीनों कुर्सी पर बैठ गए।बोलिए गोयल साहब अचानक बिना सूचना के कैसे आना हुआ।उन्होंने गृह मंत्री जी से पूछा।

गृह मंत्री ने कहा सर मामला ही ऐसा है अचानक हम तीनों को आना पड़ा।फोन भी नही कर सकते थे।

सुनकर उन्होंने कहा जल्दी बताए क्या बात है। वे थोड़ा चिंतित दिखे।

गृह मंत्री ने रॉ के निदेशक को इशारा किया।उसने कहा सर अभी अभी मुझे सूचना मिली है डॉक्टर राजन की जान को खतरा है। आज जो आपने प्रेस कांफ्रेंस किया है उससे हमारे दुश्मन देश को काफी बुरा लगा है।इतनी बड़ी उपलब्धि जो भारत को मिली है उसे हजम नही हो रहा है।इसलिए कुछ होने से पहले वो राजन को पहले अपहरण करने की योजना बना रहे हैं।असफल होने पर उसे जान से मारने की योजना बनाई है।

केंदीय गुप्तचर एजेंसी के निदेशक ने बताया सर मेरे सूत्रीय ने बताया है विदेशी जासूस राजन के बनाए फार्मूले को चोरी करने के फिराक में है।

सुनकर प्रधान मंत्री जी अवाक रह गए उन्होंने अपने सहायक से कहा तुरंत डॉक्टर शर्मा से बता कराओ।

फोन लगते ही उन्होंने राजन के बारे में पूछा जवाब मिलते ही उन्होंने कहा आप अपने रिसर्च सेंटर के लोगो को अभी सावधान रहने के लिए बोले राजन का फार्मूला चोरी होने की संभावना है। मैं अभी वहा की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की व्यवस्था करता हूं।

फोन रखते हुए उन्होंने गृह मंत्री से कहा राजन इस समय अपने दोस्तो के साथ ताल कटोरा पार्क घूमने गया है।आप तुरंत तेज तर्रार बीस पच्चीस पुलिस के जवानों को भेजकर उसको सुरक्षा के घेरे में ले।उनके साथ एक डीएसपी रैंक का पुलिस ऑफिसर भी भेज दे।

आगे से उसकी सुरक्षा में दस ब्लैक कमांडो जवान चौबीस घंटा के लिए तैनात करे।राजन का बाल बांका भी नहीं होना चाहिए।आखिर वो हमारे देश का एक महान वैज्ञानिक है। देश की धरोहर बन गया है।

केंदीय कृषि शोध संस्थान की सुरक्षा तीन स्तरीय कर दे तुरंत।अंदर बाहर और आसमान में।

गृह मंत्री ने बिना देर किए तुरंत संबंधित अधिकारियों को आदेश दे दिया।

आगे से पल पल की रिपार्ट मुझे देते रहे।आप सभी पूरी तरह सतर्क रहे।हमें हर हाल में राजन और उसके फार्मूले को बचाना है वरना हमारे देश की बहुत बड़ी क्षति हो जायेगी।

पार्क में मंजरी ने राजन से कहा अब तो तुम्हारा सपना साकार होने जा रहा है अब अपनी शादी के बारे में क्या सोचा है।

सोचना क्या है मेरी जान मेरी पहली और आखिरी पसंद और प्यार तुम ही हो इसलिए शादी करेंगे तो तुमसे वरना किसी से नहीं।राजन ने मुस्कुराते हुए उसकी आंखो में देखते हुए कहा।

फिर राजन ने अमेरिका की दोस्त लिली के बारे में उसे बताया।
सुनकर मंजरी भाव बिहवल हो गई और उसके सीने से लग कर रोने लगी।

तुम लड़कियों की यही एक बहुत बड़ी दिक्कत है यार थोड़ी थोड़ी बात पर रोने लगती हो अब चुप हो जाओ अब तो तुम्हारे पास आ गया हूं। फिर क्यों रो रही हो।

मुझे रो लेने दो ताकि मेरे दिल का बोझ हल्का हो जाए।ये मेरे खुशी के आंसू।

मंजरी की बात पूरी भी नहीं की गोलियां चलने की आवाज आई एक गोली राजन के सिर के ऊपर से निकल गई।मंजरी ने उसे तुरंत जमीन पर गिरा दिया और खुद उसकी छाती पर गिर पड़ी।
तभी पुलिस के जवान अचानक वहा पहुंचकर आक्रमण कारियो पर गोलियां चलाने लगे।सबको जमीन पर लेटने का आदेश दिया। पार्क में अफरा तफरी मच गई।सभी तुरंत जमीन पर लेट गए।
पुलिस ने राजन और उसके दोस्तो को तुरंत सुरक्षा घेरे में ले लिया।

पुलिस ने गोली चलाने वालो का मार गिराया था वे पांच लोग थे।

शेष अगले भाग 20 में।

लेखक श्याम कुंवर भारती

नोट कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय अवश्य दे।
धन्यवाद।

कहानी

किसान का बेटा हूँ, भाग – 20

लेखक- श्याम कुँवर भारती
राजन और उसके सभी साथी समझ नहीं पा रहे थे आखिर मामला क्या है। तभी एक डीएसपी रेंक के पुलिस ऑफिसर ने कहा – राजन सर अब आप पुलिस की हिफाजत में है डरने की कोई जरूरत नहीं है। आइये अब आपको सुरक्षित आपके आवास तक पहुंचा दिया जाता है। पुलिस के सुरक्षा गार्ड ने उन सबको घेरे में लेकर उनकी गाड़ी तक पहुंचा दिया और आगे पीछे पुलिस के जवान अपनी गाड़ी में सावधानी से चलने लगे। उनके आवास तक पहुँचते ही सारे टीवी चैनल पर राजन पर हुये जान हमले की खबर देने लगे।

खबरों के मुताबिक राजन के हुये हमले में बिदेशी ताकतों का हाथ बताया जा रहा था। भारत की उपलब्धि को नाकाम करने के उद्देश्य से यह हमला किया गया है। प्रधान मंत्री जी और गृह मंत्री ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लेते हुये कहा की दुशमनों की चाल को सफल नहीं होने दिया गया और राजन के साथ उसकी टिम को बाल बाल बचा लिया गया है।इस हमले में जिन लोगो ने गोलीय चलाई थी उन सभी को मार गिराया गया है। न्यूज़ देखकर राजन और बाकी सब सन्न रह गए। उसके अतिथि गृह की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। राजन के बॉडी गार्ड के रूप में दस ब्लेक कमांडो भी आ चुके थे।टीवी पर न्यूज़ आते ही पूरे देश में राजन की सुरक्षा हेतु सभी भगवान से प्रार्थना करने लगे और सरकार की मुस्तैदी के लिए प्रधान मंत्री और गृह मंत्री की की तारीफ करने लगे।

राजन के माता -पिता ने खबर देखा तो वे सभी घबड़ा गए। उसके पिता ने तुरंत राजन को फोन कर अपनी चिंता जाहीर किया।

राजन ने कहा बाबूजी आप चिंता मत करे हम सब बिलुकल ठीक ठाक है। हमारे गेस्ट हाउस में भी पुलिस की सुरक्षा दे दी गई गई है।उसकी माँ ने कहा चाहे जो भी हो बेटा तुम जल्दी घर चले मेरा दिल नहीं मान रहा है। राजन ने अबड़ी मुश्किल से अपनी माँ को समझा कर शांत किया। मुझे यहाँ और भी काम है माँ खत्म होते ही आ जाऊंगा।

थोड़ी देर में गृह मंत्री जी का फोन आया। फोन उठाते ही उन्होने कहा आप ठीक तो हैं न। राजन ने बताया जी बिल्कुल ठीक है। 
आपको पूरी सुरक्षा दी गई है। आपको घबड़ाने की जररूत नहीं है।कही भी आना जाना हो आप सुरक्षा गार्ड के साथ ही जाये और उसकी सूचना आपके साथ एक डीएसपी रेंक का पुलिस ऑफिसर है उसे पूर्व में सूचित कर दे।। गृह मंत्री जी ने उसे दिसा निर्देश देते हुआ कहा।


अगले दिन देश की सभी नामी केमिकल बनाने वाली कंपनियो के साथ विज्ञान भवन में आयोजित की गई जिसमे प्रधान मंत्री जी, उदद्योग मंत्री और कृषि मंत्री के साथ राजन और उसकी टिम के लोग भी उपस्थित थे। प्रधान मंत्री जी ने कहा – राजन ने जिस फार्मूले को बनाया है उसके बारे में बिस्तार से यही बताएंगे। इनकी बात को आप सभी ध्यान से सुने और बताए आप सभी इसके लिए तैयार है या नहीं। फिर राजन ने अपने फार्मूले के बारे में विस्तार से बताने के बाद कहा अगर आप सभी इस फार्मूले के हिसाब से उत्पादन करते है तो उत्पादन लागत काफी काम आएगी जिससे किमत भी कम रखा जा सकता है। किसानो को जब कम किमत पर बेहतरीन दवा मिलेगी और उनका हर तरह से लाभ मिलेगा तो वे हाथो हाथ खरीदेंगे। क्योंकि आओ सभी को पता हगाई रासायनिक खाद से ने केवल फ़्सले जहरीली हो जाती है जिससे शरीर पर उसका बुरा असर पड़ता है बल्कि मिट्टी की उर्वरक शक्ति को भी धीरे धीरे कम कर देती है।

राजन की बातो से प्रभावित होकर उसके फार्मूले के अनुसार खाद बनाने को तैयार हो गए।

कृषि मंत्री ने कहा ठीक है इस विषय की एक निविदा निकाली जायेगी आप सभी उसे निर्धारित तिथि तक भरकर जमा करेंगे जिस कम्पनी का का पिछला रिकार्ड और संसाधन बेहतर पाये जाएँगे उन कंपनियो को टेंडर दे दिया जाएगा।

अंत में प्रधन मंत्री जी ने कहा सारे काम जितनी जल्दी निपटाकर आप सभी जितनी जल्दी हो सके उत्पादन शुरू करे मुझे पूरे देश के किसानो को अधिक से अधिक लाभ मिलते हुये देखना है। उनके चेहरे की खुशी देखनी है।

कुछ ही महीनो में उत्पादन शुरू हो गया उस खाद का नाम ‘ हरियाली” रखा गया।

हरियाली ने अपना असर दिखाना शुरू किया।देखते -देखते पूरे देश में किसानो की सभी फसले लहलहाने लगी। फल फूल भी पहले से बेहतर होने लगे।गेंहू धान अरहर आदि फ़्सलों के अलावा साग सब्जियों की पैदावार में बेतहासा बृद्धि होने लगी।
जिधर देखिये राजन की हरियाली की चर्चा हो रही थी। हरियाली की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी। हालत ये हो गई की कंपनिया मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं दे पर ही थी। उनके भी बारे न्यारे थे सारे लोग खुश हो रहे थे। अखबारों और न्यूज़ चैनलो में प्र्तिदिन हरियाली की खबरे बिस्तार से दी जा रही थी। राजन को राष्ट्र पति सम्मान से सम्मानित किया गया। केन्द्रीय कृषि शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ प्र्भुदयाल शर्मा सेवानिवृत हो गए मगर उनको भी समान मिला। उनकी जगह प्रधान मंत्री जी ने राजन को ही उस संस्थान का अध्यक्ष बना दिया और कहा- राजन तुम्हें जो भी रिसेर्च करना है करो तुम्हें धन और संसाधन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। तुमने कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला दिया है।

 खाद और अनाज बिदेशो में निर्यात कर देश का खजाना भरता ही जा रहा है। देश में भी किसानो में खुशहाली आ गई है। अब हमारे देश में आनाज से सारे गोदाम भर गए है।

बिरजू के पिता मोहन सिंह राजपूत जो मंत्री थे उनके दिल्ली आवास पर कुछ विपक्ष के नेता और खाद कंपनियो के प्र्टिनिधि मिलने आए। नेताओ ने कहा जिस तरह से राजन के फार्मूले द्वारा बनाई गई खाद हरियाली देश भर में हरियाली आ रही है।किसान सरकार के काम से काफी खुश है। इससे तो हमारी राजनीति ही खत्म हो जाएगी। कोई किसान हमारा साथ ही नहीं देगा। फिर किस के लिए राजनीति करेंगे। कंपनियो के प्रतिनिधि यों ने कहा हमारे पास करोड़ो रुपए की रासायनिक खाद पडी हुई है। कोई भी उसे लेने को तैयार नहीं है। इससे तो हम सभी कंगाल हो जाएंगे। मंत्री जी ने कहा आप सभी हरियाली खाद का उत्पादन शुरू कर दें। कंपनियों के लोगो ने कहा कैसे शुरू करे करोड़ो का माल पड़ा हुआ है बिके तब तो उत्पादन शुरू करे।बैंक से लोन ले ले मंत्री जी ने सलाह दिया।

मंत्री जी हमलोगो ने बैंक से लोन पहले ही ले लिया है। बैंक का पिछला ऋण चुकाएंगे तभी तो बैंक ऋण देगा। हमलोग बुरी तरह फंस चुके है।इन सबने अपनी मजबूरी सुनाते हुये कहा।
फिर मेरे पास क्यों आए है आप लोग। मंत्री जी ने पूछा।

हम सब चाहते है आपका बेटा किसान संघ का नेता है। वो हरियाली खाद का बिरोध करे। उसके बारे में दुशप्रचार करे। किसानो से बोले की उयांकी जमीन जल्दी ही बर्बाद हो जाएगी।इससे पैदा हुआ अनाज बहुत ही जहरीला है। पहले वाली खाद ही बेहतर है।ताकि किसान हरियाली खाद न खरीदकर हमारी रासायनिक खाद खरीदे। कंपनी वालो ने कहा। बिरोधी पार्टी के नेताओ ने कहा – इससे हमलोगो को भी राजनित करने का मौका मिल जाएगा।

धरना, प्रदर्शन, रैली, प्रचार, प्रसार और किसान सभाओ का आयोजन करने में जितना भी रुपया खर्च होगा हम सब देंगे।फिर सबने नोटो का दो सुटकेश मंत्री जी के सामने रखते हुये कहा – यह रख लीजिये दो करोड़ रुपये एडवांश में।मंत्री जी ने खुश होते हुये कहा ठीक है मगर ज्यादा दिन मेरा बेटा बिरोध नहीं कर पाएगा क्योंकि तब तक सरकार इसका तोड़ निकाल लेगी। और मैं सरकार में हूँ मेरा नाम कही नहीं आना चाहिए।मेरा बेटा पार्टी में नहीं है। इसलिए वो बिरोध कर सकता है। अब आप लोग निश्चित होकर जाये। 

शेष अगले भाग – 21 में

लेखक श्याम कुँवर भारती।

कहानी

किसान का बेटा हूँ, भाग – 21 

 लेखक- श्याम कुँवर भारती
जबसे राजन अपनी खोज हरियाली की वजह से अखबारो और न्यूज़ चैनलो के माध्यम से सुर्खियों में आया था उसके पिता के पास विवाह के लिए रिश्ते पर रिश्ते आने लगे। एमपी, एमएलए, मंत्री से लेकर बड़े – बड़े घरानो की लड़कियों के रिश्ते आ रहे थे। मगर राजन की मा ने अपने पति से कहा – बिना राजन से पुछे किसी से कोई रिश्ता तय नही करना जी। राजन मंजरी को पसंद करता है। अभी भी मंजरी राजन के साथ ही है। आपने देखा था न वो उसके साथ शादी के लिए कितना प्रयास किया था।

मगर मंजरी के पिता ने उसकी शादी बुरजू के साथ कर दिया। मगर अब तलाक भी हो गया है। मुझे अपने बेटे की खुशी चाहिए।वो जिस लड़की को पसंद करेगा हम सब उसी के साथ अपने बेटे का विवाह करेंगे।

मगर क्या तुमको लगता है मंजरी के पिता हमारे बेटे के साथ उसका रिश्ता करने के लिए तैयार होंगे। राजन के पिता ने पूछा। अगर नहीं करेंगे तो अब एक तलाक शुदा लड़की के साथ कौन लड़का विवाह करेगा। फिर भी अगर वो नहीं माने तो हमारे पास लड़कियो किम कोई कामी नहीं है। हमलोग अपने बेटे को समझाएँगे की वो मंजरी को भूल जाये और किसी लड़की को पसंद कर रिश्ते के लिए हाँ बोल दे।

मंजरी की माँ ने मंजरी के पिता से कहा – क्या हमारी बेटी अब ऐसे ही अकेली रहेगी। उसका घर नहीं बसाना है क्या जी। सोच तो हम भी रहे है। मगर मेरी बेटी का तलाक हो चुका है। अब रिश्ता ढूँढना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। माजरी के पिता ने चितित होकर कहा।

लड़का ढूँढना कहा है जी लड़का तो हमारी नजर में है। मगर आपको तो अपनि बिरादरी में ही करनी है। बीरादरी में कोई लड़का अब तैयार नहीं होगा। आप राजन के पिता से बात क्यों नहीं करते। मंजरी की माँ ने अपने पति को सलाह देते हुये कहा।

किस मुंह से उनसे बात करूँ उनको तो मैंने इंकार कर दिया था जबकि वो लड़के वाले है। आज तो उनके पास लड़कियो की लाइन लगी होगी। अब राजन पहले वाला राजन नहीं रहा। वो देश का महान वैज्ञानिक बन चुका है। उसकी खोज ने देश विदेश में तहलका मचा दिया है। मुझे नहीं लगता है अब उसके पिता मेरी बेटी से रिश्ते के लिए तैयार होंगे। और उससे पहले मुझे अपनी बीरादरी से भी बात करना होगा। उनको अपने विश्वाश में लेना होगा।मंजरी के पिता ने चिंता जाहीर करते हुये कहा। आपको जो करना है करे मगर मेरी बेटी राजन के साथ खुश रहती है तो किसी तरह यह रिश्ता तय करे। मुझे विश्वाश है मेरी बेटी राजन के साथ सदा खुशी रहेगी। मंजरी की माँ ने कहा।

अगले दिन मंजरी के पिता राजन के गाव जाकर उसके पिता से मीले और पनि ईक्षा बताई। राजन के पिता ने कहा हम भी आपकी बेटी के साथ अपने बेटे का रिश्ता करना चाहते है मगर अब एक समस्या आ गई है।

आपने मेरे बेटे का रिश्ता बिरादरी के नाम पर ठुकरा दिया था।जीससे हमारी बिरादरी के लोग नाराज हो गए है जैसे ही उनको पता चला हम आपकी बेटी के साथ रिश्ता तय करना चाहते है।सब यादव समाज के लोग मेरे पास आए थे और कहा की राजन अब आपका ही बेटा नहीं वो पूरे यादव समाज का बेटा है। उसने हमारी बिरादरी की मान बढ़ाया है।

हमारी बिरादरी में एक से बढ़कर लड़कियां है।अब तो राजन की शादी यादव कुल की ही लड़की के साथ होगी। वरना हमलोग आपका सामाजिक बहिस्कार करेंगे। कोई भी यादव समाज का आदमी आपके किसी भी पारिवारिक कार्यक्र्म में हिस्सा न लेगा न बुलाएगा। अब आप ही बताइये ठाकुर साहब मैं क्या करूँ मेरी तो समझ में कुछ नहीं आ रहा है। जबकि मुझे पता है मेरा बेता मंजरी बेटी के सिवा और किसी लड़की के साथ विवाह हरगिज नहीं करेगा। राजन के पिता ने अपनी मजबूरी सुनाते हुये कहा।

एक उपाय है मंजरी की माँ ने दरवाजे की ओट से कहा – आप दोनों अपनी – अपनी बीरादरी की बैठक एक साथ बुला ले। आपस में सलाह मशविरा कर रास्ता निकाल ले। मंजरी के पिता ने खुश होते हुये कहा जी बिलकुल ये सही रहेगा। शायद इससे दोनों बिरादरी मान जाये।

उन्होने राजन के पिता से कहा आप अपनी बीरादरी को दो दीनो के बाद अपनी गाव की पंचायत भवन में बुला ले मैं भी अपनी बिरादरी को बुला लेता हूँ।

दो दिनो बाद दोनों बिरादरी के लोग काफी संख्या में पहुंचे पंचायत भवन में। यादव समाज के लोग काफी उत्साहित थे। राजपूत बिरादरी भी काफी संख्या में आए हुये थे।बात मंजरी के पिता ने शौरी किया और कहा – जैसा की आप सभी जानते है मैंने अपनी बेटी का रिश्ता अपनी बिरादरी के लड़के बिरजू सिंह राजपुत से किया था जो आज किसान संघ का नेता है।उसके पिता भी मंत्री बन गए है।मगर उनके अत्याचारो की वझ से मेरी बेटी को बिरजू से तलाक लेना पड़ा और आज अपनी पढ़ाई पूरी करके राजन के साथ ही उसके शोध में उसका साथ दे रही है। जबकि यादव जी का बेटा और मेरी बेटी मंजरी एक दूसरे को प्यार करते थे और आपस में विवाह करना चाहते थे। रिश्ते की बात करने यादव जी मेरे पास आए थे मगर मैंने अपनी बिरादरी का मान रखते हुये रिश्ता ठुकरा दिया था। अब इसमे मेरी क्या गलती थी। कोई भी पिता होता तो वही करता तो जो मैंने किया।उनकी बिरादरी वाले तालिया बजाने लगे।

आज भी हमारे गाव समाज में जात पात का कितना बोलबाला है आप सबको पता है। हमारी बेटी का नसीब खराब था की उसका तलाक हो गया।अब मैं चाहता हूँ की मेरी बेटी का विवाह राजन से हो जाये क्योंकि दोनों एक दूसरे को पसंद करते है। आप साभि बताए क्या आप सबको यह रिश्ता मंजूर है।

इसपर यादव समाज के एक नेता ने खड़ा होकर कहा – ठाकुर साहब जब राजन के पिता बेटा वाला होकर आपके पास गए थे तो रिश्ता ठुकराने से पहले बैठक क्यों नहीं बुलाई जैसे आज बुलाई है मगर आपको राजन की काबिलियत नहीं अपनी बीरदारी का गुमान था। आज जबकि राजन ने पूरे देश दुनिया में भारत के एक महान वैज्ञानिक के रूप अपनी पहचान बन चुका है तब आपको उसके साथ रिश्ता करने से परहेज नहीं है। हम सब तैयार नहीं है।

राजन के पिता ने खड़ा होकर कहा आप लोग अपनी अपनी बिरादरी से अलग हटकर दो लोगो की जिंदगी के बारे में सोचे। अगर दोनों का विवाह नहीं हुआ हो तो दोनों सुखी नहीं रहेंगे।

हमलोग मिलकर राजन को मनाएंगे की वो मंजरी से विवाह का ख्याल छोड़ दे। उससे सुंदर पढ़ी लिखी अच्छे यादव घराणे से उसका विवाह कराएंगे। एक यादव ने कहा।

तभी राजपूत बिरादरी के एक नेता ने खड़ा होकर राजन वैज्ञानिक क्या बन गया आप लोगो को इतना गुमान हो गया है की एक राजपूत घराने की लड़की का रिश्ता ठुकरा रहे हो।ठीक है जाओ नहीं करना है मत करो। हमारी लड़की जिंदगी भर घर में पड़ी रहेगी मगर आप लोगो से गिड़गिड़ाने नहीं आएंगे।

यादव बीरदारी इस पर उखड़ गई और बोली – जाइए जाइए हमलोगो को भी कोई शौक नहीं लगा है राजपूत की लड़की के साथ विवाह करने का।

फिर दोनों तरफ से बहस बाजी शुरू हो गई। गरमा गर्मी इतनी बढ़ गई की दोनों तरफ से लाठीया निकल गई। राजन और मजरी के पिता ने बड़ी मुश्किल से समझा बझाकर अपनी -अपनी बिरादरी को शांत किया। मगर बैठक का कोई हल नहीं निकल पाया।

दोनों पिताओ ने अपना माथा पिट लिया।
किसानो की सभा को संबोधित करते हुये बिरजू ने कहा – सरकार हमारे देश के किसानो को जहरीली खाद हरियाली को फसल और मिट्टी का अमृत बताकर किसानो के साथ धोखा कर रही है। मगर हम सरकार की मनमानी नहीं चलने देंगे। मरते दम तक किसानो के साथ खड़े रहेंगे और सरकार को मजबूर करेंगे की वो हरियाली खाद की बिक्री पर अविलंब रोक लगाए और पहले जो खाद दि जा रही थी उसकी आपूर्ति शुरू करे वरना सरकार का चक्का जाम कर देंगे। इस खबर को सारी मीडिया ने हाथो हाथ लिया और पूरे देश में खलबली मचा दिया।

राजन और मंजरी को भी इसकी खबर मिली उसने तुरंत कृषि मंत्री और प्रधान मंत्री जी से मिलकर इस खबर के बारे में चिंता जाहीर किया। प्रधान मंत्री जी ने कहा तुम चिंता मत करो मैंने सारा मामला पता लगा लिया है।

मैं आज प्रेस कान्फ्रेंस कर के सबको बाटा देता हु की किसानो को घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं है। हरियाली खाद के बारे में बिरोधियों द्वारा भरम फैलाया जा रहा है। हमारे देश के वैज्ञानिक जब चाहे इसको प्रमाणित कर दिखा सकते है। देखना क्पोई देखने नहीं आयेगा। क्यी की मामला कुछ और ही है। तुम आराम से अपना काम करते रहो।

शेष अगले भाग- 22 में 

लेखक – श्याम कुँवर भारती।

कहानी

किसान का बेटा हूँ, भाग – 22

 लेखक- श्याम कुँवर भारती

प्रधान मंत्री जी का प्रेस कान्फ्रेंश होते ही बिरजू ने किसानो को भड़काना शुरू कार दिया और दिल्ली के बाहर पूरी सड़क जहाँ चौराहा था हजारो किसानो के को लेकार धारणा पर बैठ गया। उसने भाषण देते हुये कहा -जबतक सरकार हरियाली खाद को बंद नहीं करती है तबतक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

इससे चारो तरफ गाड़ियो का काफिला लग गया। सभी सड़के जाम हो गई। प्रधान मंत्री जी ने कहा था हरियाली खाद में कोई बुराई नहीं है। जान बूझकर किसी साजिस के तहत हरियाली का बिरोध कर किसानो और देश का नुकसान करने का प्रयास किया जा रहा है। बहुत जल्दी साजिस कर्त्ताओ को गिरफ्तार कर जनता के सामने सरकार हाजिर करेगी।

दूसरे ही दिन धरणे पर बैठे किसानो के नाम पर सैकड़ो लोगो ने गिरफ्तार करना शूरु किया। उसमे सभी इनामी अपराधी थे। कोई किसान था ही नहीं। पुलिस ने मंत्री मोहन सिंह राजपूत, बिरोधी पार्टी के नेताओ और फ़ेर्तिलाइजर कंपनियो के प्रतिनिधियों को हिरासत में लेकर मीडिया के सामने हाजीर कर दिया। सबने मीडिया के सामने अपना गुनाह कबुल कर लिया।
 

सबको जेल भेज दिया गया और मंत्री जी को मंत्री पद से बर्खास्त कर पार्टी से भी निकाल दिया गया। धरना स्थल पर बिरजू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया उसने भी सबके सामने अपना गुनाह कबुल कर लिया। बाकी बचे लोगो को पुलिस ने चेतावनी देकर छोड़ दिया और धरना को हटाकर आवागमन चालू कर दिया।

राजन ने फोन कर प्रधान मंत्री जी को इतना जल्दी साजिस कर्त्ताओ का पर्दाफास कर उनको गिरफ्तार करने के लिए उनका आभार प्रकट किया और कहा – सर आपने मेरे ऊपर दाग लगने से बचा लिया। हरियाली अब फिर से देश भर में अपनी हरियाली लहराएगी।

राजन को उसकी माँ ने फोन कर दोनों बिरादरी के बिच हुई बैठक और हो हंगामे के बारे में बताया और कहा – बोलो बेटा अब हम क्या करे। मंजरी के पिता भी तैयार है मगर दोनों बीरादरी के झगड़े ने बनते रिश्ते को बिगाड़ दिया। बेटा तूम एक काम करो जितना जल्दी हो सके मंजरी को लेकर गाँव आ जाओ फिर मिलकर कोई फैसला करते है। राजन ने कहा ठीक है माँ मैं कोशिश करता हूँ।

फिर उसने मंजरी से अपनी माँ से हुई बातचीत के बारे में बताया। मंजरी ने कहा – ठीक है चलो चलते है मुझे भी अपने माता पिता से मिले काफी दिन हो गया है। उससे पहले एक काम करो किसी वकील से अपनी शादी के बारे में सलाह कर लो। राजन ने पप्पू से कहा – देखो यार किसी अच्छे वकील से बात कर उसे बुलाओ। नेहा ने कहा – यह सही रहेगा। इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।

पप्पू ने कहा – राजन अपनी शादी के साथ हम दोनों की शादी के बारे में भी सोचो क्या मैं और नेहा जिंदगी भर कुँवारे ही रहेंगे क्या। उसकी बात सुनकर सभी हसने लगे। नहीं यार तुम्हारी भी शादी खूब धूमधाम से कराएंगे चिंता मत करो राजन ने हसते हुये कहा।

वकील ने कहा – देखिये आप दोनों बालिग है और कानून की नजर में अगर आप दोनों की मर्जी है तो बिलकुल शादी कर सकते है। इसमे कोई आप दोनों को रोक नहीं सकता है। आप कोई गवाह खोज ले मैं वकील के रूप में आप दोनों की शादी कोर्ट में करवा दूंगा। राजन ने कहा ठीक है आप जाये आपकी जो फीस होगी पप्पू दे देगा और हम लोग आपस में विचार कर आपको बताते है।

रजनी ने कहा – ऐसा करते है हम दोनों अपने - अपने माता -पिता को अपने पास बुला लेते है। सबकी उपस्थिती में उनका आशीर्वाद लेकर विवाह करते है। फिर गाँव चलकर सबको पार्टी दे देंगे। ठीक है तुम अपने पिता को फोन कर दो और मैं अपने बाबूजी को फोन कर बुला लेता हूँ। राजन ने कहा और पप्पू को प्लेन का चार टिकट बनाने बोल दिया।

 दो दिनो बाद दोनों के माता पिता राजन के घर पर पहुँच गए और वकील को बुलाकर कोर्ट मेरीज की प्रक्रिया शुरू करने को बोल दिया। कोर्ट जाकर वकील ने शादी हेतु आवेदन दे दिया। जिस दिन तारीख मिली दोनों की कोर्ट मेरीज हो गई। दोनों ने एक दूसरे को फूलमाला पहना दिया और राजन ने मंजरी की मांग में सिंदूर भर दिया। सबने उन दोनों को बधाई दिया। दोनों ने सभी बड़ो का आशीर्वाद लिया।

अगले दिन राजन ने अपने निवास पर एक छोटी सी पार्टी रखी जिसमे कृषि मंत्री, कृषि सचिव, कृषि मंत्रालय के सभी बड़े पदाधिकारी, उसके केंद्रीय कृषि शोध संस्थान के सभी कर्मचारी और पदाधिकारी और उनको आशीर्वाद देने के लिए खुद मान्यनिय प्रधानमंत्री जी गृह मंत्री जी के साथ पहुंचे थे। सबने उन दोनों को आशीर्वाद दिया और ढेर सारे उपहार दिये। मंजरी दुल्हन के रूप काफी सुंदर लग रही थी। मानो स्वर्ग से उतरकर एक परी दुल्हन के रूप में धरती पर आ गई हो हो। कृषि शोध संस्थान के अध्यक्ष और देश के महान वैज्ञानिक डॉ राजन यादव के विवाह की पार्टी थी। ईसलिए आमंत्रित सभी प्रिंट और इलेकात्रोनिक मीडिया के पत्रकारो ने उन दोनों और पूरी पार्टी किं जम के रीपोर्टिंग कर रहे थे। सारे उन दोनों की फोटो खिंचने में लगे हुये थे।

राजन ने सबका स्वागत करते हुए कहा – बहुत हो गया फोटो अब आप लोग जो मन करे खाये पिये और गीत संगीत का भी आनंद ले।

उसने मंजरी और अपने माता- पिता का परिचय प्रधान मंत्री जी से कराया। प्रधान मंत्री जी ने राजन के माता -पिता से कहा – मैं आप दोनों का बाहर प्रकट करता हु की आप दोनों ने देश के महान वैज्ञानिक के रूप में अपना बेटा मुझे दिया है जिसने पूरी दुनिया में अपने देश का गौरव बढाया है। उनकी बात सुनकर उसके माता -पिता की खुशी और गुमान से अंखे भर आई और दोनों ने प्रधान मंत्री जी के सामने हाथ जोड़ दिया।

मंजरी के माता पीता को बधाई देते हुये उन्होने कहा- आप बड़े भाग्यशाली है आपको राजन जैसा दामाद मिला है आपका निर्णय बहुत सही है।

प्रधान मंत्री जी ने मीडिया के सामने घोषणा करते हुये कहा – आज इस खुशी के अवसर पर मैं एक खुश खबरी देना चाहता हूँ- हमारी सरकार ने डॉ राजन यादव को राष्ट्रीय कृषि सलाहकार नियुक्त करने का निर्णय लिया है। उनकी घोषणा सुनते ही पूरी पार्टी में तालियो की गड़गड़ाहट गूंज उठी। राजन ने उनका दोनों हाथ जोड़कर आभार प्रकट किया।

शेष अगले भाग -23 में

लेखक- श्याम कुँवर भारती

कहानी
किसान का बेटा हूँ , भाग -23 
लेखक- श्याम कुँवर भारती 

मीडिया में राजन और मंजरी के विवाह की खबर आते ही देश के लोगो ने काफी खुशी प्रकट किया मगर राजन और मंजरी के बीरदारी के लोगो को जैसे ही पता चला वे लोग सन्न रहे गए उन्हे विश्वाश ही नहीं हो रहा था की दोनों ऐसा कदम उठा सकते है। तुरंत दोनों बिरादरियों ने अलग – अलग बैठक कर निर्णय लिया की जब प्रधान मंत्री जी ने ही उन दोनों को आशीर्वाद दे दिया है तो हम लोग कौन होते है उनका बिरोध करने वाले। अब तो राजन राष्ट्रीय कृषि सलाहकार भी बन गया है। उसने हमारे गाँव ही नहीं पूरे जिले और राज्य का मान बढाया है। इसलिए जब वो गाव आयेगा तो हमलोग उसका पुरजोर स्वागत करेंगे।


राजन और मंजरी के पिता ने कहा – अब हम लोगो को गाव जाकर अपनी -अपनी बीरादरी को समझाना होगा। अभी तो कोर्ट में विवाह हुआ है। गाव में खूब धूमधाम से विवाह समारोह करना होगा। राजन को मेरे दरवाजे पर बारात लेकर आनी होगी। पूरी जात बीरादरी और समाज को आमंत्रित कर खिलाना पिलाना पड़ेगा वरना सब नाराज हो जायेंगे।

राजन ने कहा : ठीक है जैसा आपलोग उचित समझे।
राजन के पिता ने कहा – हमलोग जाकर सारी तैयारी कर तुमको खबर करेंगे तब तुम सब आना। एक काम और करेंगे आप दोनों बाबूजी आप नेहा और पप्पू के माता पिता से दोनों के विवाह की भी बात तय कर खबर करेंगे। राजन की बात सुनकर नेहा और पप्पू दोनों शर्मा गए। दोनों के माता- पिता के चले जाने के बाद राजन ने प्रधान मंत्री जी से फोन पर कहा – सर मैं गाँव जाना चाहता हूँ। एक सप्ताह विवाह के रिती रिवाज में ब्यस्त रहने के बाद मैं अपने राज्य के मुख्य मंत्री जी से बैठक कर पूरे राज्य में कृषि के विकास हेतु कुछ विचार विमर्श करना चाहता हूँ अगर आप मुख्य मंत्री जी को इस् विषय में उचित आदेश कर देते तो मुझे सुविधा होगी।

प्रधान मंत्री जी ने कहा तुम्हारी जो भी योजना है मुझे लिखित रूप से भेज दो मैं उसमे अपनी अनुसंसा सहित भेजकर उनको फोन भी कर दूंगा। छुट्टी के लिए एक आवेदन कृषि मंत्री जी के यहाँ भेज दो और हाँ अब तुम तुम्हें बिना सुरक्षा के कही आना जाना नहीं है इसलिए मैं गृह मंत्री जी को बोल देता हूँ तुम भी उनसे समझ लेना।
जी सर जरूर धन्यवाद।

गृह मंत्री जी ने अपनी केन्द्रीय गुप्तचर संस्थान के निदेशक को आदेश किया की वो राजन के गाँव जाकर वहा की किसी भी तरह की अपराधिक घटना पर नजर रखने हेतु अपने ऑफिसर को लगा दे। राजन आपने गाँव जाने वाला है उसकी सुरक्षा में कोई कमी न होने पाये। उस राज्य के गृह विभाग और मुख्य मंत्री जी को भी राजन के गृह आगमन की सूचना देते हुये पुलिश प्रसासन को सतर्क रहने और उसकी सुरक्षा का ख्याल रखने का आदेश भेज दिया। एक एसपी रेंक के पुलिस ओफिसर को पाँच ब्लेक कमांडो के साथ चौबीस घंटा राजन की सुरक्षा कने हेतु राजन के साथ जाने का आदेश दिया।

प्रधान मंत्री जी का पत्र मिलते ही मुख्य मंत्री जी ने सबसे पहले राजन की सुरक्षा हेतु गृह विभाग को सतर्क रहने और उसकी सुरक्षा में बेहतरीन पुलिस ओफिसरो को नियुक्त करने का देश दिया और कहा – राजन हमारे ही राज्य का वैज्ञानिक है वो हमारे राज्य का गौरव है उसका पूरा ख्याल रखा जाये।

फिर उन्होने अपने कृषि मंत्री को बुलाकर कहा यह मान्यनिय प्रधानमंत्री जी का पत्र है इसमे राजन की कृषि विकास की योजनाए है आप इसको पढ़कर सभी संबन्धित पदाधिकारियों को स्थान, समय और तिथि तय कर आमंत्रित करे उस बैठक में मैं भी उपस्थित रहूँगा।

दस दीनो बाद राजन, मंजरी, नेहा और पप्पू को लेकर अपने गाव जाने के लिए प्लेन से निकला पड़ा। उसके गाँव आने की सूचना उसके गाँव वालो को दो दिन पहले ही लग चुकी थी। सब लोग उसके स्वागत की तैयारी में जोरों से लग गए थे। बैंड बाजा ढ़ोल नगाड़ा फूल माला सब मंगा लिए गए। सारे रास्तो में तोरण द्वार बनाए गए थे। जिला और पुलिस प्रसासन भी अपने स्तर से उसकी सुरक्षा और स्वागत में कोई कमी नहीं करना चाहता था। मुख्य मंत्री जी का विशेष आदेश था।

राजन के हवाई अड्डा से सड़क मार्ग का रूट चार्ट तैयार कर उस क्षेत्र के सभी थानो को पहले ही दे दिया गया था। पुलिस की चौकस ब्यवस्था की गई गई थी। बिना उसकी मर्जी के कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता था।

राजन के गाव आगमन कि खबर मीडिया में भी आ रही थी। भारत से बाहर दुश्मन देश को राजन द्वारा देश को कृषि क्षेत्र में की गई क्रांति और खुशहाली रास नहीं आ रही थी। सबको लग रहा था राजन के रहते भारत प्रगति की ऊंचाइया चढ़ता ही जाएगा। उसने भारत में जासूसो को राजन पर निगाह रखने का आदेश दिया और मौका मिलते ही उसे मार देने का हुक्म सुना दिया।

बिरजू और उसका पिता जिस जेल में बंद थे कुछ लोगो ने मुलाक़ात किया और कहा – राजन अपने गाँव आ रहा है। तुम लोग अपने लोगो द्वारा उसे जान से मरवा दो जितना रुपया चाहिए मिलेगा। बिरजू को वैसे भी राजन की तरक्की और उसकी खोज से चिढ़ थी। ऊपर से उसे खबर मिल गई थी की उसने मंजरी से शादी कर लिया है तो वो अंदर ही अंदर जल भून उठा था। उसने तुरंत हाँ बोल दिया और एक पता बताते हुये बोला पैसा वहा भेजवा दे बाकी मैं देख लेता हूँ।

राजन और उसके साथियो के हवाई अड्डा से बाहर आते ही पहले पुलिस ने उसे अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया। उससे मिलने वालो से पहले ही जांच पड़ताल कर ली गई थी।

बाहर निकलते ही लोगो का हुजूम उमड़ने पड़ा था उसे एक नजर देखने के लिए लोग टूट पड़े थे। सब लोग उसे हार मालाओ से लादे जा रहे थे। हवाई अड्डा से उसका गाव लगभग पचास किलो मीटर था।

सुरक्षा में लगे राज्य सरकार के एसपी को डीजीपी का फोन आया – राजन को अब किसी से मिलने नहीं दिया जाय उसकी जान को खतरा है। उसके गाँव जाने वाली जो सड़क है तोरण द्वार के पास जहा हजारो लोग उसका इंतजार कर रहे है। वहा पर पुलिस पहले ही पहुँच कर सबकी जांच कर रही है। राजन को सिर्फ वही रोका जाय स्वागत होने दिया जाय। इसके बाद मंजरी, नेहा और उसके माता -पिता को उसके घर सुरक्षीत पहुंचा दिया जाय। राजन, पप्पू और उसके माता-पिता को पूरे सुरक्षा घेरे में उसके घर तक ले जाना है। पुलिस की एक टिम उसके घर पहले ही पहुँच चुकी है।

डीजीपी की बात सुनकर एसपी ने राजन की सुरक्षा में लगे केंद्र सरकार के पुलिस ओफिसर को सारी बात बताते हुये अपनी पुलिस टिम को निर्देश दिया अब बिना रुके राजन को आगे – पीछे कवर करते हुये सीधे चलते रहना है। कही भी कोई संदिग्ध दिखे उसे तुरंत मार गिराना है।

इसके बाद पूरा काफिला तेज रफ्तार से बढ़ता चला गया। रास्ते में हजारो लोग राजन का स्वागत में हाथ हिलाते नजर आ रहे थे। पीछे -पीछे मीडिया भी लगी हुई थी।

बिरजु के दस खूंखार सुटर चौक गए उन्हे लगा पुलिस को हमले की जानकारी मिल चुकी है। इसलिए बिना रुके काफिला भगाये जा रहे है। उन्होने किसी को फोन कर सब बताया। उयद्धर से कहा गया तुम लोग पीछे लगे रहे जहां मौका मिले गोली चलाकर निकल जाना।

केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रधान मंत्री जी को फोन पर बताते हुये कहा – सर मैंने राज्य के मुख्य मंत्री जी और डीजीपी से भी बात कर सबको सतर्क कर दिया है। आप चिंता मत करे सब कुछ मेरे नियंत्रण में है। मैं लगातार निगरानी कर रहा हूँ। ठीक है राजन का बाल भी बांका नहीं होना चाहिए। प्रधान मंत्री जी ने कहा।

गृह मंत्री जी को उनके गुप्तचर ने बताया – सर दो काले रंग की स्कार्पिओ गाड़ी लगातार काफिले का पीछा कर रही है। मगर वो गाड़ी हमारी लिस्ट में नहीं है। उसपर हमे संदेह है। क्या आदेश है। उन दोनों गाड़ियो के बारे में एसपी को सूचित करो और कहो की उनको जितना जल्दी हो सके उनको अपने घेरे में लेकर चले जैसे ही कोई संदिघ्ध हरकत करते नजर आए तुरंत उनका एनकाउंटर कर दे।

काफिला अब राजन के गाव के नजदीक तोरण द्वार के पास पहुँच चुका था। वहा हजारो लोग ढ़ोल नगाड़ा तासा बैंड बाजा और फूल माला लेकर उसका इंतजार कर रहे थे। एसपी ने दुरबिन से उन दोनों गाड़ियो के अंदर देखा उन्हे टेलिस्कोप राइफल दिखाई दी जिसमे साइलेंसर लगा हुआ था जो दूर से बिना आवाज किए निसाना लगा सकती थी। उसने अपने दो पुलिस ओफिसर से कहा बिना देर किए दोनों गाड़ियो में जीतने भी लोग है सबको सूट करो। एक भी बचने न पाये।

राजन की गाड़ी रुकते ही सबने उसे घेर लिया। खुशी से सबलोग बाजा बजाने लगे। उसे फूल मालाओ से लादने लगे। उनका इतना प्यार देखकर राजन की आंखो से आँसू निकल पड़े। साथ में मंजरी, नेहा पप्पू और दोनों के माता -पिता का भी सबने स्वागत किया। इतना स्वागत और सम्मान उन सब को अबतक कभी नहीं मिला था। यह सब राजन की वजह से हो रहा था। सबकी आंखे खुशी से भर आई थी।

अब राजन सबके साथ कुछ दूर पैदल चलते हुये सबका अभिवादन कर रहा था मगर पुलिस को भीड़ काबू करने में पसीना छुट रहा था।

पुलिस की तीन चार गाडीयों ने फुर्ती दिखाते हुये चरो तरफ से उन दोनों स्कार्पिओ को घेर कर अपनी बंदुके उन पर झोंक दिया उन बदमाशो को संभालने का भी मौका नहीं मिला। गोलियां चलने की आवाज सुनकर सब लोग चौंक गए। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ।

तभी पुलिस की गाड़ी से माइक द्वारा घोषणा की गई किसी को घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं है। कुछ इनामी मुजरिम थे जिनकी हरकत पर पुलिस को शक था इसलिए उनको मार गिराया गया है। अब डरने की की बात नहीं है।

थोड़ी देर बाद मंजरी, उसके माता -पिता और नेहा एक गाड़ी में बैठकर अपने गाँव चले गए। राजन भी अपने माता- पीता के साथ अपने गाँव की ओर एक गाड़ी में बैठकर चल पडा। पप्पू भी उसके साथ ही था।

पीछे पीछे पुलिस की गाड़ियो का काफिला भी लगा रहा।
पाँच दिनो बाद ब्राह्मणो ने विवाह का शुभ मुहूर्त निकाल था। राजन की बारात बड़े धूम धाम से निकली। हजारो गणमान्य लोग, एमपी, एमएलए और मंत्री उसकी बारात में शामिल हुये थे। ऐसी बारात अबतक किसी की नहीं निकली थी। दूल्हा दुलहन को आशीर्वाद देने के लिए मुख्य मंत्री जी भी आनेवाले थे। इसलिए मंजरी के गाव में पुलिस सुरक्षा की चक चौबंद ब्यवस्था की गई थी। राजपूत और यादव बिरादरी दोनों इस विवाह से काफी खुश थे।

अपने गांव में मंजरी के पिता ने गाव के बाहर खेत को ट्रेकटर से जोतवाकर बराबर करवा दिया था। बहुत बड़ा टेंट लगवा दिया था जहा हजारो बाराती ठहर सके। नाच गाने का पूरा प्रबंध किया था। मुख्य सड़क से लेकर घर तक रंग बिरंगी लाइटें लगवाई गई थी। विवाह मंडप को बड़ी सुंदरता से सजाया गया था।

बारात जैसे ही मुख्य सड़क पर पहुंची मंजरी के पिता और बुजुर्ग राजन और उसके पिता की आगवनी करने फूल माला लेकर पहुंचे। उसके बाद बारात धीरे धीरे बैंड बाजो के साथ नाचते गाते मंजरी के घर की तरफ चलने लगी। रास्ते में खूब पटाखे और फुलझड़ियाँ छोड़ी जा रही थी। बहुत ही अद्द्भुत नजारा था। सारे गाँव के लोग इस बारात को देखने के लिए उमड़ पड़े थे। राजन को दूल्हा के रुप में घोड़ी पर बैठा दिया गया था। उसके साथ साथ पप्पू और उसके सभी पुराने दोस्त चल रहे थे।

आखिरकार बारात मंजरी के दरवाजे पर पहुँच गई जहा काफी संख्या में घर और गाँव की औरतों ने उसका स्वागत किया उसकी आरती उतारी। खूब जमके नाच गाना होता रहा। इसके बाद सबलोग टेंट में आ गए जहा सबको एक से बढ़कर मिठाइयों से नाश्ता कराया गया। कोल्ड ड्रिंक, आइस क्रीम, छोला भटूरे, पानीपूरी, फलो का चाट सब चल रहा था। जिसको जो खाना पीना था खाये।

मुहूर्त्त के अनुसार रात दस बजे विवाह शुरू हुआ। लड़का और लड़की दोनों पक्ष के पंडितों ने वैदिक मंत्रो सहित विवाह संस्कार देर रात सम्पन्न करा दिया। मंजरी के पिता ने कन्या दान किया। राजन ने मंजरी की मांग में फिर से सिंदूर दान किया।

शुबह राजन मंजरी को बिदा कराकर अपनी बारात सहित अपने गाँव आ गया।

दो दिनो बाद राजन ट्रेकटर लेकर अपने खेत पर जाने लगा तो उसके पिता ने कहा – तुम क्यों जा रहे हो बेटा खेत जोतने के लिए बहुत लोग है। तुम रहने दो। बाबूजी क्यों नहीं खेत जोतूँ आखिर मैं एक किसान का बेटा हूँ। आपका बेटा हूँ। कितने लोग हो जाये मगर मैं किसानी करना कैसे छोड़ दूँ। जिद करके राजन ने पप्पू को बुला लिया और खेत जोतने चला गया। उसने मंजरी को बोल दिया तुम खाना लेकर खेत पर आ जाना। मंजरी हसने लगी तुम नहीं मानोगे। जाओ मैं आ जाऊँगी।

सभा कक्ष में मुख्य मंत्री जी के साथ राजन, मंजरी, नेहा और पप्पू के अलावा कृषि मंत्री, निदेशक, सभी जिलो के डीएम, जिला कृषि पदाधिकारी, किसान नेता, कृषि ब्यापारी और कृषि कंपनिया सभी उपस्थित थे। मुख्य मंत्री जी ने राजन को अपनी बात कहने को कहा तब राजन ने कहाँ शुरू किया – जैसा की आप सभी मेरी खोज हरियाली को जान ही चुके है। अब मैं इसमे कुछ बद्दलाव कर अलग अलग फ़्सलों, पेड़ पौधो, फूलो, फलो, जड़ी बूटियो और साग सब्जियो पर नया पृयोग कर उनको और बेहतर बनाना चाहता हूँ।

आप सबको पता है कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे अधिक से अधिक लोगो को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। राज्य में कृषि से संबन्धित केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाए चल रही है। हमे सिर्फ इतना करना है उनको सत प्रतिशत सफल करना है। मेरे प्रयोग से फूलो की पैदावार, साग सब्जियों, फ़्सलों और फलो की पैदावार बहुत ज्याद बढ़ जाएगी। इसलिए उनके अलग -अलग विभाग बनाकर इनकी पैदावार और बिक्री को चुस्त दुरुस्त किया जाय ताकि किसानो को अधिक से अधिक लाभ मिले।

किसानो का छोटा छोटा समहू बनाकर उनको विशेष तरह की फ़्सले उगाने के लिए ही प्रेरीत किया जाय। जैसे जो फूल उगाये वो फूल ही उगाये ताकि उसमे उसकी विशेषता हो जाये उसे बेचने और ब्यापरियो का पूरा लाभ मिले। इसी तरह जड़ी बुटी, साग सब्जी, फल, फसल और मसालो के लिए समूह बना दिये जाये। उनकी फसल ब्यापारी या सरकार अगर उनके खेत या खलिहान से खरीद ले तो ज्यादा बेहतर होगा। बचे अनाजों और फ़्सलों के लिए कोल्ड स्टोरेज और गोदामो में रखने हेतु उनको पहले से बेहतर बनाया जाय।

हर जिला में बेहतर कोल्ड स्टोरेज, कृषि प्रशिक्षण केंद्र हो, ब्यापार केंद्र हो। जिन किसानो के पास जमीन नहीं हो उन्हे जमीन लीज पर उपलब्ध कराई जाये। सभी संबन्धित पदाधिकारी अपनी अपनी जिम्मेवारी को बखूबी निभाए तो मैं वादा करता हूँ हमेसा हमारा राज्य कृषि के क्षेत्र में सबसे आगे रहेगा।

मैं हमेश नए प्रयोग कर किसानो और देश को नई तकनीक देता रहूँगा। चूंकि मैं भी इसी राज्य से हूँ इसलिए इसकी शुरुआत इसी राज्य से करना चाहता हूँ। इसके बाद सारे देश भर में इस प्रयोग को शुरू करूंगा। किसानो को खाद, बीज, बिजली, पानी और धन की ब्यवस्था करने की जिम्मेवारी सरकार की होगी। मेरी जहा भी जरूरत होगी मैं हमेसा साथ में रहूँगा। विशेष आर्थिक सहायता हेतु मैं भी प्रधान मंत्री जी से बात करूंगा और मुख्य मंत्री जी भी अपना प्रस्ताव भेज सकते है। मैं राष्ट्रीय कृषि सलाहकार के रूप में अपनी अनुषंशा कर दूंगा। हमे इतना कृषि उत्पादन करना है की हजारो लाखो बेरोजगारो को रोजगार दे सके और बिदेशों में निर्यात कर एक नया इतिहास रच सके। 
राजन का भाषण खत्म होते ही पूरी सभा तालियो से गूंज उठी। 
मुख्य मंत्री जी ने कहा मैं इसका प्रस्ताव बनाकर शीघ्र ही आपके पास भेज दूंगा।
:- समाप्त :-
लेखक – श्याम कुँवर भारती
Shayam Kuvnar Bharti

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