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लघु कथा : चिंता | Chinta Short Moral Story in Hindi

लघु कथा : चिंता | Chinta Short Moral Story in Hindi

चिंता
काफी भागदौड़ के बाद बेटी की शादी अच्छे घर -परिवार में तय हो गई।

मां थी कि उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें ज्यों की त्यों बनी हुई थी।

उन्होंने समझाते हुए कहा, अब किस बात की चिंता! ईश्वर की कृपा से सब ठीक होगा!

सो तो है, मगर मैं तो इस बात को लेकर परेशान हूं की, शादी के बाद मेरी बेटी का कैरियर चौपट ना हो जाए! इतनी पढ़ी-लिखी लड़की है, इतनी अच्छी नौकरी कर रही है, कहीं शादी के बाद वो लोग नौकरी ना छुड़वा दें! फिर तो वह भी हमारी तरह घर- गृहस्ती के जंजाल में फंस कर रह जाएगी!

ठीक है, शादी के बाद दामाद जी से इस संबंध में बात करेंगे।
हम अपनी राय देंगे, आगे उन लोगों की मर्जी !
समय पर शादी -विवाह संपन्न हो गया।

खुशी की बात थी कि दामाद जी को बेटी की नौकरी से कोई आपत्ति ना थी!

इतना सुनते ही, मां के दिल में फिर से शंकाओं का तूफान उठने लगा।

हे भगवान !यदि वो सुखी संपन्न परिवार हैं, तो फिर बेटी से नौकरी करवाना क्यों चाहते हैं?

सुषमा सिन्हा, वाराणसी

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