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भारत के वीरों पर कविता | Bharat Ke Veero Par Kavita

देशभक्ति पर कविता | Patriotic Poems in Hindi
कविता


आओ सुनें गाथा वीरों की

आओ सुनें गाथा वीरों की,
करें उनका गुणगान,
उनसे है यह देश गौरवान्वित,
उनसे बना यह देश महान।
आओ सुनें गाथा...।

वीरों से भरी यह धरती,
यश-कीर्ति गा रहा आसमान,
है यहाँ की माँ दुर्गा, काली,
जिसे जान रहा सारा जहान।
आओ सुनें गाथा...।

सबसे शूरवीर हमारे श्रीराम थे,
जिनका जग में बड़ा है नाम,
वे थे मर्यादा पुरुषोत्तम,
जिन्होनें किया जग कल्याण।
आओ सुनें गाथा...।

द्वापर युग में थे एक राजा,
जो थे पराक्रमी भरत महान,
जिनके नाम यह देश है भारत,
जिसकी जग में अलग पहचान।
आओ सुनें गाथा...।

पौरूष की शूरवीरता का,
मैं क्या करूँ महिमा बखान,
पौरूष के आगे चूर हुआ,
सिकंदर का अभिमान।
आओ सुनें गाथा...।

अशोक, चन्द्रगुप्त, महाराणा ने,
बढायी भारत की गरिमा व मान,
गुरू गोविंद, वीर शिवाजी पर,
हम सबको है अभिमान।
आओ सुनें गाथा...।

मंगल पांडे, झाँसी की रानी ने,
ली हजारों गोरों की जान,
सुभाष, भगत, आजाद, कुँवर ने,
दिलायी अंग्रेजों से मुक्ति, त्राण।
आओ सुनें गाथा...।

हमें नाज राजा नारायण सिंह पर,
जो हैं मेरे हिन्द की शान,
मार भगाया फिरंगियों को,
लिये हजारों अंग्रेजों के प्राण।
आओ सुनें गाथा...।

करें याद उस जगत्पति को,
जिनका करता देश सम्मान,
जिन्होनें देश का तिरंगा लहराया,
किया अपना जीवन कुर्बान।
आओ सुनें गाथा...।

हमें नाज है हिन्द के शूरवीरों पर,
जो हैं मेरे वतन की आन-बान,
आओ मिलकर इनकी गाथा गायें,
करें इनकी यश-कीर्ति गान।
आओ सुनें गाथा...।
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अरविन्द अकेला, पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27

कविता
हमने उन्हें अपना भाई समझा,

हमने उन्हें अपना भाई समझा,
उनपर अपना प्यार लुटाते रहे,
उन्होंने हमें काफिर, दुश्मन माना,
फिर भी उनसे भाईचारा निभाते रहे।
हमने उन्हें अपना भाई...।

जब-जब आया ईद का त्योहार,
उन्हें हम दिल से गले लगाते रहे,
जब-जब निकाले हम कोई जुलूस,
वे हम पर पत्थर चलाते रहे।
हमने उन्हें अपना भाई...।

तोड़ दी उन्होंने शिवालय, मंदिर हमारी,
उसपर वे मस्जिद, मीनार बनाते रहे,
वे करते रहे हमपर चोट, प्रहार,
और हम गंगा-यमुनी तहजीब निभाते रहे।
हमने उन्हें अपना भाई...।

वे करते रहे दुसरे धर्मों से द्वेष, नफरत,
उपर से सभी धर्मों से लगाव दिखाते रहे,
मजहब नहीं सिखाता एक दूजे से बैर रखना,
ये बातें हम सारी दुनियाँ को बताते रहे।
हमने उन्हें अपना भाई...।
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अरविन्द अकेला, पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27

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