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उफ़ ये गर्मी! गर्मी हर किसी को सता रही है : गर्मी पर कविता

उफ़ ये गर्मी! गर्मी हर किसी को सता रही है : गर्मी पर कविता

उफ़ ये गर्मी! गर्मी हर किसी को सता रही है : गर्मी पर कविता

Poetry On Summer Season Garmi Par Kavita Hindi

विषय उफ़ ये गर्मी

यह गर्मी हर किसी को सता रही है।
कहीं न कहीं हमें अपनी महत्ता बता रही है।।

हम और आप जिसे ध्यान नहीं दे रहे हैं।
उसकी ओर ध्यान आकृष्ट कर आ रही है।।



यह गर्मी मनुष्य से लेकर।
पशु पक्षी तक सभी को बेहाल कर रही है।।

जो भी जहां है उसको उसी हाल में।
बेहाल कर रही है।।

अमीर हो या गरीब हो सबको।
यह अपनी तपिश में तपा रही है।।

धरती भी गर्म होकर हम सबको चेता रही है।
हम सबको जता रही हैं।।

हमारी प्रकृति से दूर होती तरीके।
को कहीं न कहीं यह हमें समझा रही है।।

और इस कमी को दूर करने के लिए।
प्रकृति के पास आने का सुझाव दे रही है।।

उफ्फ ये गर्मी कहने में अंतर्मन से।
हम सबको आवाज दे रही है।।

आने वाली पीढ़ी को कुछ सुख देने के लिए।
वृक्षारोपण की ओर इशारा कर रही है।।

आज जो हम या गर्मी से बेहाल हो रहे हैं।
यह एक दिन का नहीं वर्षों के तपिश का।।

नजरिया हमें और आपको दिख रहा है।
हम सबको सिखा रहे हैं।।

डॉ राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

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