गांव पर कविता इन हिंदी | Poem On Village In Hindi
कविता
गाँव की गलियाँ
शुद्ध, हवा, शुद्ध, खान-पान,
मधुर वाणी शिष्ट व्यवहार।
मेरे गाँव की गलियाँ,
मनभावन तीज त्यौहार।।
खेत खलिहान धरोहर,
छाछ राबड़ी वो चटनी।
मेरे गाँव की गलियाँ,
छाप छोड़ती जो अपनी।।
पक्षी कलरव मनमोहक,
जैव विविधता मनभावन।
मेरे गाँव की गलियाँ,
प्यार लुटाती अपनापन।।
घर आँगन सुंदर संस्कृति,
आन-बान-शान निराली।
मेरे गाँव की गलियाँ,
नयनाभिराम मतवाली।।
पावन संस्कृति की शोभा,
चहल-पहल भी सुखकारी।
मेरे गाँव की गलियाँ,
जय हो भारत माता की।।
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी, दौसा(राज.)
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