Poem on Unity In Hindi : Sarv Dharm Sambhav Vasudhaiva Kutumbakam
सर्वधर्म समभाव और वसुधैवकुटुम्बकम् को सीने लगाए हम
सर्वधर्म समभाव
और वसुधैवकुटुम्बकम् को
सीने लगाए हम
आज
भटक रहे हैं
जंगल में
साम्प्रदायिकता के।
अवांछनीय तत्व
रोककर
कर दे रहे हैं
लहूलुहान
हमारी आत्मा को
आदर्श को
और सिद्धांत को
बुरी तरह।
और बना दे रहे हैं
विकलांग
हमारी यात्रा को
जिसे हम
लोकमंगल कहते हैं
सुख से रहते हैं।
मगर आज
हवा गंदी है।
जुबान पर
तालाबंदी है।
मौसम रो रहा है
कहीं कुछ हो रहा है।
शायद सर्वनाश।।
अन्वेषी 23 अप्रैल 2022
0 टिप्पणियाँ