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माँ पर कविता : माँ का हृदय होता अथाह सागर Poem on Mother in Hindi

Poem on Mother in Hindi Maa Ka Hriday Hota Athah Sagar

Poem on Mother in Hindi

माँ पर कविता : माँ का हृदय होता अथाह सागर Poem on Mother in Hindi

माँ
माँ का हृदय होता अथाह सागर,
माँ का हृदय होता विश्व का सार।
माँ के हृदय में ही विश्व बसा है,
माँ नहीं मानती कभी भी हार।।
माँ तो होती हैं सबके लिए ही,
चाहे नारायण हों चाहे हों नर।
चाहे जितना ऊँचे क्यों न उठें,
माँ के गोद में होता सबका सर।।
माँ होती सच्ची माँ का ही पात्र,
जब वह सबकी ही माँ बन जाए।
सबकी मान प्रतिष्ठा सिर उठाकर,
सत्य कर्म मार्ग पर ही तन जाए।।
बेटे की शादी कर पिता बहू लाए,
दूसरे की बेटी बनाया निज बेटी।
ससुराल बहू का रहन सहन देखो,
बुड्ढी से माँगे चाय बहू लेटी लेटी।।
बेटी बहू की यह भाषा भी देखो,
मायके में कहती है पापा मम्मी।
सास ससुर को बूढ़ा बूढ़ी कहती,
खाना भी खाती है बन निकम्मी।।
सास ससुर ने तो बना लिया बेटी,
बहू उन्हें पापा मम्मी मानी कहाँ।
प्रेम के दो शब्द सुनने को तरसते,
वृद्धाश्रम सीधा है दीखता वहाँ।।
सही मायने में माँ होती वही है,
सास ससुर की भी माँ बन जाती।
सास ससुर की भी सेवा करके,
मधुरतम भाषा उन्हें वह सुनाती।।
सास ससुर तब प्रफुल्लित होते,
दे जाते एक सच्ची माँ की दर्जा।
बेटे बहू को भी मिलता आशीष,
मात पिता का उतर जाता कर्जा।।
ऐसी ही माँ होती बहुत पूज्य हैं,
दुनिया भी करती उनका आदर।
निकलतीं चाहे वे जिन क्षेत्रों में,
नमन करते बच्चे बुजुर्ग सादर।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।

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